Shiv Ki Puja: कुंवारी लड़कियां क्यों करती हैं शिव की पूजा, आखिर भगवान शिव जैसा ही पति क्यों चाहिए?

Shiv Ki Puja Ladkiya Kyu Karti Hai: सृष्टि के संहारक शिव और आदि शक्ति मां पार्वती और उनका परिवार एक आदर्श परिवार की श्रेणी में आता है। जिसकी सुखद कामना सब करते है। शिव में धैर्य है, संयम और स्थिरता है जो किसी भी नारी को आकर्षित करती है, जानते हैं कुंवारी लड़कियाों के शिव पूजन का महत्व...

Update:2023-07-10 15:42 IST
Shiv Ki Puja Ladkiya Kyu Karti Hai (सांकेतिक तस्वीर, सोशल मीडिया)

Shiv Ki Puja Ladkiya Kyu Karti Ha: शिव की पूजा लड़कियां क्यों करती हैं? ; सावन का महीना शिव की शक्ति पूजन उपवास , उल्लास और प्रकृति के उन्माद का माह है। इस माह में प्रकृति की छटा अनुपम होती है। जो सावन में भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है। सावन के महीने में सोमवार (Sawan Somvar) के व्रत का विधान है। इसी माह में 16 सोमवार के व्रत शुरू किया जाता है जो हर मनोकामना पूरी करती है।

इस माह मे तो हर कोई शिव की भक्ति करते हैं, लेकिन कुंवारी कन्याएँ (Unmarried Girls) भगवान शिव की पूजा बहुत मन से करती है। और उन्हे हर साल सावनमास और शिव पूजन का इंतजार रहता है। कहते हैं कि उनकी कामना होती है कि शिव की पूजा से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। जिन लड़कियों की शादी में देरी हो रही है या शादी में बाधा आ रही है, उन लड़कियोंको भगवान शिव का व्रत पूजन जरूर करना चाहिए। सावन के सोमवार का व्रत लड़कियों के लिए विशेष होता है। मान्यता है कि कुंवारी लड़कियां सावन के सोमवार का व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है और उनका आने वाला शादीशुदा जीवन अच्छे से बीतता है। आइए जानते हैं महिलाओं और कुंवारी लड़कियों को शिवलिंग की पूजा कैसे करनी चाहिए...

कुंवारी लड़कियां शिव पूजन का महत्व

सावन में भगवान शंकर की पूजा करने और उनके लिए व्रत रखने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से अविवाहित कन्याएं शिवलिंग की पूजा अच्छा और मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं और इस महीने में व्रत भी रखती हैं। उन्हें मनचाहा पति मिलता है। उन्‍हें भरा-पूरा परिवार और सांसारिक सुख का फल मिलता है।।

कुंवारी लड़कियां शिवलिंग की पूजा कैसे करें

सावन में हर दिन खासकर सोमवार को सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई करें क्योंकि माता पार्वती और भगवान शिव को साफ-सफाई बहुत पसंद है.।उसके बाद स्नान करें, स्नान के पानी में काला तिल या गंगा जल डालकर स्नान करें, फिर हल्के रंग के कपड़े पहनें। इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग की पूजा करें। शिव मंदिर पास में न हो तो घर पर मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजा-अर्चना करें।

जल या पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद धतूरा, भांग बेलपत्र, जनेऊ चढ़ाएं. पूजा के पश्चात स्फटिक की माला ले और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। एक बात का ध्यान दें कि भगवान शिव को हल्दी और तुलसी के पत्ते कभी न चढ़ाएं। सुहागिन महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए पांच माला का जाप करें और कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की कामना के लिए पांच माला का जाप ॐ नमः शिवाय मंत्र के साथ करें।

भगवान शिव की पूजा के समय थाल में 4 या 8 हरी चुड़ियां जरूर रखें। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। हरी चूड़ियों को माता पार्वती को चढ़ा दें। चढ़ाने के बाद उन चूड़ियों को अपने हाथों में धारण करें।इससे पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है।

भगवान शिव जैसा ही पति क्यों चाहिए?

सृष्टि के संहारक शिव और आदि शक्ति मां पार्वती और उनका परिवार एक आदर्श परिवार की श्रेणी में आता है। जिसकी सुखद कामना सब करते है। शिव में धैर्य है, संयम और स्थिरता है जो किसी भी नारी को आकर्षित करती है मां पार्वती ने इन्ही गुणों का आत्म साक्षात किया था और शमासान के योगी को गृहस्थ जीवन में लाने के लिए जप, तप और प्रण किया था । पुरुष रूपी शिव में मौजूद जिन गुणों से मां पार्वती प्रभावित हुई थी । वैसे ही गुण की कामना हर नारी करती है। ताकी भगवान शिव की तरह ही उन्हें पति मिले जो मान-सम्मान और प्यार दें।

भगवान शिव के गुण

भगवान शिव ध्यान में लीन रहने वाले देव है।। भगवान शिव तब क्रोधित हो जाते हैं जब बुराई विनाशकारी हो जाती है। एक व्यक्ति को गलत, अन्यायी और नकारात्मक शक्तियों से लड़ने के लिए पर्याप्त बहादुर और साहसी होना चाहिए।एक शांत और संयमित पुरुष की कामना हर महिला करती हैं।

भगवान शिव का व्यक्तित्व विशालकाय हृष्ट-पुष्ट, लंबा, काला और सुंदर और चुंबकीय है।

भगवान शिव दया के सागर है।- चाहे वह इंसान हो या जानवर। सभी को शरण लेते हैं।

भगवान शिव उस प्रसाद से संतुष्ट रहते हैं जो भक्त को आसानी से मिल जाता है। बिल्व पत्र, कच्चा दूध या फूल उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। जब हाथ में बहुत कुछ न हो तब भी खुश रहना बहुत बड़ा गुण है।

भगवान शिव परिवार में मां पार्वती और पुत्र - कार्तिकेय, गणेश और पुत्री अशोक सुंदरी है। वह अपने बच्चों के प्रति एक दयालु पिता और एक समर्पित पति हैं। लेकिन वह न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे ब्रह्मांड की जिम्मेदारी निभाता है। शिव में मौजूद ये गुण हर नारी अपनी पति में ढूंढती है, इसलिए तो शिव पूजा करती है।

सावन में शिव पूजा इसलिए भी करते है कि इस महिने समुद्र मंथन हुआ था, और भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था। हलाहल विष पान के बाद उग्र विष को शांत करने के लिए भक्त इस महीने में शिवजी को जल अर्पित करते हैं।पूरे साल पूजा करके जो फल पाया जाता है, वह फल केवल सावन में पूजा करके पाया जा सकता है।

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