Paap Aur Punya Kya Hai: कलियुग में पाप पुण्य के फल

Paap Aur Punya Kya Hai: कलियुग में एक बड़ा भारी गुण यह है कि इसमें पुण्य कर्म तो मन के संकल्प मात्र से ही फल देने वाले हो जाते हैं, परंतु पाप कर्म संकल्प मात्र से फल नहीं देते, उनका फल तो शरीर से करने पर ही होता है।

Written By :  Kanchan Singh
Update:2024-11-03 12:33 IST
Paap Aur Punya Kya Hai (Pic: Newstrack)

कलियुग का पुनीत प्रताप

कलि कर एक पुनीत प्रतापा।

मानस पुन्य होहि नहि पापा।।

कलियुग में एक बड़ा भारी गुण यह है कि इसमें पुण्य कर्म तो मन के संकल्प मात्र से ही फल देने वाले हो जाते हैं, परंतु पाप कर्म संकल्प मात्र से फल नहीं देते, उनका फल तो शरीर से करने पर ही होता है।

जिस प्रकार सतयुग त्रेता और द्वापर में मानसिक पापों के भी फल जीवो को भोगने पड़ते थे। उस प्रकार कलियुग में नहीं होता। यह कलियुग की एक विशेषता है।

इसी पुनीत प्रताप के कारण कलियुग में जीवो के लिए कुशल है, नहीं तो उनका पाप से उद्धार होना अत्यंत कठिन हो जाता।

मानस- पुण्य उसे कहते हैं, जिसकी मन में सच्ची धारणा हो। जैसे किसी ने ब्राह्मण- भोजन कराने के लिए आटा , चीनी घी आदि सामान इकट्ठा किया , वह दूसरे दिन ब्राह्मण- भोजन कराना चाहता था; परंतु संयोगवश उसी रात को मर गया। ऐसी अवस्था में मानस पुण्य के रुप में उसे ब्राह्मण भोजन कराने का फल मिलेगा। और मन में अपने इष्ट देव का ध्यान तथा स्मरण और जप का निरंतर अभ्यास करना तो दिव्य मानसिक पुण्य है ही।

( कल्याण पत्रिका से साभार।)

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