Sarva Pitru Amavasya 2024 Date: 1 या 2 अक्टूबर कब होगी पूर्वजों की विदाई, जानिए इस दिन के नियम जो बरसायेंगे पितरों का आशीर्वाद

Sarva Pitru Amavasya 2024 Date: अगर तिथि पर श्राद्ध तर्पण नहीं किया तो पितृ अमावस्या के दिन जरूर करें इससे पितरों का आशीर्वाद बरसता है। पितृ अमावस्या के दिन कुछ छोटे से उपाय किए जाये तो निसंदेह समस्याओं का समाधान होगा।

Update:2024-09-29 08:01 IST

Sarva Pitru Amavasya 2024 Date: पितृ अमावस्या 2024 हिंदुओं के लिए श्राद्ध को बहुत महत्वपूर्ण कहा गया है। शास्त्रों में अमावस्या को पितरों का दिन कहा गया है। इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त किए गए दान-तर्पण, पितृकर्म आदि उन्हें सीधे प्राप्त होते हैं और अपने परिजनों को अच्छे आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दिन एक मंत्र का जाप कर अपने पितरों को मना सकते हैं। 1 अक्टूबर  को पितृ अमावस्या है। इसलिए अगर तिथि पर श्राद्ध तर्पण नहीं किया तो पितृ अमावस्या के दिन जरूर करें इससे पितरों का आशीर्वाद बरसता है। पितृ अमावस्या के दिन कुछ छोटे से उपाय किए जाये तो निसंदेह समस्याओं का समाधान होगा। इस दिन दोपहर के समय तांबे के लोटे में जल लेकर और तिल डालकर तर्पण करें, लेकिन जल के छींटे अपने पर नहीं आने दें।

आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 01 अक्टूबर 2024 को रात 0.9 बजकर 34 मिनट पर होगा और 03 अक्टूबर को सुबह 12 .18 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाएगी।

इस दिन पितर धरती पर आकर अपने वंशज से अन्न-जल ग्रहण करते हैं, इससे उन्हें सद्गति प्राप्त होती है। पितृ पक्ष (Pitru paksha) का सबसे अहम दिन माना जाता है सर्व पितृ अमावस्या. इस दिन पितरों को विदा किया जाता है. आइए जानते हैं इस साल सर्व पितृ अमावस्या की सही तारीख क्या है।

सर्व पितृ अमावस्या 1 या 2 अक्टूबर कब ?

पंचांग के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या 1 अक्टूबर 2024 को रात 09.39 पर शुरू होगी और 3 अक्टूबर 2024 को प्रात: 12.18 पर इसका समापन होगा।

हिंदू धर्म में अमावस्या उदयातिथि से मान्य होती है. ऐसे में इस साल 2 अक्टूबर 2024 को उदयातिथि अनुसार अमावस्या मान्य होगी.

सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण

इस साल सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का साया मंडरा रहा है. सूर्य ग्रहण 1 अक्टूबर को रात में 9.40 से 2 अक्टूबर की मध्य रात्रि 3.17 मिनट तक रहेगा।

 सूर्य ग्रहण रात में लगेगा इसलिए भारत में ये दिखाई नहीं देगा। ऐसे में सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण के कारण तर्पण और श्राद्ध कर्म में बाधा नहीं आएगी।

इस साल सर्व पितृ अमावस्या के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं।

ब्रह्म योग का प्रारंभ प्रात:काल से होकर अगले दिन 3 अक्टूबर को प्रात: 3 बजकर 22 मिनट तक है। उसके बाद इंद्र योग लगेगा।

साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 12 .23 मिनट से लगेगा, जो 3 अक्टूबर को सुबह 6 . 15 मिनट तक ह।

पितृ अमावस्या पर करें यह उपाय

दक्षिण दिशा में पितरों के निमित्त 2, 5, 11 या 16 दीपक जरूर जलाएं।

पीपल और तुलसी को संध्या काल में जल चढ़ाएं।

पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप करें।

सूर्य को तांबे के बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 'ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य दें।

किसी भी शिव मंदिर में 5 प्रकार के फल रखकर प्रार्थना करें कि इन 16 दिनों में मेरे पितृ जो आस लेकर आए थे, हो सकता है उसमें कमी रह गई हो पर वे मेरी अनन्य भक्ति को ही पूजा समझ कर ग्रहण करें।

गाय, कुत्ता, कौआ, पक्षी और चींटी को आहार जरूर प्रदान करें।

5 तरह की मिठाई भी शिव मंदिर में अर्पित कर सकते हैं।5 ब्राह्मणों को दक्षिणा दें।चांदी के बर्तन में तर्पण करें।

सुगंधित धूप दें, जब तक वह जले तब तक ॐ पितृदेवताभ्यो नम: का जप करें और इसी मंत्र से आहुति दें।

ब्राह्मण, गरीब, गाय, कुत्ते और कौआ को पूरी-खीर जरूर दें।

अनाज का, वस्त्र का और जूते चप्पल का दान किसी जरूरतमंद दें।

पितरों से तर्पण के दौरान प्रार्थना करें कि हमारी सारी पीढ़ी आप को समर्पित है। कोई भूल हुई हो तो क्षमा करें।

पान के पत्ते पर मिठाई रख कर पीपल पर रख कर आएं और धूप दीप जलाएं।

सर्व पितृ अमावस्या पर नियमों का भी करें पालन

पितृ अमावस्या पर सारे काम गले में दाएं कंधे मे जनेउ डाल कर और दक्षिण की ओर मुख करके की जाती है।पितृ अमावस्या पर श्राद्ध के समय हमेशा जब सूर्य की छाया पैरों पर पड़ने लग जाए तब उचित होता है, अर्थात दोपहर के बाद ही शास्त्र सम्मत है। सुबह-सुबह अथवा 12 बजे से पहले किया गया श्राद्ध पितरों तक नहीं पहुंचता है। ऐसे में पितर नाराज हो सकते हैं।

पितृ अमावस्या पर लहसुन, प्याज रहित सात्विक भोजन ही घर की रसोई में बनना चाहिए।पितृ अमावस्या पर उड़द की दाल, बडे, चावल, दूध, घी से बने पकवान, खीर, मौसमी सब्जी जैसे तोरई, लौकी, सीतफल, भिण्डी कच्चे केले की सब्जी ही भोजन में मान्य है।

पितृ अमावस्या पर आलू, मूली, बैंगन, अरबी तथा जमीन के नीचे पैदा होने वाली सब्जियां पितरों को नहीं चढ़ती है।पितृ अमावस्या पर सुबह-सुबह हलवा- पूरी बनाकर मन्दिर में और पंडित को देने से श्राद्ध का फर्ज पूरा नहीं होता है।


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