Sakat Chauth 2025 Mein Kab hai:सकट चौथ 2025 में कब है जानिए सही तारीख, शुभ महूर्त,पूजा विधि और महत्व

Sakat Chauth 2025 Mein Kab hai Date Time साल 2025 में सकट चौथ या तिलवा कब पड़ेगा जानिए शुभ मुहूर्त पूजा-विधि

Update:2024-11-22 09:07 IST

Sakat Chauth 2025 Mein Kab hai Date Time: माघ माह के गणेश चतुर्थी को सकट, तिलवा और तिलकुटा चौथ का व्रत कहते है। इस  साल 2025 में सकट चौथ का व्रत शुक्रवार 17 जनवरी 2025 को रखा जायेगा ।यह व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी  पड़ता है, इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश और सकट माता की पूजा की जाती है। यह व्रत पति की दीर्घायु और संतान की सुख समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है।

सकट चौथ का शुभ मुहूर्त 

इस दिन चन्द्रोदय का समय रात में 09 .9 मिनट का है। चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 17 जनवरी 2025 को प्रातः 04.06 मिनट पर होगा और समापन 18 जनवरी 2025 को प्रातः 05 . 30 मिनट पर होगा। ये व्रत महिलाएं संतान की लंबी आयु के लिए करती है। पहले ये व्रत पुत्र के लिए किया जाता रहा है, लेकिन अब बेटियों के लिए भी व्रत किया जाने लगा है।

अभिजीत मुहूर्त - 12:15 PM – 12:58 PM

अमृत काल - 10:11 AM – 11:53 AM

ब्रह्म मुहूर्त - 05:37 AM – 06:25 AM

चन्द्रमा सिंह राशि पर संचार करेगा

व्रत के दिन चंद्रोदय का समय 8.40-45 के बीच बताया है।

सकट चौथ कैसे करते है व्रत?

कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन गणपति का पूजन किया जाता है। महिलााएं निर्जल रहकर व्रत रखती हैं। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। ये व्रत करने से दु:ख दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।इस व्रत में तिल का खास महत्व है इसलिए जल में तिल मिलाकर जल से अर्घ्य देने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इससे आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन चन्द्रमा को तिल,गुड़ आदि से अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद ही व्रत खोलना चाहिए। गणेश जी की पूजा के बाद तिल का प्रसाद खाना चाहिए। जो लोग व्रत नहीं रखते हैं उन्हें भी गणेशजी की पूजा अर्चना करके संध्या के समय तिल से बनी चीजें खानी चाहिए। कहते हैं तिल खाने और तिल नाम के उच्चारण से पाप कट जाते हैं। इस दिन तिल का दान भी उत्तम माना गया है।

सकट चौथ का  महत्व?

12 मास में आने वाली चतुर्थी में माघ की चतुर्थी का सबसे अधिक महत्व है।

पुराणों के अनुसार, गणेश ने इस दिन शिव- पार्वती की परिक्रमा की थी।

 परिक्रमा कर माता-पिता से श्रीगणेश ने प्रथम पूज्य का आशीर्वाद का पाया था।

 इस दिन 108 बार ' ऊँँ गणपतये नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए।

 तिल और गुड़ का लड्डू श्री गणेश को चढ़ाने से रुके काम बनते हैं।

इस दिन गणेश के साथ शिव और कार्तिकेय की भी पूजा कर कथा सुनी जाती है।

सकट चौथ पर गणेश जी के प्रमुख मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

ॐ गं गणपतये नमः

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥

‘गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:। नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:। गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

एकदंताय विद्‍महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।

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