लखनऊ: सावन माह भगवान शिव को अतिप्रिय है। इस महीने में सोमवार के दिन का तो महत्व होता ही है। लेकिन केवल सोमवार ही नहीं, मास में मंगलावर का भी विशेष महत्व है। सावन के महीने में पड़ने वाले मंगलवार को मां गौरी का व्रत रखा जाता है। सुहागन महिलाएं इस दिन मंगला गौरी का व्रत करती है। कहते हैं कि जिस तरह माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने हेतु कठोर तप किया, उसी प्रकार स्त्रियां इस व्रत को करके अपने पति की लम्बी आयु का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
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व्रत के पीछे मान्यता
प्राचीन काल में धर्मपाल नामक का एक सेठ अपनी पत्नी के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन कर रहा होता है। उसे कोई आभाव नहीं था सिवाय इस दुख के कि उसकी कोई संतान नहीं थी। उसने बहुत पूजा-पाठ और दान-पुण्य भी किया। तब प्रसन्न हो भगवान ने उसे एक पुत्र प्रदान किया। परंतु ज्योतिषियों के अनुसार पुत्र की आयु अधिक नहीं थी उन्होंने बताया कि सोलहवें वर्ष में सांप के डसने से मृत्यु का ग्रास बन जाएगा। दुखी सेठ ने इसे भाग्य का दोष मान कर धैर्य रख लिया। कुछ समय बाद उसने पुत्र का विवाह एक योग्य संस्कारी कन्या से कर दिया। कन्या की माता सदैव मंगला गौरी के व्रत का पूजन किया करती थी। इस व्रत के प्रभाव से उत्पन्न कन्या को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त था जिसके परिणाम स्वरुप सेठ के पुत्र की मृत्यु टल गयी और उसे दीर्घायु प्राप्त हुई।
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पूजा विधि
मंगलवार के दिन आप व्रत कर संकल्प लेकर एक सफेद और लाल कपड़ा बिछाकर मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। इसके साथ ही एक दीपक प्रज्जवलित करें। मां का पंचामृत, चंदल, रोली, सिंदूर, सुपारी, लौंग, पान, फल, मेवा, प्रसाद चढ़ाकर पूजा करें।