Rahu Kaal Ka Matlab: हर दिन होता है राहुकाल, भूलकर भी न करें ये काम, जानिए इससे जुड़े रहस्य और प्रभाव

Rahu Kaal Ka Matlab: राहु की महादशा या अंतर्दशा जब किसी जातक की चलती है तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति असामान्य हो जाती है। राहु की जब युति या दृष्टि योग बनती है तो कुंडली का कोई भी स्थान और ग्रह को बुरी तरह प्रभावित करता है।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2022-02-10 10:53 IST

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Rahukaal Ka Matlab

राहुकाल का मतलब :  राहुकाल ( Rahukaal)  जिसे राहुकालम भी कहा जाता है दिन में एक मुहूर्त (२४ मिनट) की अवधि होती है जो अशुभ मानी जाती है। यह स्थान और तिथि के साथ अलग-अलग होता है, अर्थात अलग-अलग स्थान के लिए राहुकाल बदलता रहता है। यह अंतर समयक्षेत्र में अंतर के कारण होता है।

राहुकाल का प्रभाव

राहु का प्रकोप शनि (Shani) से भी खराब माना जाता है। राहु की खराब दशा जब किसी पर पड़ती है तो व्यक्ति की बुद्धि और विवेक दोनों का नाश होने लगता है। ज्योतिष के अनुसार बुद्धि-विवेक नाशक राहु ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर सबसे अधिक पड़ता है।

राहु की महादशा या अंतर्दशा जब किसी जातक की चलती है तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति असामान्य हो जाती है। राहु की जब युति या दृष्टि योग बनती है तो कुंडली का कोई भी स्थान और ग्रह को बुरी तरह प्रभावित करता है। इस दौरान व्यक्ति के अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं। इतना ही नहीं कुंडली के 12 वें भाव में बैठा राहु जेल की यात्रा भी करा सकता है। राहु ग्रह के साथ सबसे बुरी बात ये है कि न चाहते हुए भी व्यक्ति बुरे काम करने के लिए बाध्य हो जाता है।

राहु काल कब से कब होता है 

ज्योतिष शास्त्र (Jyostish Shastra) के अनुसार सप्ताह के सातों दिन पड़ने वाला राहुकाल अनिष्ट कार्य करवाने की प्रबल क्षमता रखता है। इसलिए सप्ताह के सभी दिन पड़ने वाले राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। राहुकाल प्रत्येक दिन 90 मिनट तक रहता है यानि कुल मिलाकर डेढ़ घंटे की अवधि राहु काल की होती है। यह राहु काल की स्थिति स्थानीय समय के अनुसार निर्धारित होती है।

  • ज्योतिष के अनुसार सोमवार को राहुकाल की अवधि आमतौर पर सुबह 7 बजकर 30 मिनट से लेकर 9 बजे तक रहती है। राहु काल की अवधि के दौरान किए गए कोई भी कार्य शुभफलदायक नहीं होते हैं। इसलिए राहुकाल में कोई भी कार्य से बचना चाहिए।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार के दिन राहुकाल दोपहर 3:00 बजे से 04:30 बजे तक होती है। इसलिए राहुकाल की अवधि में किसी भी प्रकार के कार्यों को नहीं करना चाहिए।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधवार के दिन राहुकाल की अवधि भी डेढ़ घंटे की होती है। बुधवार के दिन राहु काल की यह अवधि दोपाहर 12:00 बजे से लेकर 01:30 बजे तक होती है। राहुकाल की इस अवधि के दौरान कोई भी कार्य करना निषेध माना गया है।
  • गुरुवार को राहुकाल दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से प्रारंभ होता है जो दोपहर 03:00 बजे तक रहता है। राहु काल की अवधि में कोई भी कार्य करने से बचना चाहिए।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्रवार को राहु काल सुबह 10 बजकर 30 मिनट से शुरू होता है और दिन के 12:00 तक रहता है।शुक्रवार को भी राहु काल की अवधि भी डेढ़ घंटे की होती है। शास्त्रों के अनुसार राहु काल की अवधि में कोई भी कार्य करने से परहेज करना चाहिए। राहु काल की अवधि में कोई भी कार्य सफल नहीं माने जाते हैं।
  • ज्योतिष के अनुसार शनिवार को राहु काल का समय सुबह 9:00 बजे से प्रारंभ होता है और 10 बजकर 30 मिनट तक रहता है। शुक्रवार को भी राहुकाल की यह अवधि शुभ नहीं मानी जाती है। इसलिए इस अवधि में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रविवार को भी राहु काल की अवधि भी डेढ़ घंटे की मानी गई है। रविवार को राहु काल शाम 4 बजकर 30 मिनट से प्रारंभ होती है और 6:00 तक रहती है। इसलिए रविवार के दिन पड़ने वाले राहु कल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

राहु काल में क्या न करें 

राहुकाल में किये गए कामोंं का विपरीत प्रभाव पड़ता है।इसलिए इस समय कुछ काम नहीं करने चाहिए ।जैसे.. 

  • इस काल में यज्ञ, पूजा, पाठ आदि नहीं करते हैं, क्योंकि यह फलित नहीं होते हैं।
  • इस काल में नए व्यवसाय का शुभारंभ भी नहीं करना चाहिए।
  • इस काल में किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए यात्रा भी नहीं करते हैं।
  • यदि आप कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो इस काल में यात्रा की शुरुआत न करें।
  • राहु काल में विवाह, सगाई, धार्मिक कार्य या गृह प्रवेश जैसे कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करते हैं।
  •  इस काल में शुरु किया गया कोई भी शुभ कार्य बिना बाधा के पूरा नहीं होता है।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

 राहुकाल कर सकते हैं ये काम और उपाय

  • राहुकाल में अगर यात्रा करना हो तो घर से निकलते वक्त मीठा या दही खाकर निकले, फिर 10 कदम उल्टा चलकर सीधा चले तो यात्रा फलित होती है।
  •  राहु ग्रह की शांति के लिए या दोष दूर करने हेतु कर्मकांड मंत्र पाठ आदि किए जा सकते हैं।
  • कालसर्प दोष की शांति के उपाय किए जा सकते हैं।
  • राहु का यंत्र धारण या राहु यंत्र दर्शन कार्य भी किए जा सकते हैं।
  • ध्यान, भक्ति के अलावा मौन रह सकते हैं।
  • यदि कोई मंगलकार्य या शुभकार्य करना हो तो हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद पंचामृत पीएं और फिर कोई कार्य करें।
    • राहुकाल में एकाक्षरी बीज मंत्र- 'ॐ रां राहवे नम:। ' तांत्रिक मंत्र- 'ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम का जप करना चाहिए

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