नरक चर्तुदशी 2019: इस दिन व्रत करने से मिलता है खूबसूरती का वरदान

नारद जी के वचन सुन योगीराज ने वैसा ही किया और उस व्रत के फलस्वरूप उनका शरीर पहले जैसा स्वस्थ एवं सुंदर हो गया। अत: तभी से इस चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी के नाम से जाना जाने लगा।

Update: 2019-10-26 05:20 GMT

जयपुर: 25 अक्टूबर को धनतेरस और उसके आगे दिवाली , लेकिन दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती हैं जिसे रूप चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी कहते हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का बड़ा महत्व हैं। व्रत व उपासना का विधान है। इस दिन किए गए व्रत से स्वस्थ और रूपवान शरीर की प्राप्ति होती हैं। रूप चतुर्दशी के इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथानुसार....

ये है महात्म्य

प्राचीन समय पहले हिरण्यगर्भ नामक राज्य में एक योगी रहते थे। एक बार योगीराज ने प्रभु को पाने की इच्छा से समाधि धारण करने का प्रयास किया। अपनी इस तपस्या के दौरान उन्हें अनेक कष्टों का सामना करना पडा़। उनकी देह पर कीड़े पड़ गए, बालों, रोओं और भौंहों पर जुएं पैदा हो गई।अपनी इतनी विभत्स दशा के कारण वह बहुत दुखी होते हैं। तभी विचरण करते हुए नारद जी उन योगी राज जी के पास आते हैं और उन योगीराज से उनके दुख का कारण पूछते हैं। योगीराज उनसे कहते हैं कि, हे मुनिवर मैं प्रभु को पाने के लिए उनकी भक्ति में लीन रहा परंतु मुझे इस कारण अनेक कष्ट हुए हैं ऎसा क्यों हुआ?

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योगी के करूणा भरे वचन सुनकर नारदजी उनसे कहते हैं, हे योगीराज तुमने मार्ग तो उचित अपनाया किंतु देह आचार का पालन नहीं जान पाए इस कारण तुम्हारी यह दशा हुई है।नारद जी के कथन को सुन, योगीराज उनसे देह आचार के विषय में पूछते हैं इस पर नारदजी उन्हें कहते हैं कि सर्वप्रथम आप कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन व्रत रखकर भगवान की पूजा करें क्योंकि ऎसा करने से शरीर पुन: पहले जैसा स्वस्थ और रूपवान हो जाएगा।

नारद जी के वचन सुन योगीराज ने वैसा ही किया और उस व्रत के फलस्वरूप उनका शरीर पहले जैसा स्वस्थ एवं सुंदर हो गया। अत: तभी से इस चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी के नाम से जाना जाने लगा।

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