Shukra Grah ka Kundli Par Prabhav: शुक्र का प्रेम और चरित्र पर प्रभाव, जानें कब बनता है चरित्रहीन और कंगाल, जानिए बचने के उपाय
Shukra Grah ka Kundli Par Prabhav:शुक्र का कुंडली में मजबूत स्थिति में होना जातक के प्रेम व वैवाहिक जीवन को सुखमयी बनाता है। जानते कुंडली के 12 भावों में शुक्र का प्रभाव और बचने के उपाय
शुक्र ग्रह और कुंडली पर प्रभाव
Shukra Grah Aur Kundli Par Prabhav
त्योतिष के अनुसार जिसका शुक्र मजबूत होता है वह जीवनभर विलासिता लग्जरियस लाइफ जीता है। शुक्र ग्रह खूबसूरती प्रेम और धन का प्रतीक है। शुक्र ग्रह का कुंडली के 12 भावों में अलग अलग प्रभाव पड़ता है। लग्न भाव में शुक्र हो तो जातक बेहद सुंदर व आकर्षक होता है। ऐसा जातक स्वभाव से मृदुभाषी होने के साथ ही कला में रूचि रखते है। शुक्र का कुंडली में मजबूत स्थिति में होना जातक के प्रेम व वैवाहिक जीवन को सुखमयी बनाता है। शुक्र ग्रह ही व्यक्ति के भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों का आधार है। यह ग्रह दो राशियों वृषभ और तुला राशि का स्वामि है, जबकि यह देवगुरु बृहस्पति की राशि मीन में उच्च रहता है और बुध की राशि कन्या में यह नीच माना जाता है। बुध और शनि ग्रहों से मित्रता रखने वाले शुक्र की सूर्य और चंद्रमा से शत्रुता रहती है।
शुक्र के खराब प्रभाव
कुंडली में शुक्र के कमजोर होने से व्यक्ति को आर्थिक परेशानियां और भौतिक चीजों की कमी सताने लगती है। जीवन में दरिद्रता का आगमन भी शुक्र ग्रह के पीड़ित होने के कारण आती है। व्यक्ति में आकर्षण खत्म हो जाता है। वह साफ-सुथरे तरीके से नहीं रहता है।
शुक्र ग्रह का जीवन पर प्रभाव
ज्योतिष में शुक्र ग्रह का कुंडली के लग्न भाव में होना जातक को रूप-रंग से बेहद सुंदर व आकर्षक बनाता है। वहीं ऐसा जातक स्वभाव से मृदुभाषी होने के साथ ही कला में रूचि रखता है। इसके अलावा शुक्र का कुंडली में मजबूत स्थिति में होना जातक के प्रेम व वैवाहिक जीवन को सुखमयी बनाता है। ऐसे में यह एक ओर जहां पति-पत्नी के बीच प्रेम की भावना को बढ़ाता है तो वहीं प्रेमी जातकों के जीवन में रोमांस बढ़ाता है। इसके साथ ही भौतिक जीवन में भी ऐसा जातक खास रूचि रखता है।इसके विपरीत शुक्र ग्रह के कमजोर या नीच होने की स्थिति में जातक के परिवार व प्रेम के मोर्चे पर कठिनाइयों को उत्पन्न करता है। कमजोर शुक्र जातक को कम रोमांटिक बनाने के साथ ही उसके प्रेमी जीवन में उतार-चढ़ाव लाता रहता है।
इसके अलावा ऐसा शुक्र पति-पत्नी में मतभेद अकारण ही विवाद देता है। पू द्वितीय शुक्र की पूर्ण दृष्टि अष्टम भाव पर पड़ती है जिससे जातक सामान्य या गुप्त रोगी हो सकता है। जातक कफ व वात रोगों से भी प्रभावित होता है। शुक्र की अष्टम स्थान पर दृष्टि से जातक पर्यटनशील एवं विदेशवासी होता है।मित्र/शत्रु राशिः शुक्र के स्व, उच्च या मित्र राशियों में होने से जातक उत्तम सुख प्राप्त करता है। मित्र राशियों में होने से जातक को धन, यश, लोकप्रियता व बड़े कुटुंब की प्राप्ति होती है। शत्रु व नीच राशि में शुक्र के होने पर शुभ फल में न्यूनता आती है। शत्रु राशि का शुक्र होने पर जातक का धन संचय नहा होता। जातक को पैतृक संपत्ति की प्राप्ति में भी अनेक बाधाएँ आती हैं। जातक के पारिवारिक सुख में भी न्यूनता होती है।
भाव विशेषः द्वितीयस्थ शुक्र के प्रभाव से जातक धन का अर्जन व बचत करता है। जातक मित्रों के लिए हितैषी होता है। शुक्र के प्रभाव से जातक पारिवारिक व्यवसाय को आगे बढ़ाता है। कला के क्षेत्र में जातक प्रसिद्ध प्राप्त करता है। प्रतिकूल प्रभाव से कुमित्रों की संगति में बर्बाद होता है। जातक में धैर्य नही होता है जिससे वह बिना सोचे समझे निर्णय लेता है एवं अनेक कष्ट उठाता है।
शुक्र ग्रह और कुंडली के 12 भाव
लग्न भाव में शुक्र की स्थिति से जातक को सुंदर और धनी बनाता है।
द्वितीय भाव में स्थित शुक्र के प्रभाव से जातक यशस्वी, सुखी, कलाप्रिय एवं भाग्यशाली होता है। वह अच्छा वक्ता और चालाक होता है।
तृतीय भाव में शुक्र का प्रभाव जातक मनोरंजन प्रिय, सुखी, धनी, यात्रा करने वाला विद्वान और कलाप्रेमी होता है। जातक मिलनसार और विपरीत लिंग के व्यक्ति के प्रति सहज रूप से आकर्षित होता है। जातक को बहनों का विशेष सहयोग मिलता है।जातक की धर्म के प्रति अत्यंत आस्था होती है। जातक की कीर्ति दूर-दूर फैलाती है। रंगमंच, होटल व्यवसाय व मनोरंजन के क्षेत्र में जातक को विशेष सफलता प्राप्त होती है।
चतुर्थ भाव में शुक्र का प्रभाव जातक को सुखी, दीर्घायु, सुसंतानों से युक्त, साहित्य प्रेमी, धनी, यशस्वी, पुत्रवान, अपने मकान में विशेष रूचि रखने वाला और प्रसन्नचित्त बनाता है। जातक को उत्तम वाहन सुख प्राप्त होता है।माता से अच्छे संबंध होते हैं एवं उसे उनका सहयोग सदैव मिलता रहता है।
पंचम भाव में शुक्र का प्रभाव जातक को उदार, कला प्रेमी एवं अनेक संतानों से युक्त बनाता है। वह चतुर, दयालु, विद्वान, संगीत प्रेमी, स्नेही स्वभाव वाला और मधुर भाषी भी होता है।जातक का स्त्रियों की सहायता से धनार्जन होता है।शत्रु व नीच राशि का शुक्र होने पर जातक की शिक्षा-दीक्षा में बाधाएँ आती हैं। उसे कार्यक्षेत्र में असफलता मिलती है।
छठे भाव में शुक्र का प्रभाव जातक को संकीर्ण मनोवृत्ति वाला बनाता है। वह गुप्त रोगों से ग्रसित, स्त्री सुख से हीन और फिजूल खर्चीला होता है।जातक विवादास्पद कार्यो में व्यय करने वाला होता है। जातक का बीमारियों में अधिक व्यय होता है।शुक्र को प्रभाव से जातक वैभवहीन व दुखी होता है। जा
सप्तम भाव में शुक्र का प्रभाव जातक को स्नेही, धनी, सौंदर्य प्रेमी और सुखी बनाता है। जातक सुखी वैवाहिक जीवन वाला, साहित्य प्रेमी, जीवन के सभी सुखों का आनंद उठाने वाला होता है। जातक के अनेक मित्र होते हैं और वह मिलनसार होता है। सप्तम भाव में शुक्र के प्रभाव से जातक बुद्धिमान, चंचल और वह स्त्री प्रेमी भी होता है।
अष्टम भाव में शुक्र का प्रभाव जातक को कामी स्वभाव का औ गुप्त कार्यों में रत रहने वाला बनाता है। जातक आलसी होता है पर प्रसिद्धि प्राप्त करता है। प्रेम संबंधों में जातक को प्रायः असफलता प्राप्त होती है। जातक की रूचि आध्यात्म, तंत्र, मंत्र और गुप्त विद्याओं में होती है।जातक क्रोधी एवं निर्दयी भी होता है। शत्रु व नीच राशि का शुक्र होने पर जातक को आर्थिक और शारीरिक कष्ट होते हैं। जातक को व्यवसाय में अव्यवस्था तथा अस्थिरता होती है।
नवम भाव में शुक्र का प्रभाव जातक को आस्तिक, गुणी और मनोरंजन प्रिय होता है। वह यशस्वी, प्रतिभाशाली, उदार एवं सबके प्रति सहानुभूति रखने वाला बनाता है। जातक आशावादी और सर्वसुख प्राप्त करने वाला होता है। जातक बुद्धिमान, चंचल और भाग्यशाली होता है।अधिक बहनों वाला, सुखी तथा पराक्रमी होता है।जातक का विवाह के बाद भाग्योदय होता है। व्यवसाय के लिए महिलाओं सें जातक को विशेष सहयोग प्राप्त होता है। शत्रु एवं नीच राशिगत नवम शुक्र जातक को भाग्यहीन बनाता है। जातक को सुख प्राप्त नहीं होता।
दशम भाव में शुक्र का प्रभाव जातक विद्वान और तर्क वितर्क में कुशल होता है। जातक मातृ पितृ भक्त, धार्मिक कार्यो में रूचि रखने वाला, विलासी, भाग्यशाली, पराक्रमी, गुणी, दयालु, न्यायप्रिय, धनी और संपत्ति से युक्त होता है।जातक को माता का उत्तम सुख व कृपा प्राप्त होती है। जातक उत्तम प्रकार के भवन व वाहन का सुख प्राप्त करता है।शत्रु व नीच राशि का शुक्र स्त्रियों द्वारा धनहानि करवाता है। जातक कई प्रकार के व्यवसाय करना पसंद करता है। सभी व्यवसायों में जातक को सफलता प्राप्त नही होती। जातक के पिता से तनावपूर्ण संबंध होते हैं।
शुक्र का ग्यारहवे भाव में प्रभाव जातक गुणवान, धनवान, यशस्वी, पुत्रवान, प्रभावशाली, उदार कलाप्रिय और मित्रों बहुत होते है। जातक ईश्वर से प्रीति रखने वाला और भौतिक जीवन में सफल होता है। विद्या से परिपूर्ण और कई पुत्रों का पिता होता है। जातक गुणवान होता है।नीच राशि में शुक्र होने से आय और यश दोनों में न्यूनता होती है। जातक अनावश्यक खर्च करता है। मित्रों से जातक को हानि उठानी पड़ती है।
द्वादश भाव में शुक्र का प्रभाव जातक अत्यंत विलासी पर भाग्यशाली होता है। जातक मनोरंजन ओर स्त्रियों पर व्यय करता है। जातक अत्यंत धनी होता है। साहसी और नित्य नये कार्य करना चाहता है।जातक गुप्त रोगी और वीर्य विकारी होता है।जातक को धन, यश और अन्य सुख प्राप्त होता है। शत्रु व नीच राशि में शुक्र होने पर जातक गरीब, कामी व्यवसायी, दुर्बुद्धि और स्वार्थी होता है। उसकी आय से व्यय अधिक होता है। अतः वह जमीन में कई प्रकार के कष्ट उठाता है।
शुक्र ग्रह के कमजोर स्थिति से बचने के उपाय
कुंडली में शुक्र को मजबूत करने के लिए मां लक्ष्मी की शुक्रवार को पूजा करना जरूरी होता है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने के अलावा श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ भी करना चाहिए, माना जाता है कि ऐसा करने से धन से संबंधित परेशानियां दूर होती है। शुक्रवार को कुछ चीजों का दान शुक्र ग्रह को मजबूती प्रदान करता है। इसके तहत शुक्रवार को सफेद रंग के कपड़ों व खाने में सफेद चीजों का दान आता है। जिनमें खीर, दूध, चावल और दही आदि शामिल हैं। इन सबके अलावा ये भी माना जाता है कि शुक्र को कुंडली में मजबूत करने के लिए शुक्रवार के दिन व्रत करना चाहिए। मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत करने से कुंडली में शुक्र मजबूत होने लगता है।