Chhathi Maiya: आज छठ पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ,जानिए इसकी महिमा और मिलने वाला लाभ

Shashthi Devi Stotram in hindi छठ पूजा आने में कुछ दिन शेष रह गए है। इस दौरान इस स्तोत्र का पाठ करने से बहुत लाभ मिलता है। जानते हैं षष्ठी स्तोत्र की महिमा...

Update:2024-11-07 06:30 IST

Chhathi Stotra षष्ठी स्तोत्र : छठ पर्व की पूजा में षष्ठी स्तोत्र का महत्व है। यह स्तोत्र  देवी षष्ठी को समर्पित होता है, जो सूर्य देव की पत्नी के रूप में पूजी जाती हैं। यह पर्व सूर्य उपासना का पर्व है और इसमें षष्ठी माता की पूजा विशेष रूप से संतान सुख, परिवार की समृद्धि और आरोग्य के लिए की जाती है। षष्ठी स्तोत्र का पाठ करने से श्रद्धा, भक्ति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र  मानसिक शांति, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

छठ पूजा में जब भक्त सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, तब षष्ठी स्तोत्र का पाठ उनके धार्मिक अनुष्ठान को पूर्णता प्रदान करता है। षष्ठी माता को संतानों की रक्षा करने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है, और इस स्तोत्र के पाठ से माता की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत कठिन तपस्या और संयम का प्रतीक है, जिसमें षष्ठी स्तोत्र के पाठ से भक्तों की आस्था को और दृढ़ता मिलती है।

छठ पर्व की पूजा में इस षष्ठी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। संतान के इच्छुक दंपत्ति को शालिग्राम शिला, कलश, वटवृक्ष का मूल अथवा दीवार पर लाल चंदन से षष्ठी देवी की आकृति बनाकर उनका पूजन नित्य प्रतिदिन करना चाहिए।

सबसे पहले छठ देवी का ध्यान इन मंत्र से करें

षष्ठांशां प्रकृते: शुद्धां सुप्रतिष्ठाण्च सुव्रताम्।

सुपुत्रदां च शुभदां दयारूपां जगत्प्रसूम्।।

श्वेतचम्पकवर्णाभां रत्नभूषणभूषिताम्।

पवित्ररुपां परमां देवसेनां परां भजे।।

ध्यान के बाद ॐ ह्रीं षष्ठीदेव्यै स्वाहा इस अष्टाक्षर मंत्र से आवाहन, पाद्य, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्राभूषण, पुष्प, धूप, दीप, तथा नैवेद्यादि उपचारों से देवी का पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही देवी के इस अष्टाक्षर मंत्र का यथाशक्ति जप करना चाहिए। देवी के पूजन तथा जप के बाद षष्ठीदेवी स्तोत्र का पाठ श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। इसके पाठ से संतान की प्राप्ति होगी।  

छठ के दिन जरूर करें पाठ

नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:।

शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो नम: ।।

वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नम:।

सुखदायै मोक्षदायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

शक्ते: षष्ठांशरुपायै सिद्धायै च नमो नम:।

मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

पारायै पारदायै च षष्ठी देव्यै नमो नम:।

सारायै सारदायै च पारायै सर्व कर्मणाम।।

बालाधिष्ठात्री देव्यै च षष्ठी देव्यै नमो नम:।

कल्याणदायै कल्याण्यै फलदायै च कर्मणाम।

प्रत्यक्षायै च भक्तानां षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

पूज्यायै स्कन्दकांतायै सर्वेषां सर्वकर्मसु।

देवरक्षणकारिण्यै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

शुद्ध सत्त्व स्वरुपायै वन्दितायै नृणां सदा।

हिंसा क्रोध वर्जितायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

धनं देहि प्रियां देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि।

धर्मं देहि यशो देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

भूमिं देहि प्रजां देहि देहि विद्यां सुपूजिते।

कल्याणं च जयं देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

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