Shiv Puja Ke Niyam: आप जानते हैं शिवलिंग की पूजा से जुड़ी ये बातें,अगर नहीं तो आज ही जानें क्या कहता है शास्त्र

Shiv Puja Ke Niyam: भगवान शिव की शिवलिंग रुप की पूजा करते हैं तो जानिए ये बातें जिससे जीवन रहेगा खुशहाल

Update:2024-02-01 06:00 IST

Shiv Puja Ke Niyam : भगवान शिव को  सृष्टि का रचियेता सहारकर्ता कहा जाता है वो एक मात्र देव है जो लिंगरुप में विद्यमान है। ज्यादातर लोग शिवजी के मूर्ति के साथ शिवलिंग की भी पूजा करते है, लेकिन क्या आप जानते है कि  किस शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। हिंदू धर्म में शिवलिंग की पूजा को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में शिवलिंग कई तरह  होते हैं जिनका अपना महत्व और मान्यताएं होती हैं। कैसे शिवलिंग की पूजा करने से आपकी परेशानियां दूर हो सकती हैं। तो जानते हैं-

शिवलिंग रूप में शिवजी की पूजा

शिवलिंग की विशेष रूप से पूजा की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें साक्षात् भगवान शिव का रूप माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव की पूजा के लिए शिवलिंग की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। इससे कई प्रकार के ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं। लेकिन क्या जानते हैं कि शास्त्रों में शिवलिंग की पूजा के कुछ नियम भी हैं, जिनका पालन करने से पूजा का फल मिलता है।

चांदी के शिवलिंग की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चांदी के शिवलिंग की पूजा करने वाले भक्तों के पूर्वजों को मोक्ष मिलता है। साथ ही घर से पितृ दोष भी समाप्त हो जाता है। इसलिए जो लोग पितृ दोष से परेशान हैं उन्हें चांदी के शिवलिंग की विधिवत पूजा करनी चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्फटिक से बने शिवलिंग का अभिषेक करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जो लोग अपनी मनोकामना पूरी करना चाहते हैं उन्हें क्रिस्टल से बने शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। साथ ही पूजा में बेलपत्र को भी शामिल करना चाहिए।

पीतल के शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शंकर अपने भक्तों पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं। मान्यता है कि इसका अभिषेक अत्यंत शुभ होता है, जो लोग यश और वैभव की कामना रखते हैं उन्हें कांसे से बने शिवलिंग की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

शिवलिंग पूजा में रोज पढ़े ये मंत्र

 मन्दाकिन्यस्तु यद्वि सर्वपापहारं शुभम्।

तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतम ॥

श्री भगवते साम्बशिवाय नमः स्ननीयं जलं समर्पयामि।

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षय मामृतात् ॐ भुवः भूः स्वः औ सः जूं हौं ॐ।

हिन्दू धर्म में  आइए जानते हैं शिवलिंग की पूजा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम।

शिवलिंग की पूजा से जुड़े नियम

धर्मानुसार स्नान-ध्यान के बाद ही शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। शुद्ध मन और शरीर से शिवलिंग की पूजा करने से पूजा का विशेष लाभ और फल मिलता है।

शिवलिंग पर पंचामृत अवश्य चढ़ाना चाहिए। इसके बाद महादेव को भस्म या चंदन का तिलक लगाना चाहिए। इससे भगवान शिव का श्रृंगार होता है और वे अपने भक्त से प्रसन्न हो जाते हैं।

शास्त्रों में कहा गया है कि भूलकर भी शिवलिंग पर हल्दी, कुमकुम या सिन्दूर नहीं चढ़ाना चाहिए। इन्हें श्रृंगार का रूप माना जाता है, लेकिन भगवान शिव आदियोगी हैं। इनके श्रृंगार के लिए चंदन और भस्म ही उपयुक्त माने जाते हैं।

शिवलिंग की पूजा के समय भगवान शिव को दूध, जल, काले तिल और बेलपत्र अर्पित करें, इससे महादेव प्रसन्न होते हैं। यह भी ध्यान रखें कि शिवलिंग पर केवड़ा या चंपा के फूल न चढ़ाएं। इसके साथ ही गुलाब या गंदे फूल भी सलाह के बाद ही चढ़ाएं।

 शास्त्रों में कहा गया है कि शिवलिंग पर कनेर, धतूरा, आक, चमेली या जूही के फूल ही चढ़ाने चाहिए। साथ ही शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।

इसके साथ ही पूजा के समय शिवलिंग की पूरी परिक्रमा भी नहीं करनी चाहिए। आधी परिक्रमा करें और शिवलिंग के सामने साष्टांग प्रणाम करें। आपको बता दें कि शिवलिंग की पूजा करने से पहले माता पार्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

शिवलिंग की पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करें। शास्त्रों में कहा गया है कि जल चढ़ाते समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से पूजा सफल होती है और साधक को पूर्ण फल प्राप्त होता है।

घर में शिवलिंग का मुंह किधर होना चाहिए?

शिवलिंग घर में हो या मंदिर में इनकी वेदी का मुख हमेशा उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए. शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों विधमान है इसलिए जहां शिवलिंग होता है वहां में ऊर्जा का प्रभाव बहुत अधिक रहता है. कुछ लोग शाम के वक्त भी शिवलिंग की पूजा करते है. ऐसे में अपना मुख पश्चिम दिशा की ओर रखें

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