रावण ने अपने तप से स्थापित किया था यह शिवलिंग, दर्शनमात्र से दूर होते हैं सारे कष्ट

Update:2017-02-23 17:02 IST

नोएडा: शिवरात्रि का महत्व हिंदू धर्म में बहुत है और नोयडा के गांव बिसरख में इसका कुछ ज्यादा ही महत्व है। यू कहें ऋषि विश्रवा की तपोस्थली, जहां रावण का जन्म हुआ था। तब से बिसरख को शिव नगरी भी कहा जाता है। यहा पौराणिक काल की शिवलिग है। जिसे रावण ने स्थापित किया था। बाहर से देखने में इसकी ऊंचार्इं महज 2.5 फीट की है, लेकिन जमीन के नीचे इसकी गहराई लगभग 8 फीट है। प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण रावण के पिता विश्रवा ने कराया था। त्रेता युग से यहा महाशिवरात्रि पर मेले का आयोजन किया जाता रहा है। जहां विदेशों से भी पर्यटक आते हैं।

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मंदिर के महंत रामदास के अनुसार वेद पुराणों में ऋषि विश्रवा उनकी तपोस्थली को शिव नगरी कहा जाता है। बिसरख धाम में रावण द्वारा स्थापित अष्टभुजी शिवलिंग विराजित है, जो विश्व दूसरा कही नहीं है। रावण बाल्यकाल से ही शिव भक्त थे। उन्होंने शिव की घोर उपासना की और शिव मंत्रावली की रचना भी की। खास बात यह है कि जिस मंदिर में यह शिवलिंग स्थापित है, वहां पौराणिक काल की मूर्तियां बनी हुई है। मंदिर के गेट पर रावण के पिता व मां दोनों की मूर्ति है।

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25 से ज्यादा निकल चुके शिवलिंग

इस गांव में अब तक 25 से ज्यादा शिवलिंग मिले हैं। जिनमें से एक की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है। मंदिर के महंत रामदास ने बताया कि खुदाई के दौरान त्रेता युग के नरकंकाल, बर्तन और मूर्तियों के अलावा कई अवशेष मिले हैं।

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दर्शन मात्र से ही पूरी होती इच्छा

महंत रामदास के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन यहां हर साल मेले का आयोजन किया जाता है। सुबह से ही दूर-दराज के श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं और उनके कष्टों का निवारण शिव के दर्थन होने से हो जाता है।

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