Navratri 2022 4th Day Puja Vidhi: नवरात्रि का चौथा दिन, ऐसे करेंगे मां कूष्मांडा की पूजा तो प्रसन्न होंगी माँ

Maa Kushmanda Puja Vidhi: ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार अतः ये अष्ट भुजी देवी के नाम से भी प्रसिद्ध हैं । इनके सात हाथों में क्रमश; कमण्डलु ,धनुष बाण ,कमल पुष्प अमृत कलश चक्र तथा गदा है आठवें हाथ में अष्टसिद्धियों व नव निधियों को देने वाली जप माला है अतः माँ कूष्मांडा की उपासना आधि व्याधि को नष्ट करने वाला है लौकिक व पारलौकिक सुख इनके द्वारा प्राप्त होते हैं।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2022-09-29 09:30 IST

Maa Kushmanda Puja Vidhi (Image: Social Media)

Navratri 2022 4th Day Puja Vidhi: नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित माना जाता है। आज शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है और इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा -उपासना की जाती है। ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की आराधना विधि -पूर्वक करने से माँ प्रसन्न होकर भक्तों की की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।

सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च ।

दधाना हस्तपदमाभ्याम कूष्मांडा शुभदास्तु मे ।।

अर्थात माँ दुर्गा जी के चतुर्थ स्वरूप का नाम कूष्मांडा है संस्कृत भाषा में कूष्मांड कुम्हड़ें को कहा जाता है बलियो में कुम्हड़े की बलि इन्हें अत्यंत प्रिय है इसीलिए इनको कूष्मांडा कहा गया है इनके शरीर से निकलती हुई कान्ति और प्रभा भगवान सूर्य के समान ही देदिव्यमान हैं इनकी आठ भुजाएं हैं ।

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार अतः ये अष्ट भुजी देवी के नाम से भी प्रसिद्ध हैं । इनके सात हाथों में क्रमश; कमण्डलु ,धनुष बाण ,कमल पुष्प अमृत कलश चक्र तथा गदा है आठवें हाथ में अष्टसिद्धियों व नव निधियों को देने वाली जप माला है अतः माँ कूष्मांडा की उपासना आधि व्याधि को नष्ट करने वाला है लौकिक व पारलौकिक सुख इनके द्वारा प्राप्त होते हैं अतः इनकी उपासना सदा करनी चाहिए ।


                                                                                     ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय

तो आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय से कि मां कूष्मांडा का स्वरूप, भोग, पूजा विधि, शुभ रंग व मंत्र-

मां कुष्मांडा को प्रिय है ये पुष्प

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार मां कूष्मांडा को पीले रंग का पुष्प जैसे पीला कमल, गेंदा अर्पित प्रिय होता है। इसलिए मां कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए पूजा में पीले रंग का फूल जरूर अर्पित करें। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होकर भक्तों को बेहतर स्वास्थ और समृद्धि का वरदान देती है।

ऐसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा नौ देवियों में से चौथा अवतार माना जाता है। उल्लेखनीय है कि मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं है जिस कारण इन्हें अष्ठभुजा के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मां के एक हाथ में जपमाला के साथ ही अन्य सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा भी शामिल होते है।

मां कुष्मांडा की पूजा का ये है शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा विशेष मुहूर्त में करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

नवमी तिथि आरंभ- बृहस्पतिवार 29 सितंबर को तड़के 1 बजकर 27 मिनट से शुरू

नवमी तिथि समाप्त- शुक्रवार 30 सितंबर सुबह 12 बजकर 9 मिनट तक

विशाखा नक्षत्र- बृहस्पतिवार 29 सितंबर सुबह 5 बजकर 52 मिनट से शुक्रवार 30 सितंबर सुबह 5 बजकर 13 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक

मां कुष्मांडा की पूजा में इस मंत्र का जरूर करें जप

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा- अर्चना करते समय इन अलौकिक मंत्र का जप करने से विशेष और शीघ्र फल की प्राप्ति होती है।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

मां कूष्‍मांडा की पूजा विधि

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार मां कुष्मांडा की विधि विधान से पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भक्त मां के इस रूप की आराधना करते हैं, उनपर कभी किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता है। उनके ऊपर सदा माँ का आशीर्वाद रहता है। ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार इसके लिए नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर मंदिर को अच्छे से साफ करें। फिर मां कूष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें। इसके बाद पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती कर उनसे क्षमा याचना करें, कि जो भी आपसे पूजा में भूल हुई हो मां उसे माफ कर अपनी कृपा करें।

मां कुष्मांडा की पूजन विधि

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार नवरात्रि के चौथे दिन ब्रम्ह मुहर्त में उठकर नित्य कर्म से मुक्त होकर स्नान करने के बाद विधि-विधान से कलश की पूजा करने के साथ मां दुर्गा और उनके इस स्वरूप की पूजा करें। साथ ही मां कुष्मांडा को सिंदूर, पुष्प, माला, अक्षत आदि चढ़ाकर घी का दीपक और धूप जलाकर माता के मंत्र का 108 बार जाप अवश्य करें। तत्पश्चात विधिवत दुर्गा सप्तशती का पाठ और दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करें।

कुंद के पुष्प मां कुष्मांडा को है अति प्रिय

कूष्मांडा देवी की आराधना करते समय पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री के उपयोग को लेकर ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते हैं कि देवी की पूजा अर्चना शुद्ध मन से करने के साथ पूजन विधि में कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी कूष्मांडा को कुंद के पुष्प अति प्रिय माने जाते हैं। ऐसे में कूष्मांडा देवी को कुंद का पुष्प आर्पित कर आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन देवी कूष्मांडा को मालपुआ का भोग भी लगाना बेहद शुभ माना जाता है।

मनोकामना सिद्धि के लिए करें ये उपाय :

ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार नवरात्र देवी के मंत्रों की सिद्धि का महापर्व माना जाता है। इस दौरान साधक को नवाहन परायण, देवी अथर्वशीर्ष और दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए। पंडित राकेश पाण्डेय के मुताबिक़ मां कुष्मांडा को मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है। षोडशोपचार के साथ मां की आराधना साधक करता है तो उसे मनवांछित फल की प्राप्ति अवश्य होती है। ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार सभी देवियों का स्वरूप उग्र हो ऐसा जरूरी नहीं है और हमारे शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कूष्मांडा के स्वरूप को बेहद शांत माना गया है।

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