Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष में क्या करें, क्या ना करें, जानें सब कुछ, ऐसे होंगे पितर सन्तुष्ट

Pitru Paksha 2022: महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्र्स्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार पितृपक्ष 11 सितम्बर रविवार से आरम्भ हो रहा है। इस वर्ष पितृ पक्ष 15 दिन का है।;

Written By :  Preeti Mishra
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Update:2022-09-03 16:55 IST
Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष में क्या करें, क्या ना करें, जानें सब कुछ, ऐसे होंगे पितर सन्तुष्ट
ऐसे में समस्त पूर्वजों एवं मृत परिजनों का तर्पण किया जाता हैं। लेकिन पितरों के साथ ही उन्हें भी जल दिया जा सकता हैं जिन्हें जल देने वाला कोई न हो।
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Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष इस वर्ष रविवार 11 सितम्बर से आरम्भ हो रहा है उस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से ही पितृपक्ष आरम्भ हो जाएगा। एतदर्थ उसी दिन से पितृ तर्पण व पिण्ड दानादि कार्य आरम्भ हो जायेगा। पितृविसर्जन 25 सितम्बर को है।

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्र्स्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार पितृपक्ष 11 सितम्बर रविवार से आरम्भ हो रहा है। इस वर्ष पितृ पक्ष 15 दिन का है। "मध्याह्ने श्राद्धम् समाचरेत" अतः श्राद्ध कार्य कभी भी मध्याह्न में ही करना चाहिए। बहुत लोग इस बात से भ्रमित रहते है कि इस वर्ष अपनी कन्या या पुत्र का विवाह आदि मांगलिक कार्य किया है अतः इस वर्ष पितृ पक्ष का जल दान, अन्न दान व पिण्ड दान न करें। यह अशुभ है।

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्र्स्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय 

महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्र्स्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय 

परन्तु निर्णय सिंधुकार के कथनानुसार सभी मांगलिक कार्यों में पितृ कार्य उत्तम व आवश्यक माना गया है। तभी तो हम जनेऊ, विवाह आदि मांगलिक कृत्य करने से पूर्व नान्दीमुख श्राद्ध अवश्य करते है।अभिप्रायः यह है कि हमारे यहाँ होने वाले शुभ कार्य मे किसी भी प्रकार का विघ्न न हो ! यह पितृ पक्ष वर्ष में 1 वार आश्विन कृष्ण पक्ष में पितरों की पूजा हेतु आता है।

कहा गया है कि देवताओं की की गयी पूजा में कदाचित भूल होने पर देवता क्षमा कर देते है परन्तु पितृ कार्य में न्यूनता व आलस्य प्रमाद करने से पितर असन्तुष्ट हो जातें है, जिससे हमें रोग,शोक,आदि भोगने पड़ते है ।शास्त्रों में हर जगह नित्य देखने को मिलता है कि मातृ देवो भव, पितृ देवो भव अतः माता-पिता के समान कोई देवता नही उनकी संतृप्ती व आशीर्वाद हमें जीवन मे हर प्रकार का सुख देता है। अतः इस भ्रान्ति को मन मस्तिष्क में न पालकर इस पितृ पर्व को हर्षोल्लास पूर्वक मनाना चाहिए। जिसमें नित्य जल दान व तिथि पर अन्न वस्त्र आदि दान करना चाहिए।

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते है इस वर्ष पितृपक्ष की तिथियाँ निम्न है।

प्रतिपदा श्राद्ध 11 सितम्बर रविवार को

द्वितीया श्राद्ध- सोमवार 12 सितम्बर

तृतीया- मंगलवार 13 सितम्बर

चतुर्थी-बुधवार 14 सितम्बर

पंचमी- गुरुवार 15 सितम्बर

षष्ठी-शुक्रवार 16 सितम्बर

सप्तमी-शनिवार 17 सितम्बर

अष्टमी-रविवार 18 सितम्बर

नवमी-सोमवार 19 सितम्बर

दशमी-मंगलवार 20 सितम्बर

एकादशी-बुधवार 21 सितम्बर

द्वादशी-गुरुवार 22 सितम्बर

त्रयोदशी-शुक्रवार 23 सितम्बर

चतुर्दशी-शनिवार 24 सितम्बर

अमावस्या रविवार को 25 सितम्बर

जिनके पिता के मृत्यु तिथि ज्ञात न हो उनका श्राद्ध पितृ विसर्जन को करें।

विशेष

सिर का मुण्डन पितृ पक्ष के भीतर या तिथि पर नही करना चाहिए। क्यों कि धर्म सिंधु में यह बात कही गयी है कि पितृ पक्ष में सिर के बाल जो भी गिरते है वो पितरों के मुख में जातें है अतः सिर के बाल पितृ पक्ष आरम्भ होने के एक दिन पूर्व बनवालें या भूलवश नही बनवा पाते तो पितृ विसर्जन के दिन अपराह्न काल मे बनवावें। ऐसा करने से पितर सन्तुष्ट होते है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे कुल की वृद्धि व यश कीर्ति लाभ आरोग्यता व मोनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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