Krishna Radha Facts: बरसाना नहीं इस गांव में जन्मीं थी‌ राधा रानी, जाने कुछ महत्वपूर्ण बातें

Krishna Radha Rani Myth and Fact: देवी राधा और भगवान कृष्ण को एक-दूसरे का पूरक माना जाता है।भले ही उनकी शादी नहीं हुई थी। मगर वे दुनियाभर में प्यार का प्रतीक कहलाते हैं।

Newstrack :  Network
Update: 2022-12-10 03:13 GMT

Lord Radhakrishna (Image: Social Media)

Myth and Fact: देवी राधा और भगवान कृष्ण को एक-दूसरे का पूरक माना जाता है। भले ही उनकी शादी नहीं हुई थी । मगर वे दुनियाभर में प्यार का प्रतीक कहलाते हैं। साथ ही राधा रानी को श्रीकृष्ण की आत्मा कहा जाता है। बात राधा रानी की करें तो इन्हें बरसाना की रहने वाली माना जाता है। मगर वास्तव में, इनका जन्म बरसाना से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रावल गांव में हुआ था। इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की तरह वे भी अजन्मीं थीं।

कमल के फूल पर जन्‍मी थीं राधा रानी

बरसाना से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रावल गांव में राधा जी का जन्म हुआ था। वहां पर एक मंदिर भी स्थापित है। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि आज से करीब 5 हजार साल पहले यमुना नदी रावल गांव को छूकर ही (बहती) जाती थी।

Lord Radhakrishna

पौराणिक कथा अनुसार, उस समय राधा रानी की मां यमुना नदी में स्नान के दौरान अराधना करते हुए पुत्री की कामना करती थीं। पूजा के समय इस बार नदी में कमल का फूल अवतरित हुआ। फूल से सोने की चमक जितना तेज प्रकाश था। उसमें एक छोटी बच्ची अपनी आंखे बंद करके विराजमान थी। उस स्थान पर आज मंदिर का गर्भगृह बना दिया गया है। तब वृषभानु और कीर्ति देवी को पुत्री की प्राप्ति हुई मगर उस दौरान राधा रानी ने अपनी आंखें बंद ही रखी।

11 महीने बाद भगवान कृष्‍ण का जन्‍म हुआ!

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी राधा के जन्म के ठीक 11 महीने बाद मथुरा में कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देवकी मां के गर्भ से हुआ। मथुरा, रावल से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।


तब कंस से बाल रूप श्रीकृष्ण को बचाने के लिए वसुदेव टोकरी में उन्हें बिठाकर रात के समय गोकुल में अपने मित्र नंदबाबा के घर पर छोड़ आए। पुत्र रूप में श्रीकृष्ण को पाकर नंद बाबा ने कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया। उस समय उन्हें बधाई देने के लिए नंदगांव में वृषभान अपनी पत्नि कृति और पुत्री देवी राधा के साथ आए थे। उस समय राधारानी अपने घुटने के बल चलकर बालकृष्‍ण के पास पहुंची फिर श्रीकृष्ण के पास बैठकर राधारानी के नेत्र खुले और उन्‍होंने अपना पहला दर्शन बालकृष्‍ण का ही किया था।

इसलिए राधा और कृष्‍ण गए थे बरसाना

श्रीकृष्ण का जन्म होने के बाद गोकुल गांव में कंस का अत्याचार बढ़ने लगा था। ऐसे में लोग परेशान होकर नंदबाबा के पास पहुंचे। तब नंदराय जी ने सभी स्‍थानीय राजाओं को इकट्ठा किया।


उस समय वृषभान बृज के सबसे बड़े राजा थे। उनके पास करीब 11 लाख गाय थी। तब उन्होंने मिलकर गोकुल व रावल छोड़ने का फैसला किया था। तब गोकुल से नंद बाबा और गांव की जनता जिस पहाड़ी पर पहुंचे उसका नाम नंदगांव पड़ गया। दूसरी और वृषभान, कृति और राधारानी जिस पहाड़ी पर गए उसका नाम बरसाना पड़ गया।

रावल में मंदिर के सामने बगीचे में पेड़ स्‍वरूप में हैं राधा-कृष्ण

राधा रानी का जन्म स्थान रावल होने पर वहां पर राधारानी का मंदिर स्थापित है। मंदिर के बिल्कुल सामने एक प्राचीन बाग भी बना हुआ। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज भी पेड़ के रूप में राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण वहां पर विद्यमान हैं।


बगीचे में एक साथ दो पेड़ बने हुए है जिसमें एक का रंग श्वेत यानि सफेद और दूसरे का रंग श्याम यानि काला है। ऐसे में ये पेड़ राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं। कहा जाता है कि आज भी राधा-कृष्ण पेड़ के रूप में यमुना नदी को निहारते हैं। साथ ही आज भी इन पेड़ों की पूजा की जाती है।


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