Rangbhari Ekadashi Vrat Katha- रंगभरी एकादशी की पावन कथा को सुनने मात्र होगा कल्याण, जानिए क्यों कहते हैं आमलकी एकादशी?
Rangbhari Ekadashi Vrat Katha- फाल्गुन माह की पवित्र एकादशी की कथा जो सुनता हूँ, सुनाता है,उससे उत्तम फल मिलता है। एक बार इस एकादशी की पावन कथा को जानते हैं जो ब्रह्मा जी से भी जुड़ी है।
Rangbhari Ekadashi Ki Katha
रंगभरी एकादशी की कथा
हिंदू पंचांग के अनुसार साल की आखिरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ती है। इसे रंगभरी एकादशी ,आमलिक एकादशी कहते हैं। वैसे तो एकादशी की पूजा में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, लेकिन रंगभरी एकादशी ( Rangbhari Ekadashi)की पूजा के दिन भगवान विष्णु के साथ शिव की पूजा का विधान है। कहते हैं इस तिथि को भगवान शिव ( lord shiva) का गौना हुआ था।
ये पर्व काशी में मां पार्वती के प्रथम स्वागत का भी सूचक है | जिसमें उनके गण उन पर और समस्त जनता पर रंग अबीर-गुलाल उड़ाते, खुशियां मानते चलते हैं और हर हर महादेव के उद्गोष से सभी दिशाएं गुंजायमान हो जाती है इससे भगवान शिव के होने के प्रत्यक्ष प्रमाण मिलते है । कथा के अनुसार प्राचीन काल में चित्रसेन नाम का एक राजा था। उसके राज्य में एकादशी व्रत का बहुत महत्व था। राजा समेत सभी प्रजा एकादशी का व्रत बहुत ही श्रद्धा और भावपूर्वक किया करते थे।
राजा चित्रसेन को आमलकी एकादशी (amalaki ekadashi) के प्रति बहुत गहरी आस्था थी। एक बार राजा शिकार करते हुए जंगल में बहुत दूर निकल गए। उसी समय कुछ जंगली और पहाड़ी डाकुओं ने राजा को घेर लिया और शस्त्रों से राजा पर प्रहार करने लगे, परंतु जब भी कोई डाकू राजा पर शस्त्र प्रहार करता, वह शस्त्र ईश्वर की कृपा से पुष्प में परिवर्तित हो जाता। उन डाकुओं की संख्या बहुत अधिक थी, अत: राजा संज्ञाहीन होकर भूमि पर पड़ा। उसी समय राजा के शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई और उस दिव्य शक्ति ने समस्त दुष्टों को मार गिराया और वह अदृश्य हो गई।
जब राजा की चेतना लौटी तो सभी डाकुओं को मरा हुआ पाया। यह दृश्य देखकर राजा को आश्चर्य हुआ। राजा मन ही मन सोचने लगा कि इन डाकुओं को किसने मारा होगा? तभी आकाशवाणी हुई, 'हे राजन! यह सब दुष्ट तुम्हारे आमलकी एकादशी का व्रत करने के प्रभाव से मारे गए हैं। तुम्हारी देह से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्णवी शक्ति ने इनका संहार किया है। इन्हें मारकर वह पुन: तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर गई।'यह बातें सुनकर राजा को बहुत प्रसन्नता हुई और एकादशी के व्रत के प्रति राजा की श्रद्धा और अधिक बढ़ गई। राजा अपने देश वापस लौटा और राज्य में सबको एकादशी का महत्व बतलाया और इस एकादशी की कृपा से राजा पुन: सुखपूर्वक राज्य करने लगा।
रंगभरी एकादशी की दूसरी कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माना जाता है कि ब्रह्मा जी की उत्पत्ति विष्णु जी की नाभि से हुई। एक बार ब्रह्मा जी ने परब्रह्म की तपस्या कर स्वयं को जानने का प्रयास किया। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को दर्शन दिए। उन्हें देखते ही ब्रह्मा जी की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी। मान्यता है कि ब्रह्मा जी के आंसू जब उनके चरणों पर गिरे आंसू आंवले के पेड़ में बदल गए। तब विष्णु जी ने कहा कि आज से यह वृक्ष और इसका फल मुझे बेहद दी प्रिय होगा और जो भी भक्त आमलकी एकादशी के दिन इस वृक्ष की पूजा करेगा या मुझ पर य् आंवला चढ़ाएगा. वो मोक्ष की तरफ अग्रसर होगा।
रंगभरी एकादशी, तिथि और मुहूर्त (Rangbhari Ekadashi Shubh Muhurat )
ऐसे में इस बार यानि 2023 में यह एकादशी 3 मार्च 2023 को मनाई जाएगी। 02 मार्च 2023 को सुबह 06.39 मिनट पर होगी और अगले दिन 03 मार्च 2023 को सुबह 09 . 11 बजे इस तिथि की समाप्ति होगी। इस साल उदया तिथि में 3 मार्च को रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी।
एकादशी तिथि की शुरुआत - 02 मार्च 2023 को सुबह 06.39 मिनट पर होगी
एकादशी तिथि का समापन - 03 मार्च 2023 को सुबह 09 . 11 बजे इस तिथि की समाप्ति होगी, इसलिए उदया तिथि में एकादशी है।
एकादशी व्रत पारण का समय- 04 मार्च 2023 को सुबह 06 .44 मिनट से 09 .03 मिनट होगा।
पौराणिक मान्यता के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता पार्वती के विवाह के बाद पहली बार काशी नगरी आये थे। रंग भरी एकादशी के पवन पर्व पर भगवान शिव के गण उनपर और जनता पर जमकर अबीर-गुलाल उड़ाते हैं।
रंगभरी एकादशी के दिन से ही वाराणसी में रंगों उत्सव का आगाज होता है जो लगातार 6 दिनों तक चलता है। इस बार रंगभरी एकादशी 3 मार्च को है। शास्त्रों में रंगभरी एकादशी का खास महत्व है। रंगभरी एकादशी आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए भी बेहद खास है। मान्यता के अनुसार इस दिन प्रातः स्नान-ध्यान कर संकल्प लेना चाहिए। शिव को पीतल के पत्र में जल भरकर उन्हें अर्पित करना चाहिए। साथ ही अबीर, गुलाल, चंदन आदि भी शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। भोलेनाथ को सबसे अंत में अबीर और गुलाल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद अपनी आर्थिक समस्या से उबरने के लिए शिव से प्रार्थना करनी चाहिए।