Ram Navami Special Story: श्रीराम ऐसे ही नहीं कहलाते मर्यादा पुरुषोत्तम, क्या आपने उनकी शिवभक्ति की यह कथा सुनी ?
Ram Navami Special Story: रामनवमी के दिन अयोध्या के राजा दशरथ के घर रामजी ने अवतार लिया था। तीनों लोकों के स्वामी जिनकी भक्ति सारी दुनिया करती है। उनक भक्त वत्सलता मिसाल योग्य है। कहते हैं कि हनुमान जी से बड़ा भक्त वत्सल कोई नहीं है, लेकिन अगर उनसे उपर भी किसी को रखा जाये तो वह है श्रीराम की भगवान शिव के प्रति भक्ति।
Ram Navami Special
रामनवमी स्पेशल
10 अप्रैल को रामनवमी (Ram Navami) है। मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम का जन्मोत्सव है। इस दिन अयोध्या के राजा दशरथ के घर रामजी ने अवतार लिया था। तीनों लोकों के स्वामी जिनकी भक्ति सारी दुनिया करती है। उनक भक्त वत्सलता मिसाल योग्य है। कहते हैं कि हनुमान जी से बड़ा भक्त वत्सल कोई नहीं है, लेकिन अगर उनसे उपर भी किसी को रखा जाये तो वह है श्रीराम की भगवान शिव के प्रति भक्ति।
कहते हैं कि बिना भगवान के भक्त अधूरा होता है उसी तरह भगवान भी भक्त के बिना अधूरे ही रहते हैं। भगवान हमेशा अपने भक्तों की किसी ना किसी माध्यम से परीक्षा लेते ही रहते हैं। यदि भगवान और भक्त की बात की जाये तो महादेव और विष्णु जी का भगवान और भक्त का जोड़ा हमेशा से ही विलक्षण रहा है और हमेशा दोनों ही किसी ना किसी माध्यम से एक दूसरे की परीक्षा लेते ही रहते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि एक बार भगवान शिव ने स्वयं विष्णु भगवान के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी की परीक्षा ली थी ?
भगवान शिव ने लिया था श्री राम की परीक्षा
त्रेतायुग में जब श्रीराम लंकापति रावण के अत्याचार से मुक्त कराकर अयोध्या लौटे थे। तो उसके बाद उन्होंने एक विशेष ब्राह्मण भोज रखा। जिसमें सभी ब्राम्हणों को उनकी पसंद के मुताबिक खाना तब तक खिलाया जबतक वो संतुष्ट न हो जाए। हनुमान जी और लक्ष्मण सभी ब्राम्हणों की सेवा में लगे हुए थे। उसी समय भगवान शिव के मन में एक शरारत सूझी और वे ब्राह्मण का रूप धारण करके श्रीराम के उस ब्राह्मण भोज में पहुँचे। शुरुआत में उन्हें उनकी पसंद का भोजन दिया गया, लेकिन वे थे तो महादेव ही उनका भोजन तो समाप्त नहीं हुआ। परन्तु श्रीराम के अन्न के भंडार समाप्त हो गए। अंत में जब कुछ नहीं बचा तब हनुमान जी श्रीराम से और अन्न लाने का आदेश लेने के लिए उनके पास पहुँचे। श्रीराम जी को पता चल गया कि वे एक साधारण ब्राम्हण नहीं, बल्कि अवश्य ही कोई देवता हैं। यह सोचकर उन्होंने स्वयं देवी सीता को उन ब्राह्मण को भोजन खिलाने के लिए बुलाया।
जैसे ही सीता जी ने उन्हें पहला निवाला खिलाया, ब्राह्मण महाराज का पेट तुरंत भर गया और उन्हें नींद भी आने लगी, परन्तु बहुत अधिक खा लेने ले कारण उन्होंने अपना भार उठाने में असमर्थता जताई। तब श्रीराम ने हनुमान से उन्हें उठाकर बिस्तर पर लिटाने के लिए कहा, लेकिन हज़ारों पहाड़ों को एक साथ आराम से उठा सकने वाले हनुमान जी भगवान रूद्र का वजन नहीं उठा पाये। अंत में लक्ष्मण जी ने अपने प्रभु श्रीराम और महादेव का ध्यान करते हुए उन्हें उठाया तो वह उठ गए और लक्ष्मण ने उन्हें उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया। हनुमान जी और लक्ष्मण जी ब्राह्मण रुपी शिव जी के पैर दबाने लगे और सीता जी उन्हें पानी पिलाने लगीं परन्तु पानी पीने के बजाय उन ब्राह्मण ने सीता जी के ऊपर ही कुल्ला कर दिया। यह देखकर सीता जी उन्हें प्रणाम करके बोलीं कि यह मेरा सौभाग्य है कि आपने मुझ पर कुल्ला किया मैं आपके इस उपकार के लिए आपके चरणों को प्रणाम करना चाहती हूँ।
मां सीता ने भगवान शिव से मांगा था यह वरदान
पर जैसे ही सीता जी उनके पैरों पर झुकीं शिव जी अपने वास्तविक रूप में आ गए। यह देखकर सभी ने उनके चरण स्पर्श किये। शिव जी ने श्रीराम से कहा कि इतना हो जाने के बाद भी आपको क्रोध नहीं आया, आप वास्तव में मर्यादा पुरुषोत्तम हैं । इसलिए आप मुझसे कोई भी वरदान माँग सकते हैं । श्रीराम जी ने वरदान माँगने से मना करते हुए कहा कि यदि आप देना ही चाहते हैं तो मुझे आपकी अनंत काल तक भक्ति करने का आशीर्वाद दीजिये।
यह सुनकर शिव जी ने उनसे कहा कि मुझे और आपको कोई अलग नहीं कर सकता परन्तु क्योंकि सीता जी ने मुझे भोजन कराया है इसलिए उन्हें मुझसे अवश्य ही कोई वरदान माँगना होगा। यह सुनकर सीता जी ने शिव जी से कहा कि यदि आप हम सबकी भक्ति से प्रसन्न हैं तो आप हमारे यहाँ कुछ समय के लिए कथा सुनाने का कार्य कर हम सबको आपकी और सेवा करने का मौका दीजिये।
रामनवमी शुभ मुहूर्त काल
त्रेतायुग में अयोध्या ( Ayodhya )के राजा दशरथ के घर चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को श्रीरामजी का जन्म हुआ था। धर्म ग्रंथों के मतानुसार यह भगवान विष्णु का सातवां अवतार था । तब से लेकर आज तक इस तिथि को राम जन्मोत्सव के रूप में मनाते है। इस साल भी रामनवमी का त्योहार 10 अप्रैल 2022 रविवार ( Sunday) को मनाया जायेगा।
भगवान राम का जन्म नवमी को दोपहर में हुआ था इसलिए इस दिन दोपहर में पूजा का विधान है
श्रीराम जन्म का मध्याह्न समय 12.32 बजे
नवमी प्रारंभः 01.23 PM (10 अप्रैल, रविवार, 2022) से
नवमी समाप्तः 03.15 PM (11 अप्रैल, सोमवार, 2022) तक। इस दिन पूजा का विशेष मुहूर्त 11.15 से 1.32 तक रहेगा।
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