Sakat Chauth 2023 Mantra : इस समय दिखेगा सकट चौथ का चांद, दीर्घायु संतान के लिए इस स्तोत्र का जरूर करें पाठ

Sakat Chauth 2023 Mantra : सकट चौथ के दिन निर्जला व्रत रखकर गणेश जी के इस स्तोत्र का पाठ करने संतान की इच्छा पूरी होती है। हर बाधा दूर होती है। विघ्नहर्ता की कृपा परिवार पर बनी रहती है...

Update:2023-01-09 09:45 IST

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Sakat Chauth 2023 Mantra :  हर साल माघ महीने के गणेश चतुर्थी को सकट, तिलवा और तिलकुटा चौथ का व्रत आता है। इस बार सकट व्रत का पूजन 10 जनवरी को होगा। ये व्रत महिलाएं संतान की लंबी आयु के लिए करती है। पहले ये व्रत पुत्र के लिए किया जाता रहा है, लेकिन अब बेटियों के लिए भी व्रत किया जाने लगा है। इस साल सकट चौथ व्रत 10 जनवरी को मनाया जाएगा। इसे सकट चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने परिवार की सुख और समृद्धि के लिए निर्जल व्रत रखती है और गणेश जी की बड़े ही धूमधाम से पूजा करती है। जिससे परिवार पर कभी भी किसी तरह की कोई समस्याएं न आए। देर शाम चंद्रोदय के समय व्रती को तिल, गुड़ आदि का अर्घ्य चंद्रमा, गणेश जी और चतुर्थी माता को देकर ही व्रत खोला जाता है। इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करती हैं। सूर्यास्त से पहले गणेश सकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा-पूजा होती है। इस दिन तिल का प्रसाद खाना चाहिए। दूर्वा, शमी, बेलपत्र और गुड़ में बने तिल के लड्डू चढ़ाने चाहिए। इस स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । इससे संतान की आयु लंबी होती है।

संकटनाशन स्तोत्र की रचना

इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणपति मंगलकर्ता हैं। विघ्न विनाशक हैं। कल्याणकर्ता हैं। जो कोई उनकी शरण में जाता है, उसका वह कल्याण करते हैं। एक बार देवर्षि नारद जी भी संकट में फंस गए। वह इधर-उधर घूमे लेकिन संकट का समाधान नहीं हुआ। तब शंकर जी के कहने पर उन्होंने संकटनाशन स्तोत्र की रचना की। इस स्तोत्र का स्तवन करने वाला कभी संकट में नहीं रहता। उसका समाधान हो जाता है। चतुर्थी के दिन इस स्तोत्र का यथासंभव पांच बार पाठ करें। ऋद्धि-सिद्धि आपके घर होंगी। किसी भी प्रकार का संकट हो, गौरीपुत्र आपकी मनोकामना को पूरी करेंगे।

संकटनाशन स्तोत्र

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्

भक्तावासं स्मरेनित्यम आयुष्कामार्थ सिध्दये ॥१॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्

तृतीयं कृष्णपिङगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥२॥

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च

सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धुम्रवर्णं तथाषष्टम ॥३॥

नवमं भालचंद्रं च दशमं तु विनायकम्

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥४॥

द्वादशेतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर:

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिध्दीकर प्रभो ॥५॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम ॥६॥

जपेद्गणपतिस्तोत्रं षडभिर्मासे फलं लभेत्

संवत्सरेण सिध्दीं च लभते नात्र संशय: ॥७॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥८

॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणेश स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

सकट चौथ की पौराणिक मान्यता

- सत्ययुग में महाराज हरिश्चंद्र के नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवा लगाया, पर आवां पका ही नहीं। बार-बार बर्तन कच्चे रह गए। बार-बार नुकसान होते देख उसने एक तांत्रिक से पूछा, तो उसने कहा कि बलि से ही तुम्हारा काम बनेगा। तब उसने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र की सकट चौथ के दिन बलि दे दी। उस लड़के की माता ने उस दिन गणेश पूजा की थी। बहुत तलाशने पर जब पुत्र नहीं मिला, तो मां ने भगवान गणेश से प्रार्थना की। सवेरे कुम्हार ने देखा कि वृद्धा का पुत्र तो जीवित था। डर कर कुम्हार ने राजा के सामने अपना पाप स्वीकार किया। राजा ने वृद्धा से इस चमत्कार का रहस्य पूछा, तो उसने गणेश पूजा के विषय में बताया। तब राजा ने सकट चौथ की महिमा को मानते हुए पूरे नगर में गणेश पूजा करने का आदेश दिया। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकट हारिणी माना जाता है।

सकट चौथ का चांद दिखने का समय - पूजा विधि


माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ पर ब्रह्मचर्य बनाए रखें। जल्दी उठें और सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद उत्तर दिशा की ओर मुंह कर गणेश जी को नदी में 21 बार, तो घर में एक बार जल देना चाहिए। सकट चौथ संतान की लंबी आयु हेतु किया जाता है। । सुबह स्नान के बाद गणेश अष्टोत्तर का जाप करें। शाम के समय भगवान गणेश की मूर्ति को एक साफ पीढ़ा पर रखें, उसे सुंदर फूलों से सजाएं। मूर्ति के सामने अगरबत्ती और दीया जलाएं। देवताओं को फल चढ़ाएं।भगवान से प्रार्थना करें। भगवान गणेश की आरती करें। इस दिन गणपति का पूजन किया जाता है। महिलााएं निर्जल रहकर व्रत रखती हैं। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दे। ये व्रत करने से दु:ख दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।वक्रतुंडी चतुर्थी, माघी चौथ अथवा तिलकुटा चौथ भी इसी को कहते हैं।चतुर्थी के दिन मूली नहीं खानी चाहिए, धन-हानि की आशंका होती है। इस दिन अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। 

मंगलवार, 10 जनवरी 2023

  • सकट चौथ तिथि का आरंभ- 10 जनवरी 2023 को 12:09 PM
  • सकट चौथ तिथि का समापन - 11 जनवरी 2023 को 02:31 PM
  • चंद्र दर्शन का समय-रात 08:51 PM
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:45 AM से 09:01 AM

इस तरह सकट चौथ के व्रत में भगवान श्री गणेश जी को तिल के लड्डू के साथ अन्य पकवान का भोग लगाया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से परिवार पर आने वाले सभी संकट कट जातें हैं और हर काम में सफलता अर्जित करते हैं।



Tags:    

Similar News