Sankashti Chaturth Kab Hai April: संकष्टी चतुर्थी वैशाख माह में कब है, जानिए पूजा विधि मुहूर्त और महत्व

Sankashti Chaturth Kab Hai April:संकष्टी चतुर्थी की पूजा करने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इस दिन सूर्योदय से लेकर चन्द्रोदय तक व्रत रखा जाता है। इस दिन भक्तों को सुबह उठकर स्नान करके पूजा घर की साफ सफाई करना चाहिए।

Update: 2023-04-07 09:45 GMT
सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Sankashti Chaturthi Vaishakh Me Kab Hai

संकष्टी चतुर्थी वैशाख माह में कब है

संकष्टी चतुर्थी प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनायी जाती है। इस दिन विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन बप्पा की सच्चे मन से पूजा करने से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। बता दें कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत एक साल में 13 बार रखे जाते हैं। और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहते हैं।

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथी यानी कि दिनांक 09 अप्रैल को संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन सुबह से ही भद्र लग रही है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। भक्त व्रत रखते हैं और रात्रि के समय चंद्रमा की पूजा करते हैं। चंद्रमा की पूजा बिना व्रत के नहीं होता है। इस दिन व्रती चंद्रमा को देखने के लिए लंबे समय का इंतजार करते हैं। संकष्टी चतुर्थी कब है, भद्रा काल कब है, चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय क्या है।

संकष्टी चतुर्थी का शुभ समय
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि दिनांक 09 अप्रैल दिन रविवार को सुबह 09:35 मिनट से लेकर इसका समापन दिनांक 10 अप्रैल को सुबह 08:37 मिनट पर होगा। 09 अप्रैल को रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत महत्वपूर्ण है।

इस दिन है भद्रा काल का समय सुबह 06:03 से लेकर सुबह 09:35 तक है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त
09 अप्रैल को भगवान गणेश की पूजा करने से उन्नति और धन की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09 . 13 मिनट से लेकर सुबह 10. 48 मिनट तक रहेगा। इस दिन अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 10 .48 मिनट से लेकर दोपहर 12 . 23 मिनट रहेगा। इन दोनों मुहूर्त में आप गणेश जी की पूजा कर सकते हैं।

चतुर्थी के दिन सिद्धि योग का शुभ मुहूर्त सुबह से लेकर रात 10:14 मिनट तक रहेगा। ये समय बहुत शुभ है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का शुभ समय देर रात 10:02 मिनट पर होगा। इस समय आप चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि और महत्व

प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाने वाली संकष्टी चतुर्थी की पूजा करने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इस दिन सूर्योदय से लेकर चन्द्रोदय तक व्रत रखा जाता है। इस दिन भक्तों को सुबह उठकर स्नान करके पूजा घर की साफ सफाई करना चाहिए। इस हल्के पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद आसन पर बैठकर संकल्प लें और भगवान गणेशजी की पूजा शुरू करें। पूजा स्थान पर लाल रंग का आसन बिछाकर बप्पा के मूर्ति को रखें।इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। उन्हें सिंदूर, दूर्वा और मोदक चढ़ाएं। इस दिन कथा सुनें। भगवान गणेश की आरती करें। इससे भगवान गणेश जल्द प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के सबी संकट दूर हो जाते हैं।

ध्यान रखें कि भगवान गणेश की पूजा करते वक्त आपका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। भगवान गणेश के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और लाल गुलाब के फूलों से उन्हें समर्पित करें। बप्पा को भोग में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, का भोग लगाएं, और फूल तांबे के लौटे में जल रखें। भगवान गणेश को दूर्वा (घास) बहुत ही प्रिय है, इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन बप्पा को दूर्वा जरूर चढ़ाएं।

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