Shanivar Ke Upay: भगवान शनि देव की पूजा में भूलकर भी ना करें ये गलतियां, हो सकती है बड़ी हानि
Shanivar Ke Upay: भगवान शनि देव की पूजा शनिवार के दिन श्रद्धाभाव से करने से भक्त की सभी समस्या दूर हो जाती है।ध्यान रखें कि शनि देव की पूजा में कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है।।
Shanivar Ke Upay: भगवान शनि देव की पूजा शनिवार के दिन श्रद्धाभाव से करने से भक्त की सभी समस्या दूर हो जाती है। साथ ही ध्यान रखें कि शनि देव की पूजा में कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है वरना शनि देव अप्रसन्न हो सकते हैं।बता दें कि शनि देव जिन पर प्रसन्न होते हैं उनके किसी भी काम में कभी भी बाधा नहीं आती है।लेकिन कुंडली में शनि की स्थिति होती तो व्यक्ति का कोई भी काम आसानी से नहीं होता है और उसे हर काम में अड़चनों का सामना करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में
शनिवार को करें ये उपाय
दरअसल शनि देव की पूजा पास के किसी मंदिर में जाकर करना उचित होता है और इनकी पूजा करते समय इनके सामने दीपक नहीं जलाना चाहिए। इसके अलावा किसी पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
शनि देव की पूजा में कभी भी लाल रंग या लाल फूल का भी प्रयोग नहीं करें क्योंकि लाल रंग मंगल का परिचायक माना जाता है और मंगल शनि के शत्रु ग्रह हैं इसलिए शनिवार के दिन नीले या काले रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए।
शनि देव की पूजा में तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। दरअसल ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक तांबे का संबंध सूर्यदेव से है और सूर्यपुत्र होने के बावजूद शनि देव सूर्य के परम शत्रु हैं। इसलिए ध्यान रखें शनि देव की पूजा में हमेशा लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए।
बता दें शनिदेव की पूजा कभी भी उनकी मूर्ति के सीधे सामने खड़े होकर नहीं करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे उनकी कुदृष्टि पड़ती है और जिससे जीवन में कष्ट बढ़ते हैं। इसलिए शनि देव की पूजा हमेशा मूर्ति के दाएं या बाईं खड़े होकर ही करना चाहिए।
अगर शनि मंदिर में पूजा कर फहें तो कभी भी शनि देव की आंखों में आंखें डालकर उनके दर्शन ना करें क्योंकि शनि देव की दृष्टि से बचने के लिए बेहतर है कि शनि देव की मूर्ति की बजाय उनके शिला रूप के दर्शन करें।
शनि देव को तेल अर्पित करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि तेल चढ़ाते समय ये इधर-उधर ना गिरे।
अगर घर में शनिदेव की पूजा करना चाह रहें हैं तो पश्चिम दिशा की तरफ बैठ कर शनि देव का ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करें और उन्हें प्रणाम करें।