Mere Shyam Sunder: हे मेरे श्याम सुंदर
Mere Shyam Sunder: धार्मिक श्रवण करने से धर्मं का ज्ञान होता है! द्वेष दूर होता है
Mere Shyam Sunder: व्यवहारिक ज्ञान, धार्मिक श्रवण करने से धर्मं का ज्ञान होता है! द्वेष दूर होता है! ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया की आसक्ति से मुक्ति होती है. कलयुग में धनवान व्यक्ति के कई मित्र होते है. उसके कई सम्बन्धी भी होते है. धनवान को ही आदमी कहा जाता है और पैसेवालों को ही पंडित कह कर नवाजा जाता है. सर्व शक्तिमान प्रभु की इच्छा और कृपा से ही बुद्धि काम करती है, वही कर्मो को नियंत्रीत करता है. उसी की इच्छा से आस पास में मदद करने वाले आ जाते है.! जिसे अपने प्रभु पर दृढ़ विश्वास है वह केवल प्रभु के दर का ही भिखारी है, संसार का नही! राजा को उसके नागरिको के पाप लगते है. राजा के यहाँ काम करने वाले पुजारी को राजा के पाप लगते है. पति को पत्नी के पाप लगते है. गुरु को उसके शिष्यों के पाप लगते है
घर के शत्रु:-
अपने ही घर में व्यक्ति के ये शत्रु हो सकते है
1.उसका बाप यदि वह हरदम कर्ज में डूबा रहता है.
२.उसकी माँ यदि वह दुसरे पुरुष से संग करती है.
3. सुन्दर पत्नी
4. वह लड़का जिसने शिक्षा प्राप्त नहीं की.
कूटनीति
एक लालची आदमी को भेट वास्तु दे कर संतुष्ट करे.
एक कठोर आदमी को हाथ जोड़कर संतुष्ट करे.
एक मुर्ख को सम्मान देकर संतुष्ट करे.
एक विद्वान् आदमी को सच बोलकर संतुष्ट करे.
ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए . दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए . पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए .
यदि आप पर मुसीबत आती नहीं है तो उससे सावधान रहे. लेकिन यदि मुसीबत आ जाती है तो किसी भी तरह उससे छुटकारा पाए.
अर्जित विद्या अभ्यास से सुरक्षित रहती है.
घर की इज्जत अच्छे व्यवहार से सुरक्षित रहती है.
अच्छे गुणों से इज्जतदार आदमी को मान मिलता है.
किसीभी व्यक्ति का गुस्सा उसकी आँखों में दिखता है.
सन्त अपने आचरण से पहचाने जाते है
बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल केशव माधव गोविंद बोल