Mohini Ekadashi Vrat 2023: मोहिनी एकादशी व्रत कब है, जानिए शुभ मुहूर्त, योग और पूजा-विधि

Update: 2023-04-14 10:42 GMT
सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Mohini Ekadashi Vrat

मोहिनी एकादशी व्रत

वैशाख माह की मोहिनी एकादशी ( Mohini Ekadashi) बहुत खास है। इस दिन किए गए नियमों के पालन से भगवान विष्णु की कृपा बरसती है।इस बार मोहिनी एकादशी 1 मई को है। इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था। इस दिन व्रत-उपवास करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान विष्णु सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसलिए इस दिन कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। जानते हैं कि मोहिनी एकादशी के दिन क्या करें क्या नहीं। उससे पहले मोहिनी एकादशी की विधि भी जानते हैं...

मोहिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

वैसाख माह के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी की तिथि इस साल 1 मई दिन सोमवार को पड़ रही है। इस दिन एकादशी तिथि होने से और महत्व बढ़ गया है। इस दिन वज्र योग, हस्त नक्षत्र और चंद्रमा कन्या राशि में है। 30 अप्रैल 2023 को रात 08 .28 मिनट से रविवार, 1 मई सोमवार 2023 को रात 10.09 मिनट तक रहेगी।

मोहिनी एकादशी तिथि प्रारम्भ : एकादशी 30 अप्रैल 2023 को रात 08 .28 मिनट से

मोहिनी एकादशी तिथि समाप्त :1 मई सोमवार 2023 को रात 10.09 मिनटरहेगी।

अभिजीत मुहूर्त - 11:58 AM से 12:49 PM

अमृत काल - 10:49 AM से 12:35 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:21 AM से 05:09 AM

विजय मुहूर्त- 02:08 PM से 03:01 PM

गोधूलि बेला-06:21 PM से 06:45 PM

प्रदोष काल- 06:34 PM से 07:38 PM

त्रिपुष्कर योग- May 02 05:57 AM - May 02 07:41 PM

मोहिनी एकादशी पारणा मुहूर्त : 2 मई को सुबह 5.57 मिनट से 8 .31 मिनट तक

मोहिनी एकादशी की पूजा-विधि

मोहिना एकादशी के दिन सुबह स्नान कर मंदिर की साफ-सफाई के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। इस पूजा में फूल फल, अक्षत तुलसी के पत्ते और मोर पंख जरूर रखना चाहिए। गंगाजल से घर और मंदिर को शुद्ध करना चाहिए। इस दिन घर के मंदिर में दीपक जलाकर मंत्र ध्यान और कथा सुनकर भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। इससे बैकुंड की प्राप्ति होती है। इस दौरान आप किसी भी शुभ पहर में भगवान विष्णु या उनके अवतारों की पूजा कर सकते हैं। एकादशी व्रत के व्रत में भगवान विष्णु या उनके अवतार की पूजा का विधान है। इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान करने के बाद पहले सूर्य को अघ्र्य दें। इसके बाद भगवान विष्णु की आराधना करें। उनको पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें। फल भी अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जप करें। इस दिन अगर पूर्ण रूप से जलीय आहार लिया जाए या फिर फलाहार लिया जाए तो इसके श्रेष्ठ परिणाम मिल सकते हैं। अगले दिन प्रात: एक वेला का भोजन या अन्न किसी जरूरतमंद को दान करें। इस दिन मन को ईश्वर में लगाएं, क्रोध न करें, असत्य न बोलें।

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