Secrets of Ravana: रावण के दस सिर से जुड़े बेहद ख़ास रहस्य, प्रत्येक सिर का है विशेष मतलब, जाने यहां
Secrets of Ravana: लंका का राजा रावण जिसे दशानन यानी दस सिरों वाले के नाम से भी जाना जाता था । पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण को राक्षस के राजा के रूप में भी दर्शाया गया है।
Secrets of Ravana: नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा -आराधना के साथ दशहरे की तैयारियां भी शुरू हो जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशहरे के दिन ही भगवान् श्रीराम ने रावण का वध किया था। इस दिन को प्रभु श्रीराम ने असत्य पर सत्य की विजय के संकल्प के महत्व को अनंतकाल के लिए स्थापित भी कर दिया था। उल्लेखनीय है कि यह दिन किसी भी शुभ कार्यों या नए कार्यों को करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
मान्यताओं के मुताबिक़ दशहरे के दिन शास्त्रों एवं वाहनों की भी पूजा की जाती हैं, साथ ही यह संकल्प भी लिया जाता है कि जिस प्रकार प्रभु श्रीराम ने रावण का वध करते हुए बुरी शक्तियों का नाश किया था, ठीक उसी प्रकार हम सब भी समाज में व्याप्त बुराइयों का नाश करते हुए अपने अंदर सद्गुणों को सही तरीके से निहित करेंगे।
रावण से जुड़े रहस्य
लंका का राजा रावण जिसे दशानन यानी दस सिरों वाले के नाम से भी जाना जाता था । पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण को राक्षस के राजा के रूप में भी दर्शाया गया है। 10 सिर और 20 भुजााओं के कारण रावण को "दशमुखा" (दस मुख वाला ), दशग्रीव (दस सिर वाला )का भी नाम दिया गया था। इसके अलावा रावण 6 शास्त्रों और 4 वेदों का भी ज्ञानी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण 65 प्रकार के ज्ञान और हथियारों की सभी कलाओं का मालिक था।
पौराणिक कथाओं के अनुरूप रावण को लेकर कई सारी कथाएं हैं, लेकिन शायद आज भी बहुत से लोग रावण के 10 सिर के रहस्य से अनभिज्ञ हैं। बता दें कि इस रहस्य के पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने वर्षों तक कठोर तप किया था बावजूद उसके भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए। इसके बाद रावण ने भगवान शिव को अपना सिर अर्पित करने का भी निर्णय लिया। इधर भगवान शिव की भक्ति में लीन रावण ने अपना सिर काटकर भोलेनाथ को अर्पित कर दिया, लेकिन उसकी मृत्यु नहीं हुई। बल्कि उसकी जगह दूसरा सिर आ गया। ऐसे एक-एक करके रावण ने अपने 9 सिर भगवान शिव को अर्पित कर दिए थे ।
लेकिन जब रावण ने 10वीं बार उसने अपना सिर भगवान को अर्पित करना चाहा तभी भगवान शिव उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर वहां प्रकट हो गए। बता दें कि रावण को भगवान शिव का परम भक्त भी कहा जाता है। ऐसे में रावण के भक्तिभाव से प्रसन्न होकर भगवान ने रावण को दशानन होने का वरदान दिया और साथ ही साथ ये भी वरदान दिया की रावण के प्राण तब तक कोई नहीं ले पाएगा जब तक कोई उसकी नाभि पर प्रहार नहीं करता। रावण के प्राण उसकी नाभि में मौजूद था और रामायण के युद्ध में प्रभु राम ने कई बार रावण का सिर काट दिया कई कोशिश की फिर भी रावण को नहीं मार पाए। अंततः विभीषण के कहने पर प्रभु राम ने रावण की नाभि में बाण मारा तब जाकर रावण की मृत्यु हुई । इसलिए विभीषण को घर का भेदी की भी उपमाँ दी गयी है।
10 सिर को माना जाता है अहंकार का प्रतीक
रावण के 10 सिर को यअहंकार का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि 10 सिर में 10 प्रकार की बुराइयां छुपी हुई हैं।
पहला सिर काम,
दूसरा सिर क्रोध,
तीसरा सिर लोभ,
चौथा सिर मोह,
पांचवा सिर मद,
छठा सिर मत्सर,
सातवां सिर वासना,
आठवां सिर भ्रष्टाचार,
नौवां सिर सत्ता, एवं शक्ति का दुरुपयोग ईश्वर से विमुख होना,
दसवां अनैतिकता और दसवा अहंकार का प्रतीक माना जाता है।
10 सिर केवल भ्रम
कई ग्रंथों के अनुसार 10 सिर केवल भ्रम का ही प्रतीक है । धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ भगवान शिव के परम भक्त रावण अपनी माया शक्ति के लिए भी जाना जाते थे, इसीलिए कई धार्मिक ग्रंथों में इस बात का भी उल्लेख है कि 10 सिर केवल एक भ्रम पैदा करने के लिए बनाए गए थे।