Navratri 2025 Puja Vidhi: नवरात्र में इन पेड़ों की पूजा से मिलती है खास शुभता और सम्पन्नता, जानिए इनके आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में
Navratri 2025 Puja Vidhi: आज हम आपको ऐसे पेड़ों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे नवरात्रि के दौरान पूजने से घर में खास शुभता और सम्पन्नता आती है...;
Navratri 2025 (Image Credit-Social Media)
Navratri 2025: पावन पर्व नवरात्र के दौरान हिंदू धर्म में शक्ति की देवी दुर्गा की आराधना का खास महत्व होता है। लोग देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तरह - तरह से उनका पूजन वंदन करते हैं। जिनमें फल मिठाई और सुगंध के साथ पुष्प की विशेष भूमिका होती है। इसी के साथ नौ दिनों तक घर को शुद्ध और पवित्र बनाने के लिए कुछ पौधों को लगाने और उनकी पूजा करने से देवी कृपा का विशेष लाभ मिलता है। जिनमें तुलसी, शंखपुष्पी, केले और हरश्रृंगार जैसे पूजनीय पौधों का अपनी खूबियों के चलते नवरात्र में और अधिक महत्व बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर इन पौधों की पूजा करने से घर में सुख, शांति और सम्पन्नता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं धार्मिक, पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में विस्तार से-
1. तुलसी (Ocimum Sanctum)
धार्मिक महत्व
तुलसी माता भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है। नवरात्र में तुलसी के पौधे की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इसे मां लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है और इसकी पूजा करने से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
पौराणिक महत्व
पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, तुलसी देवी एक कन्या थीं, जिन्होंने भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
तुलसी विवाह का आयोजन विशेष रूप से कार्तिक मास में किया जाता है, जो भगवान विष्णु और तुलसी माता के पवित्र मिलन का प्रतीक है।
वैज्ञानिक महत्व
तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो वातावरण को शुद्ध बनाते हैं। यह ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने और वायु को शुद्ध करने में सहायक होती है। तुलसी के सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
2. शंखपुष्पी (Convolvulus Pluricaulis)
धार्मिक महत्व
यह एक औषधीय पौधा है, जिसे नौ दिनों की उपासना के दौरान मां दुर्गा को अर्पित करने से ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है। शंखपुष्पी का उपयोग मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जाता है।
पौराणिक महत्व
माना जाता है कि यह पौधा देवताओं को प्रिय है और इसे महर्षि अगस्त्य और अन्य ऋषियों द्वारा ध्यान और यज्ञों में प्रयुक्त किया जाता था। इसे सरस्वती देवी का प्रिय पौधा माना जाता है, जिससे बुद्धि और स्मरण शक्ति का विकास होता है।
वैज्ञानिक महत्व-
यह पौधा मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और याददाश्त को तेज करता है।
यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।इसका सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सा में मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है।
3. केले का पौधा (Musa)
धार्मिक महत्व
- केले के पौधे को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
- नवरात्र में केले के पौधे की पूजा करने से घर में संपन्नता और समृद्धि आती है।
- इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है और इसके पत्तों का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है।
पौराणिक महत्व
स्कंद पुराण में वर्णित है कि केले के पौधे में भगवान बृहस्पति का वास होता है, जिससे ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। दक्षिण भारत में इसे भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा में विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।
वैज्ञानिक महत्व
केले का पौधा कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। इसके फल में प्रचुर मात्रा में विटामिन और मिनरल्स होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। केले के पत्ते पर्यावरण के अनुकूल होते हैं और इनमें भोजन करने से पाचन तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
4. हरश्रृंगार (Nyctanthes Arbor-tristis)
धार्मिक महत्व
इसे पारिजात या रात की रानी भी कहा जाता है। हरश्रृंगार के फूलों को मां दुर्गा को अर्पित करने से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।यह पौधा आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
पौराणिक महत्व
महाभारत के अनुसार, पारिजात वृक्ष स्वर्ग से धरती पर आया था और भगवान कृष्ण ने इसे अपनी पत्नी सत्यभामा के लिए द्वारका में स्थापित किया था। यह पौधा अमरता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
वैज्ञानिक महत्व
इसकी पत्तियों और फूलों में औषधीय गुण होते हैं, जो गठिया, बुखार और सर्दी-जुकाम में लाभकारी होते हैं। यह पौधा हवा को शुद्ध करने और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहायक होता है। इसके फूलों की सुगंध तनाव को कम करने में मदद करती है।
5 गुड़हल (Hibiscus Rosa-Sinensis)
धार्मिक महत्व
गुड़हल के लाल फूल मां दुर्गा और काली माता को अत्यंत प्रिय होते हैं। इसे नवरात्रि में देवी को अर्पित करने से शक्ति, ऊर्जा और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।
गुड़हल के फूलों से पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सकारात्मकता आती है।
पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह फूल भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित होता है।तंत्र साधना और विशेष अनुष्ठानों में गुड़हल का उपयोग किया जाता है।
वैज्ञानिक महत्व
गुड़हल की पत्तियों और फूलों में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह बालों और त्वचा के लिए लाभकारी होता है। गुड़हल की चाय रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होती है।
नवरात्र के दौरान इन पौधों को घर में लगाने और उनकी पूजा करने से आध्यात्मिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त होते हैं। ये पौधे न केवल धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी हैं। अतः नवरात्रि में इन पवित्र पौधों की पूजा करके मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है और साथ ही एक स्वस्थ एवं सकारात्मक वातावरण बनाया जा सकता है।