Saubhagya Sundari Teej: सौभाग्य सुंदरी तीज कब है, जानिए इस दिन की धार्मिक महिमा और विधि

Saubhagya Sundari Teej 2023: सौभाग्य सुंदरी तीज का व्रत त्याग तपस्या समर्पण, विश्वास का प्रतीक है। अटूट प्रेम का साक्षी है। इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा कर सौभाग्य का वरदान मांगा जाता है, जानते हैंकब है...

Update:2023-11-29 08:45 IST

Saubhagya Sundari Teej 2023: हिन्दू धर्म और पंचांग का नौवां महीना है मार्गशीर्ष। इसे अग्रहायण या अगहन का महीना भी कहते हैं। इसे मार्गशीर्ष महीना भी कहा जाता है। इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष फलदायी होता है। जो लोग प्रतिदिन नहाते हैं उन्‍हें विशेष स्‍नान से मोक्ष के द्वारा खुल जाते हैं। वैसे तो इस पवित्र मास को भगवान विष्णु का स्वरुप माना जाता है।। इस मास की हर तिथि का महत्व है। इसमें तृतीया  तिथि है जिसे सौभाग्य सुंदरिया तीज कहते हैं।

इस सौभग्य सुंदरी तीज के पर्व के दिन माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने के लिए विशेष रूप से मनाऐं जाने का विधान है। सौभाग्‍य सुंदरी तीज भारतीय संस्कृति के अनुसार हमारे समाज में कारवां चौथ के जितना महत्वपूर्ण समझा जाता है। हालांकि यह सौभग्य सुंदरी तीज का व्रत कारंवा चौथ के व्रत से विपरीत है। इस व्रत को सभी महिलाये करती है इसमें कुंवारी लड़कियों के लिए किसी भी प्रकार की कोई भी बाध्यता नहीं है। यह सौभग्य सुंदरी तीज केवल विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है। चाहे वे विवाहित ही या कुंवारी सौभग्य सुंदरी तीज के व्रत का त्यौहार दोनों महिलाओं द्वारा मनाया जा सकता है।

ऐसा माना जाता है कि  भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित यह व्रत सौभाग्‍य और सौंदर्य को प्रदान करता है। इस व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्ति भी होती है और सुखद दांपत्य जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है।जो भी स्त्री इस व्रत को करती है उनके सुहाग की सुरक्षा माता पार्वती जी करती हैं। इस साल सौभाग्य तीज 2023 में 30 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी। यह सौभाग्य तीज का व्रत केवल महिलाओ के लिए ही होता है।इस तिथि कोव्रत रखने से पूर्ण वैवाहिक सुख मिलता है। और विवाह भी जल्दी होता है।

सौभाग्य सुंदरी तीज क्यों मनाई जाती है 

 कथा अनुसार, जब देवी सती ने अपने ही शरीर का त्याग किया था, तब वे अपने पिता के कटु वचनों से चिढ़कर (बुरा मन कर) उन्होंने अपने पिता से यह वादा किया कि वह अपने हर जन्म में भगवान् शिव की पत्नी (अर्धांगिनी) के रूप में ही हमेशा वापस आएंगी। इस प्रकार से जब उन्होंने अपना अगला जन्म माता पार्वती के रूप में ही लिया, सती माता ने अपने उस विशेष जन्म में भगवान श्री शिव को ही अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए श्रावण के पूरे महीने तक तपस्या की। सौभाग्‍य सुंदरी तीज देवी पार्वती / सती / दुर्गा को प्रसन्न करने का सबसे आसान और प्रमुख तरीका है।भारत में, इस दिन के उत्सव के आसपास एक विस्तृत अनुष्ठान करने का विधान भी है।

सौभाग्य सुंदरी तीज की पूजा विधि

सौभाग्‍य सुंदरी तीज की विशेष पूजा विधि में पूजा विधि के दौरान अपने आप को सजाने वाली महिलाएं कुंवारी लड़किया भी शामिल होती हैं। महिलाएं सौभाग्‍य सुंदरी तीज वाले दिन सुबह जल्दी उठती हैं और स्नान की रस्म को पूरी करती हैं। सौभाग्‍य सुंदरी तीज के दिन वे अपने सबसे अच्छे और स्वच्छ कपड़े पहनती है और दिन के दौरान 16 श्रंगार व सौंदर्य प्रसाधन और आभूषण का धारण करती है।सौभाग्‍य सुंदरी तीज के दिन ये 16 श्रंगार महिलाओं द्वारा सौभाग्य सुंदरी तीज पूजा विधी के लिए किए जाते हैं और इनमें शामिल होते है।

माता पार्वती और भगवन शिव की मूर्तियों को सौभग्य सुंदरी तीज वाले दिन लाल कपड़ों में लिपटेने के बाद एक लकड़ी के पाटे पर रखा जाता है।जब कोई भी महिला एक बार अपने आराध्य के साथ पूरी हो जाती है, तब उसे लकड़ी के  पाटे को उसी लाल कपड़े में लपेटना होता है, जो पूर्व मूर्तियों को लपेटने के लिए उपयोग में लिया गया था। मूर्तियों को लकड़ी के मंच या पाटे के ऊपर रखा जाता है।

सुपारी के ऊपर की ओर रखा सुपारी भगवान् शिव और पार्वती की मूर्ति के बीच में रखा जाने का विधान है। यह मानव दिल के आकार का पत्ता आध्यात्मिक संबंध को दर्शाता है और सुपारी मानसिक संबंधों का प्रतीक है।देवी को विभिन्न प्रकार के चढ़ावा चढ़ाया जाता है और इसमें मोली, कुमकुम, रोली,चवाल,के साथ-साथ सुपारी और सुपारी भी शामिल होती हैं।

 सौभाग्‍य सुंदरी तीज वाले दिन पूजा के दौरान, भगवान गणेश वह देव होते हैं जिनकी पूजा दुर्गा और शिव के लिए पूजा शुरू करने से पहले की जाती है। माँ पार्वती की मूर्ति को 16 श्रंगार करके अच्छी तरह से सजाया जाता है और 9 ग्रहों की पूजा के बाद भगवान शिव और माँ पार्वती दोनों की एक साथ पूजा की जाती है।

मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए जिन मंत्रों का पाठ और उच्चारण किया जाता है, वे अधिकतर वही होते हैं जो उनकी सभी पूजाओं के लिए उपयोग में लिए जाते हैं।

सौभाग्या तीज पूजा विधि की शुरुआत इस मंत्र “ॐ उमाये नमाः’ से होती है

सौभाग्‍य सुंदरी तीज के अगले दिन,आप माँ पार्वती का विसर्जन समारोह भी करें। कलश से निविदा नारियल निकालें और बंधे हुए लाल धागे को हटा दें।

सौभाग्य सुंदरी तीज का महत्त्व

 यह व्रत जो भी महिला करती है इस दिन माँ पार्वती को मन्न और श्रद्धा से करती है ऐसा करने से बहुत लाभ होता है, ऐसा माना जाता है।एक अविवाहित महिला को उसके सुयोग्य पति मिलेगा। सौभाग्‍य और सौंदर्या का अर्थ है एक सुंदर पति, जो शारीरिक रूप से सुंदर हो- आंतरिक रूप से सौंदर्य हो।एक विवाहित महिला को अच्छे स्वभाव वाली संतान के प्राप्ति के लिए कर सकती है

सौभाग्या सुंदरी तीज का कोई कठिन और सख्त नियम नियम नहीं है कि आपको इन दिनों केवल महिलाओ को सच्चे मन्न माँ पार्वती की पूजा करने की आवश्कता है। जब भी आप प्रार्थना करते हैं और शुद्ध मन से मां को नमन करें। सौभाग्या सुंदरी तीज के इस विशेष दिन पर, उसकी ऊर्जा पृथ्वी पर अधिक गहराई से महिलाओ द्वारा महसूस की जाती है।

इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों रख सकते है। इस व्रत के प्रभाव से पुरुषों के वैवाहिकसुख बढ़ते हैं दुखों में कमी आती है। और स्त्रियों का सौभाग्य बढ़ता है।यह व्रत आर्थिक समस्या का निवारण करता है।धन प्राप्ति का मार्ग खुलता है। इस दिन विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि  इस व्रत के प्रभाव से वैवाहित दंपति अपने जीवन को मधुर बना सकते हैं। पति-पत्नी के रिश्ते बेहतर होने के साथ प्यार बढ़ता है। ईश्वर की कृपा बरसती है।

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