Shivratri-Mahashivratri Me Antar: शिवरात्रि से अलग है महाशिवरात्रि का दिन, जानिए क्यों मनाते हैं ?

Shivratri-Maha Shivaratri Me Antar: क्या शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर है?:शिवरात्रि का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार बेहद खास माना जाता है। इस दिन भक्त भोलेनाथ की पूजा करते हैं।;

Written By :  Suman Mishra
Update:2024-02-29 16:45 IST

Shivratri-Mahashivratri Me Antar

Shivratri-Mahashivratri Me Antar: महाशिवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है। ये पावन पर्व फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के ही दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था। आज के दिन शिवभक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन पूरी श्रद्धा के साथ माता पार्वती और शिव की पूजा-उपासना करने वाले भक्तों पर भगवान भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। वैसे तो भोले शंकर की पूजा करने के लिए हर दिन शुभ होता है, लेकिन शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का अलग ही महत्व होता है। इस दिन भगवान भोले शंकर की पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन देशभर के सभी शिव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। भगवान शिव के भक्तों के लिए शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का दिन काफी खास होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है.,

क्या शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर है?

12 शिवरात्रियों में  महाशिवरात्रि को सबसे खास हैं। जबकि शिवरात्रि हर महीने होती है, महाशिवरात्रि साल में एक बार होती है । शिवरात्रि प्रत्येक चंद्र माह के चौदहवें दिन मनाई जाती है। सरल शब्दों में कहें तो यह अमावस्या से एक दिन पहले का दिन भी है।

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। इस दिन ज्योतिष उपाय करने से सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं। महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए, तभी इसका फल मिलता है। इस दिन का प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है। कुवारी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता है।

महाशिवरात्रि का दिन होता हर दुख का निदान

महाशिवरात्रि में शिवलिंग की पूजा करने से जन्मकुंडली के नवग्रह दोष तो शांत होते हैं। विशेष करके चंद्र्जनित दोष जैसे मानसिक अशान्ति, मां के सुख और स्वास्थ्य में कमी, मित्रों से संबंध, मकान-वाहन के सुख में विलम्ब, हृदयरोग, नेत्र विकार, चर्म-कुष्ट रोग, नजला-जुकाम, स्वाश रोग, कफ-निमोनिया संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है और समाज में मान प्रतिष्ठा बढ़ती है।

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यापार में उन्नति और सामाजिक प्रतिष्ठा बढती है। भांग अर्पण से घर की अशांति, प्रेत बाधा तथा चिंता दूर होती है।मदार पुष्प से नेत्र और ह्रदय विकार दूर रहते हैं। शिवलिंग पर धतूर के पुष्प-फल चढ़ाने से दवाओं के रिएक्शन तथा विषैले जीवों से खतरा समाप्त हो जाता है। शमीपत्र चढ़ाने से शनि की शाढ़ेसाती, मारकेश तथा अशुभ ग्रह-गोचर से हानि नहीं होती। इसलिए महाशिवरात्रि के एक-एक क्षण का सदुपयोग करें और शिवकृपा प्रसाद से त्रिबिध तापों से मुक्ति पायें।

महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं?

महाशिवरात्रि पर्व है हमारी चेतना को बढ़ाने का और ध्यान के माध्यम से प्राण शक्ति को बढ़ाकर अपने स्त्रोत की ओर ले जाने का है।कहते हैं महाशिवरात्रि के दिन भगवान् शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था।जब देवता और राक्षस अमृत की खोज में समुद्र मंथन कर रहे थे तब मंथन से विष निकला था और स्वयं भगवान शिव ने विष पी कर उसे अपने कंठ में रोक लिया था जिस वजह से उनका शरीर नीला पड़ गया था और उनको “नीलकंठ” भी कहा जाता है। विष पीकर उन्होंने सृष्टि और देवतागण दोनों को बचा लिया तो इसलिए भी शिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है।

एक और किवदंती यह है कि जब देवी गंगा पूरे उफ़ान के साथ पृथ्वी पर उतर रहीं थी तब भगवान शिव ने ही उन्हें अपनी जटाओं में धरा था। जिससे पृथ्वी का विनाश होने से बच गया था। इसलिए भी इस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और इस दिन शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता है।ऐसी मान्यता भी है कि भगवान ने शिवरात्रि के दिन सदाशिव जो कि निराकार रूप हैं, उससे लिंग स्वरुप लिया था। इसलिए भक्त रात भर जागकर भगवान शिव की अराधना करते हैं।

Tags:    

Similar News