Shani Jayanti 2022: इस दिन शनि जयंती, इन उपायों से दूर हो सकती है शनि ढैय्या व साढ़ेसाती

Shani Jayanti 2022: 30 मई यानी सोमवार के दिन शनि जयंती के साथ वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या भी मनाया जा रहा है। जिस कारण इस बार शनि जयंती पर बेहद खास संयोग बन रहा है।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2022-05-28 07:20 IST

शनि जयंती 2022। (Social Media)

Shani Jayanti 2022: 30 मई सोमवार के दिन शनि जयंती के साथ वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या भी मनाया जा रहा है। जिस कारण इस बार शनि जयंती पर बेहद खास संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार है कि पूरे 30 साल ऐसा शुभ संयोग बन रहा है। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि का विशेष योग भी बन रहा है। बता दें इसमें शनि जयंती का दिन व्यक्ति के शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए बेहद खास माना जाता है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव को न्याय देवता और कर्मफलदाता भी माना गया है। धार्मिक पुराणों के अनुसार शनिदेव जातकों को उनके कर्मों के हिसाब से फल प्रदान करते हैं। यानी अच्छे कर्म करने वाले जातकों को शुभ और बुरे कर्म करने वाले जातकों को दंडित करने का भी कार्य शनिदेव ही करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि शनिदेव की कृपा दृष्टि जिस जातक पर पड़ जाती है उसे जीवन में किसी भी चीज का अभाव नहीं होता है। लेकिन वहीँ जब शनिदेव की टेढ़ी नजर व्यक्ति का सर्वनाश करने से भी चुकती है। इसलिए लोग शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते रहते हैं।

गौरतलब है कि हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 30 मई 2022 सोमवार को शनि जयंती मनाई जा रही है। ख़ास बात यह है कि इस शुभ दिन जिन जातकों पर शनि ढैय्या व शनि की साढ़ेसाती चल रही हो उन्हें शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय सच्चे मन से अवश्य करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि जयंती का दिन अति उत्तम माना गया है।

जानिए किन राशियों पर चल रही शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या

शास्त्रों के अनुसार वर्तमान समय में शनिदेव कुंभ राशि में विराजमान माने गए हैं। ऐसे में कुंभ, मीन व मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव माना जा रहा है। इसके अलावा कर्क व वृश्चिक राशि वालों पर भी शनि ढैय्या चल रही है। बता दें कि इस वर्ष शनि जयंती पर शनिदेव अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान होंगे। गौरतलब है कि करीब 30 साल बाद ग्रहों की बेहद ख़ास स्थिति बन रही है। ऐसे में भक्तगण शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ ख़ास उपाय अपनाकर कई गुना फल प्राप्त कर सकते हैं।

तो आइये जानते हैं शनि जयंती के दिन करने वाले खास उपाय

  • शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा करते समय 'ॐ शं शनैश्चराय नम:' मंत्र का जाप व शनि चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  • इस दिन छाया दान करना अति लाभकारी माना गया है। शनि जयंती के दिन कांसे के कटोरे में सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें। उसके बाद कटोरे सहित इसे किसी गरीब या जरूरतमंद को दान कर दें। या फिर शनि मंदिर में रख दें।
  • शनि जयंती के दिन किसी शनि मंदिर में जाकर अवश्य पूजा कर शनिदेव को सरसों का तेल, काला तिल व काला उड़द अर्पित करें।
  • शनि जयंती के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को अपनी सामर्थ्य अनुसार मदद या दान जरूर करें।
  • बता दें कि शनि जयंती के दिन पैसे, काले कपड़े, तेल, भोजन, तिल और उड़द आदि का दान करना अति शुभ माना जाता है।

शनि जंयती की पूजन - विधि

शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ या नए कपड़े पहनें। फिर शनि देव का ध्यान लगाते हुए व्रत का संकल्प लें। उसके बाद पूजा के स्थान पर या पूजा की चौकी पर काले रंग का कपड़ा बिछाकर शनि देव की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करें। बता दें कि शनिदेव की प्रतिमा के रूप में सुपारी ही रखी जाती है। इसके बाद शनि देव के पूजन में नीले फूल, फल, सिंदूर ,कुमकुम,काजल, अक्षत आदि अर्पित करके सरसों के तेल का दीपक जलाएं। मान्यताओं के अनुसार शनि जयंती के दिन काले तिल, काली दाल, काले वस्त्र जैसी चीजों का अपने सामार्थ्य अनुसार जरूर दान करना चाहिए।

शनि जयंती पूजा का क्या होता है महत्व?

हिंदू धर्म में शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को निष्पक्ष न्याय के देवता माना जाता हैं। जो अपने भक्तों को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। विशेषतः शनि जंयती में जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़े साती या शनि ढैय्या चल रही होती है उसके प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें शनि जयंती के दिन पूजा-पाठ अवश्य करना चाहिए। बता दें कि शनि जंयती पर शनि शांति पूजा और शनि तेलभिषेक का भी अनुष्ठान करने से कुंडली में शनि का प्रभाव भी दूर होकर सुख -समृद्धि और आरोग्य प्राप्त होता है। 

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