Shani Dev: शनिदेव नहीं हैं क्रूर, ऐसे देते हैं फल

Shani Dev: आम व्यक्ति सभी ग्रहों को शुभ और फलदायी ग्रह मानता है। लेकिन शनि के बारे में ऐसा नहीं माना जाता है। शनि के बारे में आम व्यक्ति का सामान्य ज्ञान केवल इतना ही होता है कि यह ग्रह कष्ट देने वाला है। अधिक भय वाली बात यह है कि शनि का प्रभाव प्रत्येक राशियों पर समयानुसार पड़ता है।

Update:2023-04-21 04:00 IST
Shani Dev (Pic: Social Media)

Shani Dev: आज के युग में शनि देव को लेकर विपरीत धारणाएं सभी के मस्तिष्क में बैठ गयी हैं। जिस कारण शनि को छोड़ कर आम व्यक्ति किसी अन्य ग्रह से भयभीत नहीं होता है। आम व्यक्ति सभी ग्रहों को शुभ और फलदायी ग्रह मानता है। लेकिन शनि के बारे में ऐसा नहीं माना जाता है। शनि के बारे में आम व्यक्ति का सामान्य ज्ञान केवल इतना ही होता है कि यह ग्रह कष्ट देने वाला है। अधिक भय वाली बात यह है कि शनि का प्रभाव प्रत्येक राशियों पर समयानुसार पड़ता है। जिसे आम व्यक्ति सामान्य बोलचाल में साढ़ेसाती तथा ढैय्या के नाम से जानते हैं। जिस राशि पर शनि की साढ़ेसाती लगती है, उस राशि से सम्बन्धित व्यक्ति में एक खामोश भय व्याप्त हो जाता है। लगातार साढ़े सात साल तक रहने वाली साढ़ेसाती व्यक्ति के जीवन के हर पहलु को प्रभावित करती है। इस कारण प्रत्येक व्यक्ति शनि के नाम से ही भय खाता है। इस बारे में अधिकांश व्यक्तियों की जानकारी और ज्ञान केवल सुनी-सुनाई बातों पर ही आधारित होता है।

ऐसी स्थिति में क्या यह मान लिया जाये कि सभी लोगों को शनिदेव से डरना चाहिये ? नहीं ऐसा नहीं है शनिदेव पर व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देने की जिम्मेदारी है। वे न्यायाधीश के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं उनका किसी भी व्यक्ति विशेष के प्रति न लगाव होता है और न द्वेष होता है। जो व्यक्ति इस बारे में अधिक कुछ नहीं जानते, उन्हें यह समझ लेना चाहिये कि न्याय करते समय शनिदेव किसी के प्रति भेदभाव अथवा प्रतिशोध से ग्रस्त नहीं होते हैं। जिन्हें दण्ड देना होता है, उसे निर्ममता के साथ दण्ड देते हैं, जिन्हें अच्छा फल देना होता है, उसे वे उसकी आशाओं से कहीं अधिक देते हैं।

इस कारण अनेक व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती में इतनी तरक्की करते हैं कि वे स्वयं आश्चर्य से भर जाते हैं। साढ़ेसाती में अनेक व्यक्ति आकाश की ऊंचाइयां छू लेते हैं और अनेक जो आसमान में छाये हुए दिखाई देते थे, वे जमीन पर पड़े नजर आते हैं, यही शनिदेव की न्याय व्यवस्था है। अनेक लोगों का विचार होता है कि जब शनिदेव कर्मों के आधार पर ही फल देते हैं तो कभी-कभी अच्छे कार्य करने वाले दारूण दुःख झेलते दिखाई देते हैं और जो लोग दूसरों को दुःख पहुंचाते हैं वे दुनियाभर के सुखों का आनन्द उठाते रहते हैं ऐसा क्यों ? विद्वानों तथा शास्त्रों का कहना है कि व्यक्ति अपने जीवन में जितने कर्म करता है, उन सबका फल भोगने में एक जीवन कम पड़ता है। इसलिये व्यक्ति को अपने पिछले सौ सालों में किये गये अच्छे-बुरे कर्मों का फल किसी भी जीवन में भोगना पड़ता है। इसी पर पुनर्जन्म की अवधारणा टिकी हुई है। यही कारण है कि हमें कई बार ऐसे व्यक्ति मिलते हैं जो अत्यन्त नेक हृदय तथा अच्छे होते है लेकिन वे अनेक प्रकार के दुःख भोगते दिखाई देते है।

कई ऐसे भी व्यक्ति मिलते हैं जिनके कार्य अत्यन्त घटिया और दूसरों को दुःख देने वाले होते हैं लेकिन वे सभी सुखों का अनंद लेते दिखाई देते हैं। यह उनके पूर्वजन्म के कर्मों का फल होता है। उपरोक्त संदर्भ में शनिदेव का मूक सन्देश है कि प्रत्येक व्यक्ति को अच्छे कर्म करने चाहिये और बुरे कर्मों से बचना चाहिये। क्या पता किस जन्म का बुरा फल भोगना पड़ जाये ? इसमें किसी को भी किसी प्रकार की शंका नहीं होनी चाहिये कि प्रत्येक व्यक्ति को उसके द्वारा किये गये अच्छे-बुरे कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। जब कर्मों के आधार पर अच्छा फल मिलने लगता है तो व्यक्ति मिलने वाले सुख में खो जाता है। ईश्वर को भी भूल जाता है। यह समय इतनी तेजी के साथ निकल जाता है कि पता ही नहीं चलता। इसके विपरीत जब व्यक्ति को अपने किये गये कर्मों के फल के रूप में दुःख प्राप्त होता है तो वह हिल उठता क्योंकि दुःखों से भरा हर पल तथा हर दिन लम्बा होता दिखाई देता है। तब उसे लगने लगता है कि शनिदेव केवल दुःख ही अधिक देते हैं।

यह मनःस्थिति शनिदेव को एक क्रूर ग्रह के रूप में स्थापित कर देती है। इस बारे में मेरा केवल इतना ही कहना है कि शनिदेव की भूमिका केवल इतनी ही होती है कि वे प्रत्येक व्यक्ति को उसी के द्वारा किये गये कर्मों का फल देते हैं और इसमें वे किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते हैं। इस लेख को पढ़ने के बाद व्यक्ति की मनःस्थिति में सुधार आयेगा और शनिदेव के प्रति भय तथा भ्रम भी कम होगा। निदेव के कथित प्रकोप से बचने के लिये व्यक्ति को हमेशा अच्छे कर्मों की तरफ अग्रसर होना चाहिये। शनिदेव जब न्यायकर्ता के रूप में व्यक्ति को उसी के कर्मों का अच्छा बुरा फल देते हैं तो फिर उन्हें दुःख देने वाला क्रूर ग्रह क्यों माना जाये ? वास्तव में शनिदेव समस्त ग्रहों में एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो व्यक्ति को सदमार्ग पर चलने के लिये प्रेरित करते हैं। अच्छे कर्म के लिये बाध्य करते हैं। मनुष्य के द्वारा बनाये गये कानूनों के अन्तर्गत एक व्यक्ति चोरी करके बच सकता है लेकिन बुरा काम करके शनिदेव के दण्ड से नहीं बच सकता है।

(कंचन सिंह)

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