Shami ke Paudhe ka Vastu Vigyan: फकीर को बना देता है राजा, जानिए शमी के प्लांट का चमत्कारिक लाभ
Shami ke Paudhe ka Vastu Vigyan: दशहरा के दिन शमी का प्लांट लेकर घर आया जाता है।इसकी पूजा और इसके पत्ते का महत्व है। जानते हैशमी के पौधे के बारे...
Shami ka Ped : आश्विन शुक्ल की दशमी के दिन विजयादशमी यानी दशहरे का पर्व मनाया जाता है। इस बार 24 अक्टूबर 2023 मंगलवार के दिन दशहरा उत्सव मनाया जाएगा। दशहरा के दिन रावण दहन के बाद एक दूसरे को शमी के पत्ते देकर गले मिलकर दशहरे की बधाई देने का प्रचलन है।
शमी का पौधा या पेड़ शनि ग्रह का कारक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस पौधे को घर की उचित दिशा में लगाकर नित्य पूजा करते हैं। शमी के वृक्ष को कुंडली की स्थिति जानकर ही उचित दिशा में लगाना चाहिए। इस पौधे का उपयोग दशहरा के दिन भी होता है। यह बहुत ही शुभ पौधा है परंतु जानिए कि शमी का पौधा घर में क्यों लगाना चाहिए?
शमी के पौधे का वास्तु विज्ञान
जिस व्यक्ति को शनि से संबंधित बाधा दूर करना हो उसे शमी का वृक्ष लगाना चाहिए
शमी के पौधे की पूजा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि शमी के पौधे का संबंध शनिवार और शनिदेव से होता है
अगर शमी के पौधे को तुलसी के साथ लगाया जाए तो इससे दुगुना फायदा मिलने लगता है।
शनि का पौधा शनिवार के दिन वायव दिशा में लगाना चाहिए। वायव दिशा शनि की होती है।
इस वृक्ष के पूजन से शनि प्रकोप शांत हो जाता है क्योंकि यह वृक्ष शनिदेव का साक्षात्त रूप माना जाता है।
दशहरे पर खास तौर से सोना-चांदी के रूप में बांटी जाने वाली शमी की पत्तियां, जिन्हें सफेद कीकर, खेजडो, समडी, शाई, बाबली, बली, चेत्त आदि भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म की परंपरा में शामिल है।
विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष पूजा करने से घर में तंत्र-मंत्र का असर खत्म हो जाता है।
मान्यता अनुसार बुधवार के दिन गणेश जी को शमी के पत्ते अर्पित करने से तीक्ष्ण बुद्धि होती है। इसके साथ ही कलह का नाश होता है
आयुर्वेद के अनुसार यह वृक्ष कृषि विपदा में लाभदायक है। इसके कई तरह के प्रयोग होते हैं।
जहां भी यह वृक्ष लगा होता है और उसकी नित्य पूजन होती रहती है वहां विपदाएं दूर रहती हैं।
प्रदोषकाल में शमी वृक्ष के समीप जाकर पहले उसे प्रणाम करें फिर उसकी जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। इसके बाद वृक्ष के सम्मुख दीपक प्रज्वलित कर उसकी विधिवत रूप से पूजा करें। शमी पूजा के कई महत्वपूर्ण मंत्र का प्रयोग भी करें। इससे सभी तरह का संकट मिटकर सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शमी के पत्ते क्यों बांटे जाते हैं
दशहरा के दिन रावण दहन के बाद एक दूसरे को शमी के पत्ते देकर गले मिलकर दशहरे की बधाई देने का प्रचलन है। आखिर ये शमी के पत्ते क्यों बांटे जाते हैं क्या है इसके पीछे का का रहस्या
दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजा और उसके पत्ते को बांटने का प्रचलन है। जब लोग रावण दहन करके आते हैं तो एक दूसरे को शमी के पत्ते बांटते हैं।
माना जाता है कि दशहरे के दिन कुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्रा देते हुए शमी की पत्तियों को सोने का बना दिया था, तभी से शमी को सोना देने वाला पेड़ माना जाता है।
यह भी कहते हैं कि श्रीराम ने रावण से युद्ध लड़ने से पहले शमी के वृक्ष की पूजा की थी।
श्री राम ने युद्ध में विजयी होने के बाद अयोध्या वासियों को स्वर्ण दान में दिया था। इसी के प्रतीक स्वरूप परंपरा से अब शमी के पत्ते को बांटा जाता है।
पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान अपने अस्त्र-शस्त्रों को शमी के पेड़ में छिपाकर रखा था।
शमी के पौधे का चमत्कारिक लाभ
दशहरे के दिन इसकी पूजा करने से कई तरह के संकटों से व्यक्ति बच जाता है और हर क्षेत्र में वह विजयी रहता है।
शमी वृक्ष की पूजा करने से शनि ग्रह संबंधी सभी प्राकर के दोष समाप्त हो जाते हैं। जैसे शनि की साढ़े साती, ढैय्या आदि।
विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष पूजा करने से घर में तंत्र-मंत्र का असर खत्म हो जाता है।
शमी पूजा के कई महत्वपूर्ण मंत्र का प्रयोग भी करें। इससे सभी तरह का संकट मिटकर सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शमी के पत्ते तोड़ना नहीं चाहिए, नीचे ताजा गिरे हुए पत्ते को या तो अपने पास संभालकर रख लें या शिवजी पर चढ़ाएं। इससे सभी तरह की बाधाएं दूर हो जाएगी।