Nadi Dosh Kya Hota Hai In Hindi: नाड़ी दोष क्या होता है? जानिए कारण, इसके घातक प्रभाव और इससे बचने के उपाय

Nadi Dosh Kya Hota Hai In Hindi:ज्योतिष शास्त्र में, कुंडली एक ग्रहों और नक्षत्रों का एक छवि होती है जो व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करती है। नाड़ी दोष के बारे में, यह उन नाड़ियों का मिलान है जो दो जातकों की कुंडली में होती हैं।

Update:2024-04-22 09:25 IST

Nadi Dosh Kya Hota Hai In Hindi क्या होता है नाड़ी दोष?: नाड़ी दोष का मतलब है कि जब दो जातकों की कुंडली में नाड़ी मेल नहीं खाती है, तो उनके बीच में विवाह योग्यता पर प्रभाव पड़ता है। नाड़ी मेलने की परंपरा अनुसार, तीन प्रकार की नाड़ियां होती हैं - आदि (आर्य), मध्यम (मध्यम), और अंत (अंत्य)। दो जातकों की कुंडली में यदि उनकी नाड़ियां समान हों, तो नाड़ी दोष कहलाता है 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शादी के समय अष्टकूट मिलान में से सबसे बड़ा स्थान नाड़ी को दिया जाता है।  नाड़ी दोष (Nadi Dosh) को ही सबसे अधिक अशुभ दोष माना जाता है, क्योंकि जिसके प्रभाव से वर-वधू दोनों में से एक अथवा दोनों की मृत्यु होने की संभावना होती है। जातक की कुंडली का मिलान करते समय नाड़ी दोष बनने पर लड़के तथा लड़की का विवाह करने से मना कर देते हैं।

 नाड़ी दोष एक गंभीर दोष माना जाता है, जो कुंडली मिलान में बहुत महत्वपूर्ण होता है। बता दें कि यह दोष नाड़ी मिलान के दौरान दो व्यक्तियों के गुणों, स्वभाव, विचार और भावनाओं की मिलान करने के लिए उपयोग करने वाली तकनीक है। यह दोष एक गंभीर दोष माना जाता है, जो विवाह और संबंधों में असफलता का कारण बन सकता है। इस दोष का मूल कारण दो व्यक्तियों की नाड़ियों में अंतर होना होता है। जानते है कि जातक की कुंडली में कैसे बनता है यह दोष और इसके निवारण करने के उपाय।

नाड़ी दोष के तीन प्रकार

ज्योतिष के अनुसार गुण मिलान की प्रक्रिया में आठ कूटों का मिलान होता है, जिसे अष्टकूट मिलान भी कहा जाता है और ये आठ कूट वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी होते हैं।ज्योतिष में नाड़ी दोष तीन प्रकार के होते हैं। इनमें से प्रत्येक एक व्यक्ति के जन्म कुंडली में नाड़ी दोष होने पर जीवनसाथी चुनने में मुश्किलों का सामना करता है। यह दोष के तीन प्रकार हैं:

आदि नाड़ी दोष: यह दोष तब होता है, जब दोनों जातकों की आदि नाड़ियां एक समान होती है। यह दोष संबंधों की उत्तमता को प्रभावित करता है। इस दोष से प्रभावित जातकों को शादी के

लिए उचित विचार करना चाहिए।

मध्य नाड़ी दोष: यह दोष दोनों जातकों की मध्य नाड़ियां एक समान होने पर होता है। यह दोष संबंधों की संतुलितता को प्रभावित करता है। इस दोष के उपशम के लिए, पंडित एक उपाय सुझाएँगे जो दोनों जातकों के लिए संभव होता है।

अंत्य नाड़ी दोष: यह दोष दोनों जातकों की अंत्य नाड़ियां एक समान होने पर होता है।


विवाह में नाड़ी मिलान क्यों किया जाता हैं?

ज्योतिष शास्त्र में नाड़ी मिलान विवाह के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे गुण मिलान भी कहा जाता है। यह ज्योतिष के अनुसार दो व्यक्तियों के जन्म कुंडली में मौजूद नाड़ियों के मिलान के आधार पर किया जाता है। ज्योतिष में माना जाता है कि दो व्यक्तियों की जन्म कुंडली में नाड़ियों के मिलान से उनके विवाह के बाद की जीवन की गुणवत्ता और खुशहाली का अंदाजा लगाया जा सकता है। साथ ही नाड़ी मिलान द्वारा दो व्यक्तियों के जीवन में आने वाली समस्याओं और अधिकतम संभावित समस्याओं का भी पता चलता है। इसलिए नाड़ी मिलान विवाह के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

कैसे बनता है कुंडली में नाड़ी दोष?

विवाह से पहले लड़का और लड़की की कुंडली मिलान की प्रक्रिया के तहत ही उनके गुणों का मिलान भी किया जाता है, जिसे मेलापक मिलान नाम से भी जाना जाता है। साथ ही आठ बिंदुओं के आधार पर वर-वधू के गुणों का मिलान किया जाता है। बता दें कि इन गुणों के कुल 36 अंक होते हैं। इनमें से सुखद विवाह के लिए आधे यानि 18 गुणों का मिलना बहुत आवश्यक होता है और इनमें नाड़ी दोष नहीं होना चाहिए।

जातक के गुण मिलान के दौरान जो आठ बिंदु होते हैं, उन्हें कूट या अष्टकूट कहा जाता है और ये आठ कूट वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी होते है। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्रमा की किसी नक्षत्र विशेष में उपस्थिति से उस जातक की नाड़ी का पता लगाया जाता है। वहीं कुल 27 नक्षत्रों में से नौ नक्षत्रों में चंद्रमा के होने से जातक की कोई एक नाड़ी होती है।

व्यक्ति की कुंडली में नाड़ी दोष उत्पन्न होने के कई कारण होते हैं। नाड़ी दोष उत्पन्न होने का मुख्य कारण दो जातकों की जन्म नाड़ी की असमानता को माना जाता है। साथ ही नाड़ी की असमानता उत्पन्न होती है, क्योंकि जब दो जातक एक दूसरे से विवाह करने के लिए मिलते हैं, तो उनकी जन्म कुंडलियों में नाड़ियों की स्थिति एक दूसरे से अलग-अलग होती है।

दोनों जातकों की जन्म कुंडलियों में समान नाड़ियां होने से ये दोष उत्पन्न होता हैं।जब दोनों जातकों की जन्म कुंडलियों में नाड़ियों की अयोग्यता होती है, तो यह दोष उत्पन्न होता है।जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों के अनुकूल नहीं होने से भी नाड़ी दोष हो सकता है।जब दो जातकों के बीच नाड़ी दोष होता है, तो उन्हें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं। यह समस्याएं असंतुलित भावनाएं, आर्थिक समस्याएं, स्वास्थ्य समस्याएं और सम्बंधों में असफलता हो सकती हैं।

नाड़ी दोष के प्रभाव

वर और वधु दोनों की एक नाड़ी है, तो निवारण अनिवार्य है। अगर बिना निवारण के वर और वधु की शादी होती है, तो कन्या यानी वधु को गर्भ धारण में परेशानी आ सकती है। वहीं, होने वाली संतान भी असामान्य पैदा हो सकती है। नाड़ी दोष लगने पर अकस्मात मुसीबत आती रहती है। साथ ही वर और वधु के बीच संबंध बेहद कटु रहते हैं। इस स्थिति में वियोग की भी संभावना रहती है। मध्य नाड़ी दोष लगने पर वर-वधू में से एक या दोनों की मृत्यु की संभावना बनी रहती है।

संबंधों में असफलता: नाड़ी दोष जातक के संबंधों को अनबैलेंस करता है। इसके कारण जातक के रिश्तें खराब हो जाते है और व्यक्ति को रिश्तों में अक्सर समझौते करने पड़ते हैं।

विवाह में देरी: इस दोष के कारण वे विवाह में देरी करते हैं और अक्सर उचित उम्र में विवाह नहीं कर पाते हैं।

स्वास्थ्य समस्याएं: इस दोष के कारण जातकों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह अक्सर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, शारीरिक असंतुलन और अन्य विविध स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में प्रकट होता है।

धन की कमी: इस दोष के कारण जातक को धन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इस दोष से प्रभावित लोगों को अक्सर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।

तनावः इस अशुभ दोष से प्रभावित वर-वधू को संयुक्त जीवन का सामना करना पड़ता है, जो काफी कठिन हो सकता है। साथ ही उन्हें अपने व्यक्तिगत जीवन में तनाव और तकलीफों का सामना करना पड़ सकता हैं, जिससे उनकी संघर्ष क्षमता पर भी असर पड़ता है।

वैवाहिक संबंधः अगर वर-वधू की नाड़ी आदि हो और उनका विवाह कर दिया जाएं, तो ऐसा वैवाहिक संबंध लंबे समय तक नहीं रहता है और किसी न किसी कारण विवाह अलग हो  जाता है। 


नाड़ी दोष को दूर करने के ज्योतिष उपाय

 इस दोष के कारण आपके जीवन में समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, धन संबंधी मुद्दे, परिवार में संघर्ष और अन्य समस्याएं। कुछ ज्योतिष उपाय हैं, जो आपको नाड़ी दोष से बचने में  मददगार होते है

नाड़ी दोष के लिए मंत्र जप एक शक्तिशाली ज्योतिष उपाय है, जो नाड़ी दोष से बचने में मदद कर सकता है। आप दैनिक रूप से ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘ॐ नमः नारायणाय’, ‘ॐ श्री हं हं सह’ जैसे मन्त्रों का जाप कर सकते हैं।

 धात्री पूजा भी इस दोष से छुटकारा पाने के लिए एक अच्छा ज्योतिष उपाय है। इस दोष से छुटकारा पाने के लिए धात्री पूजा विधि का अनुसरण करके धात्री देवी की पूजा की जाती है।

 विवाह के पहले कुंडली मिलान करना एक अच्छा विचार हो सकता है, जिससे आप दोनों जीवन साथी के कुंडली में नाड़ी दोष होने की संभावना को जान सकते हैं।

इस दोष से बचने के लिए रत्न धारण भी एक उपाय हो सकता है। आप गोमेद, मूंगा, माणिक्य या पुखराज जैसे रत्न ज्योतिष की सलाह अनुसार धारण कर सकते हैं।

 महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख बार भक्ति पूर्वक जाप करने से इस दोष का प्रभाव कम हो जाता है और जातक शांतिपूर्वक जीवनसाथी के साथ जीवन व्यतीत करता है।

 अगर किसी जोड़े की कुंडली में नाड़ी दोष है, तो भावी दुल्हन की शादी से पहले भगवान विष्णु की मूर्ति से उस कन्या का विवाह करना चाहिए। यह उपाय इस अशुभ दोष के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

ज्योतिष के अनुसार अगर किसी व्यक्ति के विवाह में यह दोष बाधा उत्पन्न कर रहा है, तो उसे स्वर्ण दान, वस्त्र दान, अन्न दान आदि का दान करना चाहिए।

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