Masik Durgashtami Vrat- मासिक दुर्गाअष्टमी का व्रत कब और कैसे किया जाता है, जानिए इसका महत्व- कथा और मिलने वाला लाभ

Masik Durgashtami Vrat- मां दुर्गा शक्ति की देवी है और आदिशक्ति की आराधना करने से हर मनोरथ पूरे होते हैं। हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दुर्गा देवी का व्रत किया जाता है।साल में 12 दुर्गा अष्टमी होती है जो शुक्ल पक्ष में पड़ती है, जानते है इसकी महिमा...;

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Update:2023-12-16 11:13 IST
Masik Durgashtami Vrat- मासिक दुर्गाअष्टमी का व्रत कब और कैसे किया जाता है, जानिए इसका महत्व- कथा और मिलने वाला लाभ
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Durgashtami Vrat : मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहते हैं। वही सर्वस्व है उनकी आराधना वैसे तो नवरात्रि के नौ दिनो  तक की जाती है। इसके अलावा भी हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मां दुर्गा की आराधना की जाती है। अष्टमी का व्रत किया जाता है। इसे धर्मानुसार  मासिक दुर्गाष्टमी कहते हैं।  मासिक दुर्गाष्टमी प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इसका मतलब साल में 12 दुर्गा अष्टमी का व्रत शुक्ल पक्ष में होता है।

नवरात्रि के अलावा हर माह की मासिक दुर्गाष्टमी खास होती है। इस बार मार्गशीर्ष माह में भी दुर्गा अष्टमी का व्रत आ रहाहै। और इस महीने की अष्टमी तिथि 20 दिसंबर 2023 को मनाई जाएगी। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है और मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ जो कोई भी व्यक्ति मां दुर्गा की उपासना करता है देवी मां दुर्गा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। साथ ही इस दिन पूजा करने से जीवन में चल रही किसी भी तरह की समस्या का समाधान हो जाता है। जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के नियम और लाभ...

दुर्गाष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 19 दिसंबर को दोपहर 01: 07 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन यानी 20 दिसंबर को सुबह 11: 14 मिनट पर समाप्त हो जाएगा । इस दिन रवि योग 10:58 PM से 06:39 AM, Dec 21तक रहेगा। इसके अलावा सर्वार्थसिद्धि योग -12:02 AM से Dec 20 07:07 AM से रहेगा।

अमृत काल - 06:22 PM से 07:54 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 05:31 AM से 06:19 AM

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत की विधि

दुर्गा अष्टमी के दिन भूल कर भी घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां दुर्गा घर में आती हैं इसलिए घर को कभी खाली नहीं छोड़ना चाहिए। दुर्गा अष्टमी व्रत में सुबह से लेकर शाम तक अन्न नहीं खाना चाहिए इसके साथ ही अगर संभव हो तो केवल दूध, फल का ही सेवन करना चाहिए। दुर्गा अष्टमी के दिन शाम को विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। दुर्गा अष्टमी के दिन दुर्गा सप्तशति का पाठ विधि अनुसार करना चाहिए। ऐसा करने से मां दुर्गा आपसे प्रसन्न होती हैं। सूर्यास्त के बाद इस व्रत का समापन करना चाहिए। समापन करने के बाद सात्विक भोजन से ही व्रत का पारण करना चाहिए।

 दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व

मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत करने से मां दुर्गा साधकों से प्रसन्न होती हैं और उनपर विशेष कृपा होती है इसके साथ ही मासिक दुर्गाष्टमी व्रत करने से जीवन की कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है मासिक दुर्गाष्टमी व्रत करने से सुरक्षा समृद्धि, सफलता और शांति मिलती है।मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं जो जातक परेशानियों से घिरे रहते हैं उन्हें मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत का रखना चाहिए ।इस दिन मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है। इस दिन अगर विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा की जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन भक्त दिव्य आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए व्रत भी रखते हैं। इस दिन व्रत व पूजा करने से मां जगदंबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। दुर्गा अष्टमी का व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है।   जीवन खुशी और सौभाग्य से भर जाता है। देवी मां दुर्गा अपने सभी पापों का नाश करती हैं।देवी दुर्गा को खुस करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए यह दुर्गा अष्टमी व्रत बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इस दिन व्रत करने वालों को मां दुर्गा सुरक्षा प्रदान करती हैं।

इस दिन देवी दुर्गा चालीसा का पाठ करने से पारिवारिक जीवन सुखमय होता है और सभी इच्छा पूरी होती हैं। साथ ही जीवन की समस्याओं दुखों से छुटकारा मिलता है. इतना ही नहीं, मासिक दुर्गाष्टमी के दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर व्यापार करियर के क्षेत्र में भी उन्नति के योग बनते हैं।

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा

मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन की पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि दुर्गम नाम के एक क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों पर अत्याचार कर दिया था। उसके आतंक से सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गये।। राक्षस दुर्गम को वरदान था कि कोई भी देवता उसे नहीं मार सकता, सभी देवताओं ने भगवान शिव से इस समस्या का समाधान खोजने का अनुरोध किया। इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया। इसके बाद मां दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ा गया। जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है

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