Shivling Jalabhishek :शिवलिंग एक लोटा जल चढ़ाते समय रखें इन बातों का ख्याल, वरना झेलना पड़ सकता है बुरा परिणाम
Shivling Jalabhishek : शिवपुराण के अनुसार, यदि सही विधि से भगवान शिव को जल चढाया जाए, तो वे कभी भी रुष्ट नहीं होते। जानते हैं शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को जल चढ़ाने के नियम..;
Shivling Par Jalabhishe Ke Niyam: भगवान शिव को भोले भंडारी कहते हैं। वो एक लोटा जल से प्रसन्न हो जाते है।धर्मानुसार हर दिन किसी न किसी देवी-देवता का होता है। देवों के देव महादेव यानी भोलेनाथ का दिन सोमवार है।साथ ही त्रयोदशी प्रदोष शिवरात्रि के दिन जल चढाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ व्रत रखने का भी विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालू भोलेनाथ की पूजा करते हैं, उन्हें सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है और वे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
जो लोग हर दिन शिवलिंग पर केवल एक लोटा जल चढाते हैं, तो भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं और आपकी हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। लेकिन, शिवलिंग पर जल चढ़ाने की भी एक सही विधि होती है, जिसका पालन करना जरूरी है। शिवपुराण के अनुसार, यदि सही विधि से भगवान शिव को जल चढाया जाए, तो वे कभी भी रुष्ट नहीं होते। जानते हैं शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को जल चढ़ाने के नियम..
भगवान शिव को जल चढ़ाने के नियम
शिव मंदिर में जल अर्पण करें- शिवपुराण के अनुसार, यदि किसी शिव मंदिर में प्रतिदिन एक लोटा जल चढ़ाए। ऐसा करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली हर बाधा और कठिनाई से उबारते हैं। उनका आशीर्वाद सदैव बना रहता है, जिससे वे अपने जीवन के सभी संघर्षों को पार करके अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं।
ऐसे जल चढ़ाएं- एक लोटे में साफ जल शिवलिंग पर अर्पित करें। और "ॐ नमः शिवाय।" मंत्र का जाप करें, इससे भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और उन पर सदैव कृपा बनी रहती हैं। इस विधि से शिवलिंग पर जल चढ़ाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
उत्तर दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाएं-शिवपुराण के अनुसार, उत्तर दिशा को बहुत ही शुभ माना गया है। जब आप उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, तो यह आपके जीवन से सभी प्रकार के रोग-दोष और कष्टों को समाप्त कर देता है। शिवलिंग के जलहरी की दिशा उत्तर होती है, इसलिए इस विधि से जल चढ़ाने पर विशेष रूप से स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त होते हैं।
अशोक सुंदरी वाले स्थान से जल चढ़ाएं-अशोक सुंदरी भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री मानी जाती हैं। यदि आप शिवलिंग पर जल चढ़ाने की प्रक्रिया अशोक सुंदरी वाले स्थान से शुरू करते हैं और फिर जल को शिवलिंग के शीश तक चढ़ाते हैं, तो इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इसके साथ ही, जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इस विधि से जल अर्पण करने से पारिवारिक संबंधों में मधुरता आती है और नकारात्मकता समाप्त होती है।
शिव परिवार को जल अर्पित करें- एक लोटा जल लेकर सबसे पहले भगवान गणेश, फिर भगवान कार्तिकेय, अशोक सुंदरी, और जलाधारी को जल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग के कटी भाग में गोल घुमाते हुए जल अर्पण करें और अंत में शिवलिंग के शीश पर जल चढ़ाएं। यह विधि मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
जलाधारी से लेकर शिवलिंग तक जल चढ़ाएं-इस विधि में, जलाधारी (जहां जल एकत्रित होता है) से जल लेकर सीधे शिवलिंग तक चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से धन, संपदा और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस प्रक्रिया से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि लाते हैं। जो लोग व्यापार या नौकरी में उन्नति चाहते हैं, वे इस विधि का पालन कर सकते हैं।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ध्यान रखें-
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल अर्पित न करें। यह अशुभ माना जाता है।तांबे के लोटे से जल अर्पित करना उत्तम माना जाता है, जबकि स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए।शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय दूध, शहद, घी, दही, और गंगाजल मिलाकर पंचामृत भी चढ़ा सकते हैं। यह अत्यंत शुभ माना जाता है।
शिवलिंग पर जल अर्पण करने के दौरान "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।यदि संभव हो, तो जल में काले तिल मिलाकर अर्पित करें, इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।बेलपत्र, धतूरा, और आक के फूल शिवलिंग पर अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
भगवान शिव की पूजा में जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। सही विधि से जल चढ़ाने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि, धन-संपदा और मनचाहा फल प्रदान करते हैं।जल चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में शांति, सफलता, और समृद्धि का आगमन होता है।