Navratri 8th Day Maa Mahagauri Puja: आज कर लें बस ये काम,मां महागौरी करेंगी समस्त पापों का नाश, भरेंगी आपका अन्न-धन का भंडार

Navratri 8th Day Maa Mahagauri Puja: आज महाअष्टमी की पूजा में मां महागौरी की पूजा का विधान है।इनकी पूजा से मनवांछित फल मिलते है... जानते है कैसे

Update:2024-10-10 06:18 IST

Navratri 8th Day Maa Mahagauri Puja:  नवरात्रि में अष्टमी पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। सुंदर,अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। महागौरी की आराधना( Worship) से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्‍ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।

मां दुर्गा का आठवां स्वरुप

चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं। नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरा की पूजा की जाती है। ये शिवजी की अर्धांगिनी है। कठोर तपस्या के बाद देवी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। देवी महागौरा का शरीर बहुत गोरा है।

महागौरा के वस्त्र और आभूषण श्वेत होने के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है । महागौरा की चार भुजाएं है जिनमें से उनके दो हाथों में डमरु और त्रिशूल है और अन्य दो हाथ अभय और वर मुद्रा में है । माता का वाहन वृष है ।

मान्यता के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए किये गए कठोर तप के कारण मां पार्वती का रंग काला और शरीर क्षीण हो गया था, तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने मां पार्वती का शरीर गंगाजल से धोया तो वह विद्युत प्रभा के समान गौर हो गया। इसी कारण मां को महागौरी के नाम से पूजते हैं । अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए मां गौरी को चुनरी भेंट करती है। देवी महागौरी का ध्यान, स्रोत पाठ और कवच का पाठ करने से 'सोमचक्र' जाग्रत होता है जिससे संकट से मुक्ति मिलती है और धन, सम्पत्ति की वृद्धि होती है।

ये अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के पाप धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना और आराधना करना कल्याणकारी होता है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। इन सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मां के पूजन में इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

नवरात्रि में आठवे दिन करें ये काम

नवरात्रि में मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने के लिए पूजा के दौरान कमल का फूल चढ़ाएं। अगर आपके पास कमल का फूल नहीं है तो नवरात्रि में अपने घर कमल के फूल वाली कोई तस्वीर भी लगा सकते हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्‍न होती हैं।

धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए चांदी या सोने का सिक्‍का घर पर लाने से बरकत आती है। मान्यता है कि मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

अगर आपके घर में कोई व्‍यक्ति काफी समय से बीमार है तो नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को लाल रंग के पुष्‍प अर्पित करें। इसके साथ ही ऊं क्रीं कालिकायै नम: मंत्र का जप करें। कहते हैं कि ऐसा करने मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नवरात्रि में मोरपंख को घर में लाना भी बहुत शुभ माना जाता है। मां लक्ष्‍मी की सवारी में से एक मोर भी होता है। मोर पंख को घर पर लाने से आपके घर में मां लक्ष्मी की कृपा भी आती है।

नौ देवियों के नौ ध्यान मंत्र होते हैं ऐसे में आपके घर जिस भी दिन जिस माता की पूजा हो उस दिन सबसे छुपकर घर में माता के ध्यान मंत्र का कम से कम 108 बार जप कीजिए, क्योंकि ऐसा करने वाले लोगों को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। इसी के साथ ऐसा करने वाले व्यक्ति को मनचाहा वरदान प्राप्त मिल जाता है।

.जो लोग धन लाभ पाना चाहता हैं वह शाम को माँ की पूजा कुछ खास तरीके से करें, क्योंकि अगर वह ऐसा करते हैं तो उन्हें धन की प्राप्ति आसानी से हो जाती है। इसके लिए पूजन आरंभ करने से पहले आप अपने आसन के सामने 9 दिए जला ले और एक थाली में स्वास्तिक का चिन्ह बना लें और इसे भी अपने सामने रख लें। मनोकामना पूर्ति के लिए रोजाना एक घी का दिया तुलसी माता के सामने जरूर जलाएं, लेकिन ध्यान रखें कि यह दिया आपको आधी रात को जलाना हैं क्योंकि इससे मां दुर्गा आपसे खुश हो जाएंगी।

नवरात्रि में दान करना सबसे पुण्य का काम होता हैं और शास्त्रों में भी कहा गया हैं कि हर इंसान को दान करना चाहिए। कहते हैं नवरात्रि में किसी गरीब या फिर जरूरतमन्द व्यक्ति की सहायता करने से भी पुण्य मिलता है।

महागौरी का ध्यान 

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।

वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।

कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

महागौरी का स्तोत्र पाठ

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।

ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।

डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।

वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

माता महागौरी की कवच

ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।

क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥

ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।

कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

महागौरी का मंत्र या बीज मंत्र का जाप करें...

श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥


इस दिन कन्या पूजन और उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराने का अत्यंत महत्व है। सौभाग्य प्राप्‍ति और सुहाग की मंगलकामना लेकर मां को चुनरी भेंट करने का भी इस दिन विशेष महत्व है। मां की आराधना हेतु सर्वप्रथम देवी महागौरी का ध्यान करें। हाथ जोड़कर इस मंत्र का उच्चारण करें

"सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥"


इस मंत्र के उच्चारण के पश्चात महागौरी देवी के विशेष मंत्रों का जाप करें और मां का ध्यान कर उनसे सुख, सौभाग्य हेतु प्रार्थना करें।

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