Shanivar Ke Upay: शनि देव की पूजा करने से पहल जानें कुछ नियम, नहीं तो लाभ की जगह होगा नुकसान

Shanivar Ke Upay: शनिवार के दिन भगवान शनिदेव की पूजा की जाती है। इस दिन विधि विधान से और श्रद्धाभाव से भगवान शनिदेव की पूजा करने से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

Report :  Anupma Raj
Update: 2022-12-17 02:35 GMT

Lord Shanidev (Image: Social Media)

Shanivar Ke Upay: शनिवार के दिन भगवान शनिदेव की पूजा की जाती है। इस दिन विधि विधान से और श्रद्धाभाव से भगवान शनिदेव की पूजा करने से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। अगर आपकी कुंडली में यह ग्रह अशांत है तो शनि दोष से बचने और शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा और व्रत रखने चाहिए। लेकिन ध्यान रखें शनि देव का पूजन करने के भी कुछ विशेष नियम हैं, अगर इनमें भूल होती है, तो लाभ की जगह नुकसान होता है। तो आइए जानते हैं 

शनि देव की पूजा करने से पहले जानें कुछ नियम:

तेल चढ़ाते समय रखें इस चीज का विशेष ध्यान 

दरअसल शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर शनिदेव की मूर्ति के पास तेल चढ़ाएं या फिर उस तेल को गरीबों में दान करें। लेकिन तेल चढ़ाने के दौरान इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें, कि तेल इधर-उधर ना गिरे। साथ ही वहीं शनिवार को काले तिल और गुड़ चींटी को खिलाएं। इसके अलावा शनिवार के दिन चमड़े के जूते चप्पल दान करना भी बहुत अच्छा रहता है। 

सामने खड़े होकर ना करें पूजन 

दरअसल जब शनिदेव मंदिर में जाएं, तो कभी भी मूर्ति के सामने खड़े ना हों।


ध्यान रखें हो सके तो शनि देव के उस मंदिर में जाएं, जहां शनि शिला के रूप में हों। साथ ही शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पीपल और शमी के पेड़ की पूजा करें।

तांबे के बर्तन का ना करें इस्तेमाल

बता दें शनि देव की पूजा के लिए शनिवार का दिन विशेष होता है। ध्यान रखें शनि देव की पूजा में कभी भी तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि तांबे का संबंध सूर्य देव से होता है। ऐसे में ज्योतिष के मुताबिक शनि देव सूर्य के पुत्र हैं लेकिन वो परम शत्रु भी हैं। इसलिए शनिवार के दिन शनि देव की पूजा में लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इन बर्तनों के उपयोग से शनि प्रसन्न होते हैं।

पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके करें पूजा

बता दें कोई भी पूजा पूर्व दिशा की ओर मुख करके की जाती है लेकिन शनिदेव की पूजा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए क्योंकि शनिदेव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। इसलिए शनिदेव भगवान की पूजा भी पश्चिम दिशा में की जाती है। 



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