पूजा में बर्तनों का इस्तेमाल करते वक्त रखें कुछ महत्वपूर्ण बातों का ख्याल

तांबे को सभी धातुओं में सबसे शुद्ध माना गया है। अगर कोई अन्य धातु का पात्र नहीं तो  पूजा में तांबे से बने पात्र का प्रयोग कर सकते हैं। तांबे से सभी भगवान को जल अर्पित कर सकते हैं। केवल शनि भगवान को कभी भी तांबे के पात्र से जल न दें।

Update: 2019-06-02 06:53 GMT
फ़ाइल फोटो

जयपुर:भगवान के आशीर्वाद के लिए हर व्यक्ति पूरे मन से ईश्वर की भक्ति पूजा व व्रत करता है। लेकिन कभी कभी पूजा करने के बाद भी कई व्यक्तिओं को उसका लाभ नहीं मिल पाता हैं जिसका कारण हैं पूजा के दौरान की गई गलतियां। खासतौर से यह गलती पूजा के बर्तनों को लेकर होती हैं पूजा के दौरान भक्ति व श्रद्धा के साथ पूजा के बर्तनों को लेकर भी ध्यान देने की जरूरत है....

तांबे को सभी धातुओं में सबसे शुद्ध माना गया है। अगर कोई अन्य धातु का पात्र नहीं तो पूजा में तांबे से बने पात्र का प्रयोग कर सकते हैं। तांबे से सभी भगवान को जल अर्पित कर सकते हैं। केवल शनि भगवान को कभी भी तांबे के पात्र से जल न दें। ऐसा कर के उन्हें क्रोधित कर सकते हैं। तांबे के चम्मच, प्लेट और लोटे का प्रयोग पूजा में करना श्रेष्ठकर होता है। माना जाता है कि तांबे से शुद्ध और कोई धातु है तो वह सोना है। इसलिए सोने की जगह तांबे का प्रयोग करें। सूर्य को तांबे के पात्र में जल देना जितना श्रेष्ठकर होता है उतना ही अनिष्टकारी शनि की पूजा में होता है। इसके पीछे यही माना जाता है कि सूर्य और शनि एक दूसरे के शत्रु माने गए हैं।

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यह बात सही है कि चांदी बहुत ही शुद्ध और स्वच्छ मानी जाती है लेकिन पूजा के लिए नहीं। चांदी में खाना खाना या चांदी में रखा समान बहुत ही उच्च माना जाता है। ये स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहतर है लेकिन पूजा में इसका प्रयोग नहीं होता। चांदी पितरों के लिए प्रिय होती है। इसलिए इसे भगवान की पूजा में प्रयोग नहीं करते। लेकिन अपवाद स्वरूप केवल चंद्रमा की पूजा में चादी को श्रेष्ठकर माना गया है।

लोहा वैसे तो पूजा के लिए बिलकुल सही धातु नहीं माना गया है, लेकिन अपवाद स्वरूप लोहा केवल शनि भगवान की पूजा में प्रयोग होता है। शनि भगवान की पूजा में अगर लोहे का प्रयोग किया जाए तो वह बहुत ही शुभकारी और फलदायी मानी जाती है।

भगवान की पूजा में कभी स्टील, एल्युमीनियम, जस्ता जैसे धातुओं का प्रयोग न करें। क्योंकि ये न तो शुद्ध मानी जाती हैं न तो किसी भगवान कि विशेष पूजा में प्रयोग के लिए निमित्त हैं। इसलिए इनसे दूरी बनाएं।

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