Saphala Ekadashi Vrat: सफला एकादशी का व्रत करने से मिलता है मोक्ष,जानिये इस दिन का शुभ मुहूर्त और नियम

Saphala Ekadashi Vrat 2024: पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते है,जानते है इस दिन क्या करे

Update:2024-12-23 10:31 IST

Safala Ekadashi 2024 Date Kab Hai:सफला एकादशी 2024डेट कब है  सफला एकादशी का व्रत  पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है और इसे मोक्ष प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है। पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफल एकादशी कहते है। ये एकादशी मोक्ष की प्रार्थना के लिए मनाई जाती है। सफला एकादशी से आशय मोह को नाश करने वाली एकादशी से है। शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि जो व्यक्ति सफला एकादशी का व्रत करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला दूसरा कोई भी व्रत नहीं है।

सफला एकादशी के दिन व्रत कर श्री हरि विष्णु का पूजन करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। साथ ही जातक को कर्मों के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद वह मोक्ष को प्राप्त होता है।जानते हैं इस साल सफला एकादशी की तिथि, व्रत पारण समय और महत्व...

सफला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त-विधि

पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 दिसंबर को रात 10:29 मिनट पर शुरू होगी और इस एकादशी तिथि का समापन 27 दिसंबर को देर रात 12:43 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार पौष सफला एकादशी का व्रत 26 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा

सफला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

सफला एकादशी तिथि प्रारम्भ : 25 दिसंबर को रात 10:29 मिनट पर शुरू होगी

सफला एकादशी तिथि समाप्त :27 दिसंबर को देर रात 12:43 मिनट पर होगा

अमृत काल - 08:31 AM – 10:19 AM

ब्रह्म मुहूर्त - 05:33 AM – 06:21 AM

विजय मुहूर्त-01:34 PM से 02:17 PM

गोधूलि बेला- 04:57 PM से 05:21 PM

लाभ 07:09 AM 08:29 AM

अमृत 08:29 AM 09:48 AM

सफला एकादशी व्रत पारण समय: 27 दिसंबर को सुबह 7 . 12 मिनट से लेकर 9 .16 मिनट के बीच कर सकते हैं. द्वादशी तिथि का समापन 28 दिसंबर को तड़के रात 2. 26 मिनट पर होगा

सफला एकादशी का महत्व

सफला एकादशी के दिन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जो भी जातक पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है, उसे मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है।इस एकादशी में भगवान श्री विष्णु को पूजा जाता है, यह दिन पितरों के पूजन के लिए भी उत्तम माना जाता है। कहा जाता है इस दिन विधि विधान से किए कर्मकांड से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है ।इस दिन सुबह व शाम को विष्णु भगवान का पूजन करें। श्रीविष्णु को पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें। शाम को आहार ग्रहण करने के पहले दीपदान करें। भगवान को अर्पित किए फल को किसी रोगी व्यक्ति को दें, इसे ग्रहण करने से रोगी को स्वास्थ्य लाभ होता है। रेशम का पीला धागा अर्पित करें। जाप के बाद धागे को दाहिने हाथ में बांध लें। महिलाएं इस धागे को बाएं हाथ में बांधें। इस व्रत में रात में संकीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से आचरण में सात्विकता आती है। एकादशी का माहात्म्य सुनने से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस व्रत में जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। गर्म वस्त्र और अन्न का दान करना शुभ माना जाता है। इस व्रत से सेहत व उम्र की रक्षा होती है।

सफला एकादशी व्रत में इन नियमों का रखें ध्यान

सफला एकादशी व्रत के दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके। 

सफला एकादशी के दिन चावल खाने से बचें। इस दिन सात्विक और सादा भोजन करना चाहिए।प्याज और लहसुन का खाने में इन चीजों का इस्तेमाल वर्जित है।मांसाहारी भोजन को पाप के समान माना गया है।सफला एकादशी पर पूरे दिन व्रत रखना चाहिए और रात्रि में जागरण कर भगवान विष्णु का स्मरण करें।इस दिन विवादों से बचें और किसी के लिए अपशब्द न बोलें।एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है।हरि वासर के बाद पारण करें,एकादशी व्रत का पारण हरि वासर समाप्त होने के बाद ही करें।

यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो रही हो, तो सूर्योदय के बाद व्रत तोड़ सकते हैं। भगवान विष्णु की पूजा करें और ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद ही व्रत का पारण करें।इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और भजन-कीर्तन में समय बिताएं। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप दिनभर करें। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना शुभ माना जाता है।इन नियमों का पालन करके सफला एकादशी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

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