Navratri: नवरात्रि में बार-बार बुझ रही अखंड ज्योति, करें यह उपाय
Navratri: नवरात्रि में अखंड ज्योति के बुझने पर घबराने की जरूरत नहीं है। आपकी अखंड ज्योति पहले या दूसरे दिन ही बुझ गई है तो इन उपाय से आप उसे फिर से अखंड ज्योति बना सकते हैं।
नवरात्रि में घर में अखंड ज्योति जलाने से मां शेरावाली प्रसन्न होती हैं। घर में जल रही अखंड ज्योति से नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है। घर में सकारात्मक माहौल से परिवार में प्रसन्नता बनी रहती है। वहीं कुछ लोग अखंड ज्योति जलाकर अपनी मनोकामना भी मांगते हैं। नवरात्रि पर्व पर अगर आपने भी अपने घर में मां दुर्गा की चौकी सजाई है, तो अखंड ज्योति भी जलाई होगी। किसी कारण से अगर अखंड ज्योति बुझ गई है या बार-बार बुझ जाती है तो इससे मन में कई तरह के विचार आने लगते हैं।
अखंड ज्योति बुझने का नहीं लगेगा पाप
नवरात्रि में अखंड ज्योति के ज्योति बुझने पर घबराने की जरूरत नहीं है। हम आपको नौ दिनों तक बिना बुझे अखंड ज्योति जलाने का तरीका बताने जा रहे हैं। शास्त्रों में अखंड ज्योति जलाने के नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से ज्योति बुझने का पाप नहीं लगता है। अगर आपकी अखंड ज्योति पहले या दूसरे दिन ही बुझ गई है तो इन उपाय से आप उसे फिर से अखंड ज्योति बना सकते हैं।
अखंड ज्योति बुझ जाए तो क्या करें
अखंड ज्योति बुझने पर तुरंत मां से क्षमा मांग लें। अब दीपक की बची हुई जली बाती को ही बढ़ाकर फिर से जला लें। बुझे दीपक में दोबारा दूसरी बाती डालकर ज्योति नहीं जलानी चाहिए। दीपक में दूसरी बाती लगाने से ज्योति को खंडित माना जाता है।
अखंड ज्योति की बाती कैसे बढ़ाएं
जब भी आप अखंड ज्योति की बाती बढ़ाएं तो पहले ज्योति के पास ही एक छोटा दीपक उसी अग्नि से जला कर रख लें। अगर ज्योति बुझ भी गई तो छोटे दीपक से ज्योति को फिर से जला सकते हैं। इसे खंडित नहीं माना जाता है।
अखंड ज्योति की बाती छोटी पड़ जाए तो क्या करें
अखंड ज्योति नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक जलाई जाती है। इसलिए दीपक में एक मीटर लंबी बाती का ही इस्तेमाल करें। अगर फिर भी बाती कम पड़ जाती है तो दीपक के बुझने से पहले ही उस बाती में दूसरी बाती को जोड़ दें। इससे बाती खंडित नहीं होगी और ज्योति नौ दिनों तक जलती रहेगी।
अखंड ज्योति को फूंक मारकर ना बुझाएं
नवरात्रि में नौ दिन पूरे होने के बाद भी अगर अखंड ज्योति जल रही है तो उसे जलने देना चाहिए। कभी भी अखंड ज्योति को फूंक मारकर नहीं बुझाना चाहिए। ज्योति को पूरा जलकर खुद ही बुझने दें।