Aaj Margashirsha Purnima 2022 Hai मार्गशीर्ष पूर्णिमा आज है, जानिए स्नान-दान का ,महत्व और उपाय,
Aaj Margashirsha Purnima 2022 Hai: मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को बतीसी पूर्णिमा कहते है। इस दिन चंद्रदेव और भगवान शिव की पूजा ओर व्रत किया जाता है। चंद्र देव को अर्ध्य देकर व्रत पूर्ण किया जाता है। इस पूजा जप-तप का 32 गुणा फल मिलता है।
Margashirsha Purnima 2022 Kab Hai
मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब है
इस साल 2022 में 7 दिसंबर के दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा है। धर्मानुसार पूर्णिमा को विशेष तिथि के रूप में देखा जाता है। हर माह की शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि पूर्णिमा कहलाती है। ज्योतिषानुसार, इस पूर्णिमा की रात को चंद्रमा भी ग्रहों की मजबूत स्थिति में रहता है। इस दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन दान का फल अन्य पूर्णिमा व दिनों की तुलना में 32 गुना अधिक प्राप्त होता है। इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा आरंभ:मार्गशीर्ष पूर्णिमा 7 दिसंबर को प्रातः 08 . 01 मिनट पर शुरू होकर
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा समापन: 08 दिसंबर 2022 को सुबह 09 .37 मिनट पर समाप्त होगा। यानी इस बार दो दिनों तक स्नान-दान कर पूर्णिमा का फल मिलेगा।
मार्गशीर्ष माह का बत्तीसी पूर्णिमा
धर्मानुसार पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और चंद्र देव की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान् सत्यनारायण की कथा का पाठ करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को किए गए दान का पुण्य न केवल जातक को, बल्कि उसके पूर्वजों को भी मिलता है। अगर कोई जातक सच्चे मन से पूरे विधि विधान के साथ इस व्रत को करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को दूध से अर्घ्य देने पर मानसिक शांति मिलती है। साथ ही घर और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पूर्णिमा पर चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को कच्चे दूध के साथ मिश्री और चावल मिलाकर अर्पण करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। इससे परिवार में हमेशा धन-संपत्ति बनी रहती है।
मार्गशीर्ष माह के बत्तीसी पूर्णिमा की विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर के पूरे घर में सफाई के बाद गौमूत्र छिड़के। घर के बाहर रंगोली बनाएं और मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाएं।अगर संभव हो तो पूजा के स्थान पर गाय के गोबर से लीपें और गंगाजल छिड़कें। तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और प्रणाम कर के तुलसी पत्र तोड़ें। ताजे कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु-लक्ष्मी और श्रीकृष्ण एवं शालिग्राम का अभिषेक करें। अबीर, गुलाल, अक्षत, चंदन, फूल, यज्ञोपवित, मौली और अन्य सुगंधित पूजा सामग्री के साथ भगवान की पूजा करें और तुलसी पत्र चढ़ाएं।इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा कर के नैवेद्य लगाएं और आरती के बाद प्रसाद बांटें।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की दूध से अर्घ्य देने पर मानसिक शांति का वरदान मिलता है. चंद्र देव की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. सभी कष्ट दूर होते हैं और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. पूर्णिमा पर चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को कच्चे दूध में मिश्री और चावल मिलाकर अर्घ्य अर्पित करें.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें त्याग
पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं अगर संभव हो तो किसी तीर्थ में नहाएं। इस दिन तामसिक चीजों जैसे लहसुन, प्याज, मांसाहार, मादक वस्तुएं और शराब से दूर रहें। दिन में न सोएं और झूठ न बोलें। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा की जाती है। स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण करके आचमन करते हुए ॐ नमोः नारायण कहकर, श्री हरि का आह्वान करें। इसके बाद श्री हरि को आसन, गंध और पुष्प आदि अर्पित करें। अब पूजा स्थल पर एक वेदी बनाकर हवन में अग्नि जलाएं। इसके बाद हवन में तेल, घी और बूरा आदि की आहुति दें। हवन समाप्त होने पर सच्चे मन में भगवान का ध्यान करें। व्रत के दूसरे दिन गरीब लोगों या ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और उन्हें दान-दक्षिणा दें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें ये सब
ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये,
धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।।
शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदी और सरोवर में स्नान-ध्यान करना सर्वोत्तम माना गया है। अगर नदी में स्नान नहीं कर सकते, तो गंगाजल युक्त पानी से घर पर ही स्नान कर सकते हैं। इससे समस्त पापों का सर्वनाश होता है।
पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन का भी खास महत्व है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी संग तुलसी पूजन अवश्य करें। साथ ही, शाम के समय तुलसी जी के पास शुद्ध घी के दीपक जलाएं।
पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिन्ह बनाएं। इसके साथ आम के पत्तों की तोरण बनाककर घर के मुक्य द्वार पर लगाएं। इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
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