Sawan 2023 Special Tips: सावन में रुद्राभिषेक और इन उपायों से मिलेगा लाभ, जानिए क्यों कहलाएं भगवान शिव नीलकंठ

Sawan 2023 Special Tips: सावन मंगलवार 4 जुलाई से शुरू हो रहा है, इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए। सावन में कुछ उपाय से भगवान शिव का सानिध्य मिलता है। जानते हैं सावन के लाभदायक उपाय इस समय किये रुद्राभिषेक के फायदे और भगवान शिव से नीलकंठ कहलाने की कहानी

Update:2023-07-03 14:28 IST
Sawan 2023 Special Tips (सौ. से सोशल मीडिया)

Sawan 2023 Special Tips (सावन स्पेशल टिप्स): स बार सावन माह की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है जोकि 31 अगस्त तक रहेगा। सावन का पहला दिन मंगलवार है। इस दिन की शुभ योगों के साथ त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। सावन की शुरूआत ही शुभ योग में होने से पूरा माह अच्छा और तिगुना फल देगा। इस माह में के पहले दिन मंगलवार को बजरंगबली की पूजा करें और शिव मंदिर के साथ हनुमान मंदिर जाये इससे भोले नाथ प्रसन्न होते है।

पवित्र सावन में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। सावन का महीना हिंदू पंचांग के अनुसार पांचवां माह होता है। इस माह में भगवान विष्णु चार महीनों के लिए क्षीर सागर में माता लक्ष्मी के साथ योगनिद्रा में चले जाते हैं, ऐसे में सृष्टि की जिम्मेदारी भगवान शिव केपास रहती है। सावन सोमवार में शिवलिंग का जलाभिषेक,बेलपत्र और भोलेनाथ की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। सावन महीने में कांवड़ यात्राएं निकाली जाती है जिसमें पवित्र नदियों से गंगाजल लेकर प्रसिद्ध ज्योर्तिलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। इसके अलावा शिव भक्त सावन के महीने में बड़ी संख्या में ज्योर्तिलिंग के दर्शन और पूजा-पाठ करते हैं।

सावन में विशेष उपाय (Sawan Ke Upay in Hindi)

सावन में किसी सोमवार को पानी में दूध व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें। सावन में हर दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं, इससे आपकी सभी मनोकामनाएं भोलेनाथ पूर्ण करेंगे।

यदि आपके विवाह में अड़चन आ रही है तो सावन में रोज शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं,इससे जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं। सावन में रोज नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं, इससे कष्टों का निवारण होगा, जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और मन प्रसन्न रहेगा।

श्रावण में गरीबों को भोजन कराएं, इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी तथा पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।सावन के महीने में रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान करके समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पण करें। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें।

अगर आपके घर में किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो सावन में रोज सुबह घर में गोमूत्र का छिड़काव करें तथा गुग्गुल का धूप दें।

सावन में भगवान शिव के अभिषेक के फायदे (Sawan Me Shiv Puja Vidhi)

हमारे शास्त्रों में भगवान शिव का अभिषेक करने का फल बताया गया है। कई चीजों से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है और उसके फायदे भी मिलते हैं।

गन्ने के रस से अभिषेक- शीघ्र विवाह एवं धन प्राप्ति,शहद से अभिषेक- कर्जमुक्ति एवं पूर्ण पति का सुख,दही से अभिषेक- पशुधन की वृद्धि,कुश एवं जल से अभिषेक- आरोग्य शरीर की प्राप्ति,मिश्री एवं दूध से अभिषेक- उत्तम विद्या की प्राप्ति,कच्चे दूध से अभिषेक- पुत्र सुख की प्राप्ति। गाय के घी द्वारा रुद्राभिषेक करने पर सर्वकामना पूर्ण होती है। भगवान रूद्र को भस्म, लाल चंदन,रुद्राक्ष, आक का फूल, धतूरा फल, बिल्व पत्र और भांग विशेष रूप से प्रिय हैं अतः इन्ही पदार्थों से श्रावण सोमवार को शिवपूजन करें।

ऐसे कहलाएं नीलकंठ

अमृत ​​पाने के लिए देवताओं और राक्षसों ने मिलकर क्षीरसागर में समुद्र मंथन किया था। एक बार जब हलचल शुरू हुई, तो सभी ने उत्सुकता से अमृत की खोज की जिससे देवताओं और राक्षसों के बीच होड़ मच गई। इस प्रक्रिया के दौरान सबसे पहले हलाहल नामक विष निकला। ऐसा कहा जाता है कि अमृत से निकलने वाली तीव्र सुगंध और आग की लपटों के कारण देवता और राक्षस बेकाबू हो गए इसकी अत्यधिक शक्ति के कारण इसे कहीं भी छोड़ा नहीं जा सकता था, क्योंकि इसमें संपूर्ण ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता थी।

मंथन में अभी तक अमृत नहीं निकला था देवता और दानव दोनों ही समझ नहीं पा रहे थे कि हलाहल विष का क्या करें। ऐसे में अमृत की चाहत तो सभी को थी, लेकिन विष से निपटने की दुविधा देवता और दानव को परेशान कर रही थी। जब देवताओं और राक्षसों को कोई समाधान नहीं मिला, तो वे सामूहिक रूप से सहायता मांगने के लिए महादेव के पास पहुंचे।

उन्होंने महादेव से कहा, ''महादेव अब आप ही हमें इस परेशानी से दूर कर सकते हैं, और मंथन से निकले विष का क्या समाधान करना है वह पूछने लगे महादेव ने देखा कि न तो देवता और न ही राक्षस इस समस्या का कोई समाधान ढूंढ सकते है। यदि पृथ्वी पर कहीं भी विष छोड़ा गया तो यह पूरी दुनिया को नष्ट कर देगा। न तो राक्षसों और न ही देवताओं में इसे पीने की क्षमता थी।

महादेव ने मंद-मंद मुस्कान के साथ क्षण भर में सारा विष पी लिया। विष के कण्ठ तक पहुँचते ही महादेव का कण्ठ नीला पड़ने लगा। यह देखकर माता पार्वती ने तुरंत महादेव के गले पर अपना हाथ रख दिया, जिससे जहर आगे बढ़ ही नहीं पाया, परिणामस्वरूप विष महादेव के कंठ में ही रह गया और यही कारण है की महादेव को नीलकंठ कहा जाता है।

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