Navratri 2022 Maa Chandraghanta: ऐसे करें माँ चन्द्रघण्टा की आराधना, मिलेगा मनचाहा फल

Navratri 2022 Maa Chandraghanta: ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है।

Written By :  Preeti Mishra
Update: 2022-09-28 08:22 GMT

maa chandraghanta (Image credit : social media )

Shardiya Navratri 2022 Maa Chandraghanta: पिण्डजप्रवरारुढा चन्द्रकोपास्त्रकैर्युता । प्रसादम तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ।।

माँ भगवती के तीसरे रूप को चन्द्रघण्टा की संज्ञा दी गयी है जिनके ललाट में घण्टा के समान गोलाकार चंद्रमा विद्यमान है। इनकी पूजा करने से दिव्य शक्ति की प्राप्ति होती है। व समस्त पाप नष्ट होते हैं। माँ की यह मुद्रा सद्यः फलदायी कही गयी है। इनकीआराधना करने वाला साधक सिंह के समान पराक्रमी व निर्भय रहता है।


                                                                        ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है। इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं, दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार बताते हैं कि हमें चाहिए की अपने मन, वचन व कर्म से माँ चन्द्रघण्टा के शरणागत होकर अनन्य भाव से इनकी पूजा करें। ये इह लौकिक समस्त सुखो को प्रदान करती हुई परलोक में सद्गति भी प्रदान करती हैं अतः इन्हें भुक्त मुक्त प्रदायनी भी कहा गया है।

देवी चंद्रघंटा को आमतौर पर तीन आंखों के रूप में चित्रित किया जाता है, उनके माथे पर चंद्रमा होता है, और एक शेर पर आरूढ़ होता है। देवी को दस हाथों से भी दर्शाया गया है। देवी अपने चार बाएं हाथों में कमल, धनुष, बाण और एक माला रखती हैं, जबकि दूसरी अभय मुद्रा की मुद्रा दिखाती है।

दाहिने हाथों में, वह एक त्रिशूल, गदा, तलवार, कमंडल रखती है, और अपने दाहिने हाथ से ज्ञान मुद्रा या वरद मुद्रा दिखाती है। हालाँकि, युद्ध के समय, चंद्रघंटा माता को हाथों में घंटी पकड़े हुए युद्ध की आवाज़ करते हुए चित्रित किया गया है। युद्ध की आवाज के डर से कई राक्षस युद्ध के मैदान से भाग जाते थे।

चंडी के देवी कवच ​​में, नव दुर्गा देवी - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा आदि को मां देवी चंडी के रूप में वर्णित किया गया है।

चंद्रघंटा की पूजा करने के लाभ

माना जाता है कि देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक में निर्भयता आती है। साथ ही, उन्हें भक्तों को अपनी सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ धन और स्वास्थ्य की दाता भी माना जाता है।

नवरात्रि तीसरे दिन का शुभ रंग

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। यह दिन लाल रंग को समर्पित है। देवी चंद्रघंटा एक बाघिन पर आरूढ़ हैं और उनके माथे पर आधा चाँद पहनती हैं। चूंकि उनके माथे पर आधा चाँद घंटी की तरह दिखता है और इसी वजह से उन्हें चंद्र-घण्टा के नाम से जाना जाता है। वह दस हाथों से चित्रित है और अपने चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल रखती है और पांचवें बाएं हाथ को वरद मुद्रा में रखती है। वह अपने चार दाहिने हाथों में कमल का फूल, तीर, धनुष और जप माला धारण करती है और पांचवें दाहिने हाथ को अभय मुद्रा में रखती है।

हालांकि यह देवी का एक शांतिपूर्ण रूप है और माना जाता है कि यह आपको अपने सभी भयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि उनके माथे पर चंद्र-घंटी की आवाज उनके भक्तों से सभी प्रकार की आत्माओं को दूर कर देती है। उनका पसंदीदा फूल चमेली भी है और इसलिए आप नवरात्रि के दिन माता चंद्रघंटा को ये फूल चढ़ा सकते हैं।

मन्त्र: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माँ चंद्रघंटा की आरती

जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम॥

चन्द्र समाज तू शीतल दाती। चन्द्र तेज किरणों में समाती॥

मन की मालक मन भाती हो। चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥

सुन्दर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली॥

हर बुधवार को तुझे ध्याये। श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥

मूर्ति चन्द्र आकार बनाए। शीश झुका कहे मन की बाता॥

पूर्ण आस करो जगत दाता। कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥

कर्नाटिका में मान तुम्हारा। नाम तेरा रटू महारानी॥

भक्त की रक्षा करो भवानी।

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