Margashirsha Amavasya Significance:मार्गशीर्ष अमावस्या पर दान-तर्पण से मिलती है शांति,परम पुण्य की प्राप्ति, जानिए इस दिन का महत्व

Margashirsha Amavasya Significance: मार्गशीर्ष अमावस्या इस साल कब पड़ने वाली है।जानते हैं इस दिन का महत्व और पूजा विधि

Update:2024-11-30 10:45 IST

Margashirsha Amavasya 2024 Date:पौराणिक धर्म शास्त्रों के अनुसार इस पवित्र महीने में भगवान विष्णु भी चार महीने के योगनिद्रा से जाग गए होते हैं। इसलिए इस दौरान शादी-विवाह , मुंडन , गृह प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्यो के लिए भी शुभ मुहूर्त की शुरूआत हो जाती है। मार्गशीर्ष मास का विशेष महत्त्व माना जाता है। यह मास भगवान की भक्ति के लिए बेहद खास होता है। धार्मिक शास्त्रों में मार्गशीर्ष मास को जाग्रह माह कहा जाता है।

इसके अलावा इस पवित्र मास में भगवान श्रीकृष्ण का भी विशेष महत्व माना जाता है। गौरतलब है कि श्रीमद भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि समस्त मासों में मार्गशीर्ष मास ही हैं। शास्त्रों की मानें तो सतयुग में देवता मार्गशीर्ष मास के प्रथम दिन को वर्ष का प्रारंभ मानते थे। हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक़ इस महीने में नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस मास में तुलसी और तुलसी के पौधे की जड़ों का उपयोग भी जरूर करना चाहिए। साथ ही भक्त इस पूरे माह में भजन और कीर्तन करते है।

ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की अमावस्या में पितृ पूजा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जिन लोगों की कुण्डली में पितृ दोष हो या संतान सुख की कमी हो या राहु नवम भाव में नीच का हो उन्हें इस अमावस्या का व्रत अवश्य करना चाहिए। विशेष धारणाओं के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है।

मार्गशीर्ष अमावस्या कब है शुभ मुहूर्त (Margashirsha Amavasya 2024 Date Shubh Muhurat)

इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या रविवार, 1 दिसंबर को पड़ रही है. इससे पहले कृष्ण अमावस्या की शुरुआत 30 नवंबर की सुबह 10 .29 बजे से हो जाएगी, जिसका समापन 1 दिसंबर को सुबह 11 .50 मिनट पर होगा।

ब्रह्म मुहूर्त- 05:08 बजे से 06:02 बजे तक

प्रातः सन्ध्या- सुबह 05:35 बजे से लेकर सुबह 06:57 बजे तक

अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:49 बजे से लेकर दोपहर 12:31 बजे तक

विजय मुहूर्त- दोपहर 01:55 बजे से लेकर दोपहर 02:37 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:21 बजे से लेकर 05:48 बजे तक.

सायाह्न सन्ध्या- शाम 05:24 बजे से लेकर शाम 06:45 बजे तक

मृत काल-सुबह 06:27 बजे से लेकर अगले दिन 2 दिसंबर की सुबह 08:09 बजे तक

निशिता मुहूर्त- रात 11:43 बजे से लेकर 2 दिसंबर की सुबह 12:38 बजे तक

मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि -1 दिसंबर 2024

अमावस्या तिथि आरंभ - 30 नवंबर 2024, सुबह 10 .29

अमावस्या तिथि समाप्त - 1 दिसंबर 2024, सुबह 11 .50 मिनट

स्नान-दान का शुभ मुहूर्त - प्रातः 06:56 से लेकर प्रातः 08:01 मिनट तक

मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व (Margashirsha Amavasya  Importance)

हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष मास या अगहन के महीने का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना जाता है। उल्लेखनीय है कि इस धार्मिक महीने का नाम नक्षत्र मृगशीर्ष के नाम पर ही रखा गया है। साथ ही ये पूरा महीना भगवान कृष्ण को समर्पित माना जाता है। बता दें कि मार्गशीर्ष अमावस्या प्रबल भक्ति और श्रद्धा का दिन है जिस दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करने के अलावा पितरों का भी सम्मान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन मृत पूर्वजों को सम्मान देने से व्यक्ति के सभी दोष दूर हो जाते हैं। इस शुभ अमावस्या की रात में की जाने वाली प्रत्येक धार्मिक गतिविधि का गहरा महत्व माना जाता है और भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्रदान करती है।

हिन्दू धार्मिक शास्त्रों में मार्गशीर्ष अमावस्या को सभी अमावस्या में काफी महत्वपूर्ण मानकर श्रेष्ठ स्थान दिया गया है। शास्त्रों में इस दिन पूजा दान करना विशेष पुण्य फलदायी माना गया है। इस दिन लोग पापों की मुक्ति के लिए पवित्र नदी में स्नान करते हैं और पितरों के नाम से तर्पण, दान व पिंडदान आदि करते हैं. ऐसा करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हर कार्य में सफलता मिलती है।

मार्गशीर्ष अमावस्या पूजन विधि

हिन्दू धर्म में पितरों के तर्पण करने के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का बड़ा महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पितरों का पूजन और व्रत रखने से उनका विशेष आशीर्वाद मिलता है। प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें। स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें व गायत्री मंत्र का पाठ करें। कुल परंपरा के अनुसार भगवान विष्णु या भगवान शिव का पूजन करें। नदी के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करके उनके मोक्ष की कामना करें। ध्यान रखें कि मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। साथ ही पूजा-पाठ के बाद भोजन और वस्त्र आदि का यथाशक्ति किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान जरूर करें।

इस दिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से जातक की कुंडली में स्थित चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और मानसिक परेशानियां भी दूर हो जाती हैं. जब आप शिवलिंग पर चढ़ाएं तो ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करें

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन शिवलिंग पर दही चढ़ाने से जातकों को धन-धान्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही जीवन खुशियां आती हैं. इतना ही नहीं, दांपत्ति को संतान सुख का भी आशीर्वाद मिलता है. 


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