इन 5 स्त्रियों का नाम लेने से होता है कल्याण, आदर्श आचरण की वजह से मिला है इनको उच्च स्थान

इनके अलावा भी हिन्दू धर्म ने अलग अलग समय पर भगवान के अलग अलग अवतारों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने आदर्श आचरण से उच्च स्थान  समाज में बनाया और लोगों के बीच पूजनीय बने।  ऐसी ही 5 पौराणिक महिलाओं के बारे में जिन्होंने अपने पतिव्रता धर्म से एक नया आदर्श स्थापित किया।

Update:2019-06-26 15:14 IST

जयपुर: हर धर्म के प्रति उससे जुड़े लोगों की आस्था अटूट होती है। लोग अपने धर्म से जुड़ें देवताओं की पूजा करते हैं। इसी तरह हिन्दू धर्म में कई देवी देवताओ के पूजा का नियम है। सभी लोग अपने सहूलियत के अनुसार देवी देवताओं का पूजन करते है। इनके अलावा भी हिन्दू धर्म ने अलग अलग समय पर भगवान के अलग अलग अवतारों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने आदर्श आचरण से उच्च स्थान समाज में बनाया और लोगों के बीच पूजनीय बने। ऐसी ही 5 पौराणिक महिलाओं के बारे में जिन्होंने अपने पतिव्रता धर्म से एक नया आदर्श स्थापित किया। इन्हें पञ्च सती के नाम से जानते हैं।

*अहिल्या माता अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थी। इंद्र के धोखे के कारन इनको गौतम ऋषि से शिला होने का श्राप मिला था जिन्हें भगवान राम ने त्रेता युग में अपने पांव से छूकर श्राप मुक्त किया।

*मंदोदरी लंकाधिपति रावण की पत्नी मंदोदरी भी इन पांच सतियों में स्थान रखती हैं। रावण को इन्होंने श्रीराम से युद्ध न करने और सीता को छोड़ देने के लिए बहुत समझाया। रावण की मृत्यु के पश्चात मंदोदरी के भीषण रुदन का जिक्र भी है।

*तारा का प्राकट्य समुद्र मंथन के समय हुआ था। कालांतर में यह वानरराज बाली की पत्नी बनी। सुग्रीव से मित्रता करने को लेकर बाली को देवी तारा ने बहुत समझाया था।

*कुंती का जन्म नाम पृथा था लेकिन महाराज कुन्तिभोज ने इन्हें गोद ले लिया था जिसके कारण इनका नाम कुंती हो गया। देवी कुंती कृष्ण के पिता वासुदेव की बहन थी।अपना पतिव्रत धर्म निभाते हुए इन्होंने अपने पति महाराज पाण्डु की दूसरी पत्नी को भी स्वीकार किया।

*द्रोपदी का जन्म यज्ञसेनी के रूप में हुआ था। महारज द्रुपद ने एक मनोकामना पूर्ती यज्ञ किया था जिसमे द्रोपदी का जन्म हुआ। द्रोपदी पांचों पांडवों की अकेली पत्नी थी लेकिन अपन पतिव्रता धर्म नहीं छोड़ा। इसी कारण जब चीरहरण हो रहा था तो स्वयम भगवान कृष्ण ने आकर उनकी लाज बचाई थी।

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