मौनी अमावस्या पर रहे मौन,होगी पुण्य लोक की प्राप्ति,ऐसे दे इस दिन सूर्य को अर्ध्य
जयपुर:माघ मास में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते है। इस बार सोमवार का दिन होने से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। इस बार मौनी अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। इस दिन चंद्रमा मकर राशि में सूर्य, बुध, केतु के साथ हैं और बृहस्पति वृश्चिक राशि में हैं, जिससे अर्धकुंभ का प्रमुख शाही स्नान भी बन रहा है। इस दिन सुबह 7 बज कर 57 मिनट से पूरे दिन सूर्यास्त तक महोदय योग रहेगा। इस अवधि में स्नान-दान करना अति शुभ फल प्रदान करेगा। कहा जाता है कि इस दिन मौन रहने से पुण्य लोक की प्राप्त होती है। इस दिन प्रात:काल मौन रहकर संकल्प स्नान करने और सूर्य को दूध, तिल से अर्घ्य देना विशेष लाभकारी रहेगा। मौनी अमावस्या का पूर्ण काल प्रात: सूर्योदय से लेकर सायंकाल सूर्यास्त तक है। इस दिन अन्न, वस्त्र और स्वर्ण का दान अक्षय फल देना वाला है।
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उपाय: मौनी अमावस्या के दिन चींटियों को शक्कर मिल हुआ आटा खिलाएं। इससे आपकी मनोकामना पूरी होगी। इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। इसके बाद किसी तालाब या नदी में जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। इस उपाय से आपके जीवन की अनेक परेशानियों का अंत हो सकता है।
शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रूई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। जो लोग गरीबी से त्रस्त है, संतान प्राप्ति न होती हो, व्यवसाय शुरू होते ही ठप्प पड़ जाता हो, उनके लिए मौनी अमावस्या का पर्व विशेष फल लेकर आ रहा है। ऐसे पीड़ित लोग चांदी का छोटा सा पीपल बनाकर दान करेंगे तो सारे दुर्योगों का विनाश हो जाएगा।
महाभारत में कहा गया है कि माघ मास में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। पद्मपुराण में कहा गया है कि माघ माह में गंगा स्नान करने से विष्णु भगवान बड़े प्रसन्न होते हैं। श्री हरि को पाने का सुगम मार्ग है माघ मास में सूर्योदय से पूर्व किया गया स्नान। इसमें भी मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है। सोमवती अमावस्या होने के कारण कोई भी अपना बिगड़ा भाग्य भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान विष्णु-तुलसी माता आदि की पूजा आदि करके सुधार सकता है।
ब्रह्मचर्य का पालन कर शिव जी को प्रिय रुद्राभिषेक करना चाहिए, विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। शनि की प्रसन्नता के लिये पिप्पलाद कथा आदि का श्रवण करना चाहिए। संभव हो तो प्रयागराज में षोडषोपचार पूजन करके त्रिवेणी में स्नान करते हुए यह मंत्र पढें‘ओम त्रिवेणी पापजातं मे हर मुक्तिप्रदा भव।' स्नान के बाद संभव हो तो ऊं नम: शिवाय' मंत्र का जाप त्रिवेणी घाट पर करना चाहिए। गोदावरी आदि पवित्र नदियों में स्नान अवश्य करना चाहिए। न कर सकें तो गंगा जल मिला कर घर में ही स्नान करें।