Lord Shiva: शिवजी का त्रिशूल एवं डमरू का संदेश
Lord Shiva: आज आदमी अपनी वेदनाओं से ही इतना ग्रस्त रहता है कि आनंद उसके लिए एक काल्पनिक वस्तु मात्र रह गया है। दु:खों से ग्रस्त होना यह अपने हाथों में नहीं,मगर दुःखों से त्रस्त होना यह अवश्य अपने हाथों में है।
Lord Shiva: भगवान शिव का स्वरूप देखने में बड़ा ही प्रतीकात्मक और संदेशप्रद है।भगवान शिव के हाथों में त्रिशूल, दैहिक,दैविक और भौतिक तीनों तापों का प्रतीक है।भगवान शिव के हाथों में केवल ‘त्रिशूल’ ही नहीं है,अपितु जो त्रिशूल है,उसमें भी ‘डमरू’ बँधा हुआ है। त्रिशूल वेदना का तो डमरू आनंद का प्रतीक है।जीवन ऐसा ही है,यहाँ वेदना तो है ही मगर आनंद भी कम नहीं है।
आज आदमी अपनी वेदनाओं से ही इतना ग्रस्त रहता है कि आनंद उसके लिए एक काल्पनिक वस्तु मात्र रह गया है। दु:खों से ग्रस्त होना यह अपने हाथों में नहीं,मगर दुःखों से त्रस्त होना यह अवश्य अपने हाथों में है।भगवान शिव के हाथों में त्रिशूल और उसके ऊपर लगा डमरू,हमें इस बात का संदेश देते हैं कि भले ही त्रिशूल रुपी तीनों तापों से तुम ग्रस्त हों,मगर डमरू रुपी आनंद भी साथ होगा। तो फिर नीरस जीवन भी उमंग और उत्साह से भर जाएगा।
( लेखक धर्म व अध्यात्म के विशेषज्ञ हैं ।)