Navratri 2022: मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से दिव्य ज्ञान की होती है प्राप्ति, पूजन में इस ख़ास मंत्र का करें जप

Navratri Brahmacharini Puja Vidhi: महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान"ट्रस्ट" के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार माँ दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है । यहाँ "ब्रह्म' शब्द का अर्थ तपस्या है। बता दें कि ब्रह्मचारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली ।

Written By :  Preeti Mishra
Update: 2022-09-27 08:45 GMT

maa brahamcharini (Image credit: social media)

2022 Navratri Brahmacharini Puja Vidhi: नवरात्रि के 9 दिनों में शक्ति के 9 स्वरूपों की साधना की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन देवी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा साधना और आराधना की जाती है। सनातन धर्म में ब्रह्मचारिणी का अर्थ अनंत में विद्यमान होता है। सीधी और सरल भाषा में समझा जाए तो एक ऐसी सकारात्मक ऊर्जा जो अनन्त में विचरण करती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। जिनकी सच्चे भाव से पूजा करने से व्यक्ति को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है।


                                                                                           ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान"ट्रस्ट" के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार माँ दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है । यहाँ "ब्रह्म' शब्द का अर्थ तपस्या है। बता दें कि ब्रह्मचारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली ।कहा भी गया है कि वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म -वेद, तत्व और तप 'ब्रह्म 'शब्द के अर्थ हैं ।

ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य है । इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमण्डलु रहता है । शिवप्रिया सती ने जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में स्वयं को नष्ट कर लिया पश्चात हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न हुयी ।सात वर्ष की अवस्था में जब की उन्हें पूर्व जन्म के सारे वृत्तांत ज्ञात थे ।

शिव जी को पुन; प्राप्त करने हेतु तपस्या करने का निश्चय किया उसी समय देवर्षि नारद हिमांचल के दरवार में उपस्थित होकर पर्वतराज की पुत्री को तप,करने के लिए प्रेरित किया । उनकी प्रेरणा पाकर उक्त कन्या ने पहले फलाहार फिर शाक का आहार तत्पश्चात उपवास रखते हुये खुले आकाश के नीचे तीन हजार वर्षो तक भगवान शिव की आराधना करतीं रहीं तपश्चर्या से उनका तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी के नाम से अभिहित हुई तपस्या के समय सूखे पत्ते भी उन्होंने खाया था ।

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार उपरोक्त कारणों से भी उनको अपर्णा भी कहा गया । तपस्या के समय उनकी माता मैना ने उन्हें तपस्या से विरत होने के लिए कहा था । अरे उ मा अर्थात यह तपस्या न करो अत; उनका एक नाम उमा भी पड़ गया ! नवरात्र के दुसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी देवी की उपासना करने से मनुष्य के जीवन मेंतप ,त्याग ,वैराग्य सदाचार व संयम की प्राप्ति होती है ।।

इन मन्त्रों का करें जप है विशेष फलदायक

पंडित राकेश पाण्डेय के मुताबिक़ माँ ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करते समय इन मन्त्रों का उच्चारण करना बेहद शुभ माना जाता है।

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्!

जपमालाकमण्डलु,धराब्रह्मचारिणी शुभाम् ।

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम ।।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

नवरात्रि में देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार पूर्वजन्म में मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए उन्होंने देवर्षि नारद जी की सलाह पर कठिन तपस्या की थी। जिसके कारण माता का नाम ब्रह्मचारिणी या फिर तपश्चारिणी पड़ा। पौराणिक मान्यता है कि भगवाान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता ने कई वर्षों तक फल-फूल खाकर बेहद कड़ी तपस्या की थी।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजन - विधि

नवरात्रि के दूसरे दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद मांं ब्रह्मचारिणी की फोटो को चौकी में रखकर गंगाजल छिड़ककर स्नान कराएं और उसके बाद देवी को वस्त्र, पुष्प, फल, आदि अर्पित करें. देवी की पूजा में आज विशेष रूप से सिन्दूर और लाल पुष्प जरूर अर्पित करें। मान्यता है कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में केसर की खीर, हलवा या फिर चीनी का भोग लगाने पर शीघ्र ही देवी कृपा की प्राप्ति होने के साथ साधक को सभी प्रकार के सुख भी प्राप्त होते हैं।

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