Navratri Ninth Day Maa Siddhidatri: नवरात्रि के नौवें दिन पूजा ऐसे करें, मां सिद्धिदात्री बदलेंगी आपकी किस्मत

Navratri Ninth Day Maa Siddhidatri: नवरात्रि का अंतिम दिन, सिद्धिदात्री देवी को समर्पित होता है। जानिए इसकी पूजा विधि

Update:2024-10-10 14:15 IST

Navratri Ninth Day Maa Siddhidatri:  नवरात्रि का नवां दिन मां सिद्धिदात्री देवी नवरात्रि के नौवें दिन की उपासना की जाने वाली देवी हैं और वे माता दुर्गा के नवम रूप के रूप में पूजी जाती हैं। उनका नाम "सिद्धिदात्री" का अर्थ होता है "सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी"। यह देवी सभी प्रकार की सिद्धियों, यानी अलौकिक और आध्यात्मिक शक्तियों को प्रदान करती हैं।

नौवें व अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की उपासना से सिद्धियां प्राप्त होती हैं। देवी सिद्धिदात्री की उपासना से केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव की प्राप्ति होती है। अगर कुंडली में केतु नीच का हो या केतु की चंद्रमा से युति हो या केतु मिथुन अथवा कन्या राशि में हो षष्ट भाव में स्थित होकर नीच का एवं पीड़ित हो, उन्हें देवी सिद्धिदात्री सर्वश्रेष्ठ फल देती हैं।

भगवान शिव ने भी इसी देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। देवी की पूजा नौंवे दिन की जाती है। ये देवी सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं। उपासक या भक्त पर इनकी कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव हो जाते हैं। हिमाचल के नंदापर्वत पर इनका प्रसिद्ध तीर्थ है।

दुर्गा देवी के नौवें रूप का स्वरुप

का देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा और बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। इनका वाहन सिंह है और यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। विधि-विधान से नौंवे दिन इस देवी की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये देवी का अंतिम रूप हैं। इनकी साधना करने से लौकिक और परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।

मां के चरणों में शरणागत होकर हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उपासना करना चाहिए। इस देवी का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें अमृत पद की ओर ले जाते हैं। इस तरह नवरात्र के नवें दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना करने वाले भक्तों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की होती है। सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का भी स्वरूप कहा जाता है जो श्वेत वस्त्र धारण किए भक्तों का ज्ञान देती है।

सिद्धिदात्री देवी का वाहन

इनका वाहन सिंह होता है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना से साधक को जीवन में सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है और वह मुक्ति की ओर अग्रसर होता है।

मां सिद्धिदात्री के मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

सिद्धिदात्री माता ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

सिद्धिदात्री माता बीज मंत्र

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:

मां सिद्धिदात्री की कथा

देवी पुराण में वर्णन है कि भगवान शिव ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। संसार में सभी वस्तुओं को सहज पाने के लिए नवरात्रि के 9वें दिन इनकी पूजा की जाती है। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। ये कमल पर आसीन हैं और केवल मानव ही नहीं बल्कि सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर सभी इनकी आराधना करते हैं। यह मां का प्रचंड रूप है, जिसमें शत्रु विनाश करने की अदम्य ऊर्जा समाहित है। इस स्वरूप को तो स्वयं त्रिमूर्ति यानी की ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी पूजते हैं।

नवरात्रि की पूजा विधि 

प्रात:काल स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने के बाद सबसे पहले मां की चौकी पर मां सिद्धिदात्री की तस्वीर या मूर्ति रखें। उनको पुष्प, अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, फल आदि समर्पित करें। आज के दिन मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाएं। नवरात्रि के 9वें और आखिरी दिन माता सिद्धिदात्री के बाद अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से आपके जीवन में आने वाली परेशानियों से बचाव होता है।

नवरात्रि के नौवें दिन का भोग 

नौवें दिन सिद्धिदात्री को मौसमी फल, हलवा, पूड़ी, काले चने और नारियल का भोग लगाया जाता है। जो भक्त नवरात्रों का व्रत कर नवमीं पूजन के साथ व्रत का समापन करते हैं, उन्हें इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से मां का पूजन करें। मां की पूजा के बाद छोटी बच्चियों और कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। भोजन से पहले कन्याओं के पैरा धुलवाने चाहिए। उन्हें मां के प्रसाद के साथ दक्षिणा दें और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें। नवमी के दिन पूजा करते समय बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ रहता है। यह रंग अध्यात्म का प्रतीक होता है।

नवरात्रि के नौवें दिन पूजा विधि का महत्व

सिद्धिदात्री देवी की पूजा से भक्तों को आठ प्रमुख सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, जिन्हें "अष्टसिद्धि" कहा जाता है। ये सिद्धियाँ इस प्रकार हैं:

अणिमा – शरीर को अति सूक्ष्म करने की शक्ति

महिमा – शरीर को विशाल बनाने की शक्ति

गरिमा – भारी बनाने की शक्ति

लघिमा – हल्का बनाने की शक्ति

प्राप्ति – मनचाही वस्तु प्राप्त करने की शक्ति

प्राकाम्य – इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति

ईशित्व – सभी पर शासन करने की शक्ति

वशित्व – सभी को वश में करने की शक्ति

इनकी कृपा से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है। सिद्धिदात्री देवी की उपासना से भक्त का मन शांत और समर्पित होता है तथा उसे आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव होता है।

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