Sawan Ka Mahina: सावन माह में शिव ही शिव, दुःख व कष्टों का होता है निवारण, जानें कैसे करें भोले को प्रसन्न

Sawan Ka Mahina: वेद पुराणों में लिखित सावन की पूजा-अर्चना का विधान, अभिषेक की विधि व फल अद्भुत बताए गए हैं ऐसा इसलिए किया गया ताकि व्यक्ति प्रकृति से जुड़ा रहे और स्वस्थ रहे।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Shreya
Update:2021-07-21 16:05 IST

शिवलिंग (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Sawan Ka Mahina: यदि किसी के दाम्पत्य जीवन में कड़ुवाहट आ रही हो, जीवन से रस खत्म हो रहा हो तो सावन के महीने में शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना से दांपत्य जीवन में प्रेम और तालमेल बढ़ता है। सावन माह (Sawan Month 2021) में सम्पूर्ण वातावरण में पेड़-पौधों, खेतो, झाड़ियों व गार्डेन आदि में हरियाली आ जाती है, जिससे मनुष्यमात्र ही नहीं वरन जीव-जन्तुओं में भी प्रसन्नता बढ़ जाती है। सावन माह में औरतें समूह में झूला भी झूलती हैं और आपस में गायन कराती हैं, जिससे उनमें प्रसन्नता बढ़ती है।

वैदिक विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. भरतराज सिंह अपने विषद अध्ययन के आधार पर न्यूजट्रैक से एक बातचीत में कहते हैं कि यह तो शास्त्रों में अंकित है कि सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि यह लिंग सृष्टि का आधार है और महिलाओं द्वारा इस माह में धारण किया गया गर्भ अत्यन्त प्रभावशाली व व्यक्तित्व का धनी होता है ऐसा तमाम अध्ययनों में पाया गया है, क्योंकि शिव विश्व कल्याण के देवता हैं।

डॉ. भरतराज सिंह (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

दुःख व कष्टों का होता है निवारण

वह कहते हैं कि वेद पुराणों में लिखित सावन की पूजा-अर्चना का विधान, अभिषेक की विधि व फल अद्भुत बताए गए हैं ऐसा इसलिए किया गया ताकि व्यक्ति प्रकृति से जुड़ा रहे और स्वस्थ रहे। जब व्यक्ति स्वस्थ रहेगा तो मन भी खुश रहेगा ऐसे में उसे तमाम कठिनाइयों के दूर होने की खुशी होगी। जैसे दूध से शिव जी का अभिषेक करने से परिवार में कलह, मानसिक अवसाद व अनचाहे दुःख व कष्टों आदि का निवारण होता है।

वंश वृद्धि के लिए घी की धारा डालते हुए शिव सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। इत्र की धारा डालते हुए शिव का अभिषेक करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। जलधारा डालते हुए शिव जी का अभिषेक करने से मानसिक शान्ति मिलती है। शहद की धारा डालते हुए अभिषेक करने से रोग मुक्ति मिलती है। परिवार में बीमारियों का अधिक प्रकोप नहीं रहता है। गन्ने के रस की धारा डालते हुए अभिषेक करने से आर्थिक समृद्धि व परिवार में सुखद माहौल बना रहता है। शिव जी को गंगा की धारा बहुत प्रिय है। गंगा जल से अभिषेक करने पर चारों पुरूषार्थ की प्राप्ति होती है।

अभिषेक करते समय महामृत्युंजय का जाप करने से फल की प्राप्ति कई गुना अधिक हो जाती है। ऐसा करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है। सरसों के तेल की धारा डालते हुये अभिषेक करने से शत्रुओं का शमन होता, रूके हुये काम बनने लगते है व मानसम्मान में वृद्धि होती है।

शिवलिंग (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पुष्पपत्र अर्पण की विधि व फल

विल्वपत्र चढ़ाने से जन्मान्तर के पापों व रोग से मुक्ति मिलती है। कमल पुष्प चढ़ाने से शान्ति व धन की प्राप्ति होती है। कुशा चढ़ाने से मुक्ति की प्राप्ति होती है। दूर्वा चढ़ाने से आयु में वृद्धि होती है। धतूरा अर्पित करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति का पुत्र का सुख मिलता है। कनेर का पुष्प चढ़ाने से परिवार में कलह व रोग से निवृत्ति मिलती हैं। शमी पत्र चढ़ाने से पापों का नाश होता, शत्रुओं व शमन व भूतप्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।

शिवलिंग पूजा (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

शिवलिंग पूजा में वर्जित

जानें शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए (Shivling Par Kya Nhi Chadhana Chahiye)

कुंवारी लड़कियों को शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल अर्पित नहीं करने चाहिए क्योंकि ब्रह्म देव के झूठ में उनका साथ देने के वजह से शिव ने केतकी के फूलों को श्राप दिया था। तुलसी पत्तों को शिवलिंग पर नहीं चढ़ना चाहिए, क्योंकि शिव द्वारा तुलसी के पति का वध हुआ था। नारियल तो ठीक है लेकिन शिवलिंग पर नारियल के पानी से अभिषेक नहीं करना चाहिए।

हल्दी का सम्बन्ध स्त्री सुन्दरता से है इसलिए शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए। भगवान शिव विनाशक हैं और सिंदूर जीवन का संकेत। इस वजह से शिव पूजा में सिंदूर उपयोग नहीं होता।

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