Motivational Story: प्रेरक प्रसंग/ रामायण हमें क्या सिखाती है
Motivational Story: माता-पिता की सेवा पुत्र का प्रधान धर्म
Motivational Story: शुद्ध सच्चिदानन्दघन एक परमात्मा ही सर्वत्र व्याप्त है और अखिल विश्व एवं विश्व की घटनाएँ उसी का स्वरूप और लीला हैं।
परमात्मा समय-समय पर अवतार धारणकर प्रेम द्वारा साधुओं का और दण्ड द्वारा दुष्टों का उद्धार करने के लिये लोककल्याणार्थ आदर्श लीला करते हैं।
भगवान् की शरणागति ही उद्धार का सर्वोत्तम उपाय है।
उदाहरण-विभीषण।
सत्य ही परम धर्म है, सत्य के लिये धन, प्राण, ऐश्वर्य सभी का सुख पूर्वक त्याग कर देना चाहिये।
उदाहरण - श्रीराम ।
मनुष्य जीवन का परम ध्येय परमात्मा की प्राप्ति करना है। वह भगवत्-शरणागति पूर्वक संसार के समस्त कर्म ईश्वरार्थ त्यागवृत्ति से फलासक्ति-शून्य होकर करने से सफल हो सकता है।
वर्णाश्रम धर्म का पालन करना परम कर्तव्य है।
माता-पिता की सेवा पुत्र का प्रधान धर्म।
उदाहरण- श्रीराम, श्रवणकुमार ।
स्त्रियों के लिये पातिव्रत परम धर्म है।
उदाहरण - सीता जी ।
पुरुष के लिये एक पत्नी - व्रत का पालन अतिआवश्यक है।
उदाहरण- श्रीराम ।
भाइयों के लिये सर्वस्व त्यागकर उन्हें सुख पहुँचाने की चेष्टा करना परम कर्तव्य है।
उदाहरण- श्रीराम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न ।
धर्मात्मा राजा के लिये प्राण देकर भी उसकी सेवा करना प्रजा का प्रधान कर्तव्य है।
उदाहरण- (१) वनगमन के समय अयोध्या की प्रजा ।
लंका के युद्ध में वानरी प्रजा का आत्म बलिदान ।
अन्यायी - अधर्मी राजा के अन्याय का कभी समर्थन नहीं करना चाहिये। सगे भाई होने पर भी उसके विरुद्ध खड़े होना उचित है।
उदाहरण- विभीषण।
प्रजारञ्जन के लिये प्राण प्रिय वस्तु का भी विसर्जन कर देना राजा का प्रधान धर्म है।
उदाहरण - श्रीरामजी द्वारा सीता त्याग।
प्रजाहित के लिये यज्ञादि कर्मों में सर्वस्व दान दे डालना।
उदाहरण- दशरथ और श्रीराम ।
धर्म पर अत्याचार और स्त्री-जाति पर जुल्म करने से बड़े-से-बड़े शक्तिशाली सम्राट् का विनाश हो जाता है।
उदाहरण - रावण
( लेखिका प्रख्यात ज्योतिषाचार्य हैं। )