Shani Jayanti Puja: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए इस शुभ मुहर्त पर करें पूजा, हनुमान जी की भी उपासना जरुरी
Shani Jayanti 2022: आज के दिन शनि उपासना करने से अनंत दुखों का नाश हो सकता है। इतना ही नहीं जिन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैया चल रही है वो आज शनि देव को प्रसन्न करने पर उतर भी सकता है।
Shani Jayanti 2022 Puja: आज 30 मई दिन सोमवार को शनि जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति उपलब्ध हैं उनकी जयंती नहीं जन्मोत्सव मनाया जाता है। चूँकि शनि ग्रह का प्रभाव हम सब पर पड़ता है जो ये बताता है कि इस दुनिया में शनि देव की सत्ता विद्यमान है। इसलिए जिसकी सत्ता विद्यमान होती है उसकी जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसलिए आज शनि जन्मोत्सव मनाया जा रहा है।
बता दें कि आज के दिन शनि उपासना करने से अनंत दुखों का नाश हो सकता है। इतना ही नहीं जिन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैया चल रही है वो आज शनि देव को प्रसन्न करने पर उतर भी सकता है। ज्योतिषाचार्य पंडित धनेश मणि त्रिपाठी के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन शनि जन्मोत्सव पड़ने से यह दिन और भी ज्यादा विशेष हो जाता है। सोमवार को पड़ने वाले अमावस्या में भगवा न शनि देव के जन्म का दिन हो तो दिन विशेष संयोग के मिलने के कारण और भी ज्यादा शुभ हो जाता है।
सोमवार चन्द्रमा का प्रतिक माना जाता है। और चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है। जो मन की अशांति से आपको मुक्ति दिला सकता है। बता दें कि शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। कहते हैं सबके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब शनिदेव बिना किसी भेद -भाव के करते हैं। फिर चाहे वो आमिर हो या गरीब। शनि देव के दरबार में व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों का न्याय बिना किसी भेदभाव के होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति शनि देव के प्रकोप से बहुत डरता है। क्योकिं व्यक्ति किसी के भी आँख में धूल झोंक सकता है सिवाए शनि देव के। उल्लेखनीय है कि उनके दरबार में व्यक्ति द्वारा किये किसी भी पाप का दंड पहले से निर्धारित होता है। इसलिए सभी व्यक्ति शनिदेव को प्रसन्न करने हर संभव उपाए करने की कोशिश करते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित धनेश मणि त्रिपाठी के अनुसार चूँकि सोमवार को चन्द्रमा का ही प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस दिन पड़ने वाले शनि जन्मोत्सव में जातकों द्वारा शनि देव की आराधना करने पर उनकी मानसिक स्थिति के साथ घरेलु और कार्यक्षेत्र की स्तिथि सुदृढ़ होगी। इस दिन शनिदेव के आराधना व्यक्ति के सब कष्टों को नाश कर उनके जीवन में सुख और समृद्धि की बढ़ोतरी करती है।
किस समय और कैसे करे शनिदेव की पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित धनेश मणि त्रिपाठी बताते हैं कि शनिदेव की पूजा संध्या के समय गोधूलि बेला में ही करनी चाहिए। गोरतलब है कि शनि पश्चिम दिशा के स्वामी माने जाते हैं। इसलिए पशिचमानुमुख यानी पश्चिम की ओर मुख करके शनि देव का पूजन करें। इस दिशा में शनि देव का पूजन करने से आपको पूजा का विशेष लाभ प्राप्त होगा। इस दिन दीप दान करने का भी विशेष महत्त्व बताया गया है।
ध्यान रहें शनि देव की आराधना व् पूजन में सरसों के तेल या तिल के तेल से दीप दान करना विशेष फलदायक माना जाता है। घी के दीपकों का इस दिन विशेष महत्त्व नहीं माना गया हैं। इसके अलावा लोहा , काला वस्त्र , कील , और तेल दान करने का महत्त्व भी शनि पूजन में विशेष फल प्राप्ति हेतु किया जाता है। संध्या काल गोधूलि बेला में शनि देव का पूजन कर प्रसाद ग्रहण करें। सच्चे और साफ़ दिल से की गयी शनि देव की पूजा आपके जीवन में आंनद का संचार कर सकती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जिन जातकों पर शनि देव प्रसन्न हो जाते है उन्हें अपने जीवन की बड़ी से बड़ी पीड़ा में भी राहत की प्राप्ति हो जाती है। लेकिन हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आपको बुरे कर्मों से छुटकारा पाकर सत्कर्मों में लगना है। अन्यथा चाहे आप कितने भी उपाए कर लें शनिदेव को प्रसन्न करने की आपको नाकामयाबी ही मिलेगी। इसलिए जीवन में हमेशा अच्छे विचार और सत्कर्मों का ही साथ देना श्रेष्ठ माना जाता है।
हनुमान जी की भी अवश्य करें पूजा
पौरणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव ने हनुमान जी को वचन दिया था कि जो भी व्यक्ति हनुमान जी की उपासना सच्चे मन से करेगा शनि देव उन्हें माफ़ कर देंगें। इसलिए शनि देव के पूजन के साथ हनुमान जी की पूजा अवश्य की जाती है।