Solah Shringar ka Mahatva :सोलह श्रृंगार सिर्फ खूबसूरती का नाम नहीं, इससे बढ़ता है सुहाग की उम्र और सौभाग्य, जानिए इसका नाम

Solah Shringar ka Mahatva : सोलह श्रृंगार हर स्त्रिी का अधिकार होता है। जिसे वो समय समय पर करती है। इसे लेकर धर्मशास्त्रों में भी अनिवार्य बताया गया है। कहते हैं कि जब महिलाएं स्वच्छता के साथ सज-संवकर पूजा करती हैं तो भगवान जल्द प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। शादीशुदा महिलाओं को पति से सम्मान और प्यार के साथ सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है।

Update:2022-08-22 11:42 IST

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

 Solah Shringar Ka Mahatva

सोलह श्रृंगार का महत्व

सनातन धर्म में तीज- त्योहारों का खास महत्व रहता है, और इन तीज-त्योहारों को लेकर महिलाओं में  बहुत उत्साह बना रहता है। इन त्योहारों के मनाने से लेकर पूजा-पाठ तक महिलाएं सज संवरकर ही करती है। खासकर हरियाली या हरितालिका तीज हो या फिर करवा चौथ इन त्योहारों पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करके ही पूजा में शामिल होती है। विवाहित महिलाओं के लिए धर्म शास्त्रों में सोलह श्रृंगार अनिवार्य भी बताया गया है। सोलह श्रृंगार मे मेंहदी, चूड़िया, मांग टीका के अलावा और भी चीजों को सोलह श्रृंगार में शामिल किया है। 

सोलह श्रृंगार का महत्व 

सोलह सौंदर्य आभूषण महिला रूपों की सुंदरता और दिव्यता का जश्न मनाने के लिए हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार "सोलह श्रृंगार" चंद्रमा के सोलह चरणों को दर्शाता है जो एक महिला के मासिक धर्म से संबंधित है । कहा जाता है कि सोलह सौंदर्य आभूषण चक्र से उत्पन्न होने वाली नकारात्मकताओं को समाप्त करते हैं।महिलाओं के जीवन में सोलह शृंगार का महत्व स़िर्फ सजने-संवरने के लिए नहीं है, इसके पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य भी छुपे हैं। सोलह शृंगार का महिलाओं के स्वास्थ्य और सौभाग्य से गहरा संबंध है।सोलह श्रृंगार एक ऐसी रस्म है, जिसके तहत महिलाएं सिर से लेकर पैर तक कुछ न कुछ सुहाग की निशानी को पहनती हैं। इसमें बिंदी, चूड़ी, सिंदूर और पायल जैसी चीजें शामिल हैं। ये सभी सुहाग के चिन्ह होते हैं। यह देवी लक्ष्मी के साथ जुड़ी हुई स्त्रीत्व और उर्वरता का प्रतीक है। माता लक्ष्मी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जोकि धन, संपदा, शांति और समृधि की देवी मानी जाती हैं।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

हरितालिका तीज पर सोलह श्रृंगार का रहस्य

  • सिंदूर: माथे पर सिंदूर पति की लंबी उम्र की निशानी माना जाता है।स्त्री श्रृंगार का दूसरा चरण सिंदूर होता है। ये किसी भी औरत के लिए इमोशनल फीलिंग होती है। वैसे आज के बदलते फैशन में महिलाएं इसे लगाने से परहेज करती है पर ये धार्मिक के साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी जरूरी है। सिर के ऊपरी हिस्से बालों के दो हिस्से करके बीच में सिंदूर लगाया जाता है।
  • बिंदिया: माथे पर लगी बिंदिया भी सुहागन के सोलह श्रृंगार में शामिल है।शादीशुदा महिलाओं के लिए बिंदी लगाना बहुत जरूरी होता है। ये भौहों के बीच में लगाया जाता है। वैसे तो इसे शिव से जोड़ा जाता है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि इसे गुस्से को कम करने की वजह मानते है।
  • मंगलसूत्र: ये भी सुहागन होने का सूचक है।मंगलसूत्र दो दिलों को जोड़ने का अटूट बंधन है। ये बहुत नाजूक भी होता है पर इसकी पकड़ बहुत मजबूत होती है।मंगलसूत्र पहनने से रक्तचाप नियंत्रित होता है। हमारे देश में महिलाएं बहुत काम करती हैं, इसलिए उनका ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहना जरूरी है।
  • मांग टीका: मांग टीका वैसे तो आभूषण है लेकिन इसे भी सोलह में शामिल किया गया है।सिंदूर के ऊपर मांग के बीच में टिका लगता है जो ज्यादातर सोने का होता है। हमारे शरीर की गर्माहट को कंट्रोल करता है। इसके साथ ही ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है।
  • काजल: काजल काली नजरों से बचाने के लिए लगाया जाता है।इसमें मौजूद तत्व आंखो की रोशनी को बढ़ाने का काम करते है और आंखों काजल या सुरमा लगाने से आंख संबंधी बीमारियां नहीं होती है। आपने देखा भी होगा कि पहले के जमाने में बहुत लोगों को चश्मे लगे होते थे।
  • नथनी: नाक में पहनी जाने वाली नथनी भी सोलह श्रृंगार में शामिल है।नाक में लौंग पहनना केवल कल्चर नहीं है। बल्कि इसके पीछे कई तथ्य भी है। वैसे नाक की नथ तो सुंदरता में चार-चांद लगाती है और पति का प्यार भी दिलाती है।
  • उबटन : दुल्हन के श्रृंगार से पहले उबटन लगाकर नहाने से उसकी सुंदरता में चार चांद लग जाता है और चेहरे में नूर बढ़ जाता है ये सच है। पर एक सच ये भी है की शरीर में उबटन लगाने से बंद पड़े सारे रोम छिद्र खुद-ब-खुद खुल जाते हैं और शरीर में ऑक्सीजन और रक्त का संचार स्मूथली होने लगता है।
  • कर्णफूल : ईयर रिंग भी सोलह श्रृंगार में गिने जाते हैं।इसका शरीर पर बहुत सकारात्मक असर पड़ता है।इसके अलावा सोचने समझने की क्षमता को बढ़ाने के साथ मेमोरी पावर के भी सही बनाए रखता है।
  • मेंहदी : करवा चौथ पर हाथों में मेहंदी जरूर लगानी चाहिए।इसका संबंध स्वास्थ्य से भी है। मेंहदी को औषधी के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। ये तनाव को दूर करने में कारगर होता है। यौन इच्छाओं को भी नियंत्रित करता है और शरीर को शीतलता प्रदान करता है।
  • कंगन या चूड़ी: हाथों में लाल और हरी चूड़ियां भी सोलह श्रृंगार में शामिल हैं। लाल रंग के वस्त्र भी 16वां सबसे महत्वपूर्ण श्रृंगार में गिने जाते हैं।चूड़ियों के आपस में टकराने से जो आवाज़ पैदा होती है, वो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है। वैसे भी दुल्हन की चूड़ियों की खनक उसकी मौजूदगी का भी एहसास कराती है।
  • बिछिया : दोनों पांवों की बीच की तीन उंगलियो में सुहागन स्त्रियां बिछिया पहनती हैं।इसके पीछे का वैज्ञानिक तर्क है कि पैर की जिन उंगलियों में बिछुआ पहना जाता है, उसका कनेक्शन गर्भाशय और दिल से है। इन्हें पहनने से महिला को गर्भधारण करने में आसानी होती है और मासिक धर्म भी सही रहता है ।
  • पायल : घर की लक्ष्मी के लिए पायल को बेहद शुभ माना जाता है।चांदी की पायल पहनने से पीठ, एड़ी, घुटनों के दर्द और हिस्टीरिया रोगों से राहत मिलती है पायल हमेशा पैरों से रगड़ती रहती है, जो स्त्रियों की हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद ह।. इससे उनके पैरों की हड्डी को मज़बूती मिलती है, साथ ही ये शरीर की बनावट को नियंत्रित भी करती है।
  • कमरबंद या तगड़ी : सुहागन के सोलह श्रृंगार में शामिल है।नाभी के नीचे कमर के पास पहने जाने वाले आभूषण को कमरबन्द कहते हैं। इससे ज्यादातर महिलाएं विवाह के बाद ही पहनती है। इससे खूबसूरती बढ़ती है। ये महिला को अधिकार दिलाने का प्रतीक है। इससे महिलाओं को पेट संबंधी बीमारियां नहीं होती है और प्रेग्नेंसी सिस्टम भी सही रहता है।
  • अंगूठी : अंगूठी को भी सुहाग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।रिंग की सीधा संबंध हमारे हार्ट से होता है। शादी के बाद हाथों की उंगलियों अंगूठी पहनना होता है शादी की पहली रस्म रिंग सेरेमनी से होती है। रिंग का सीधा संबंध हमारे दिल से होता है और दिलों को जोड़ने का काम करता है वैज्ञानिक रिंग पहनने से दिल की बीमारी नहीं होती है। दिमाग शांत रहने के साथ शरीर में एकाग्रता को भी बनाए रखता है।
  • बाजूबंद : बाजूबंद वैसे तो आभूषण है लेकिन इसे भी सोलह में शामिल किया गया है।कड़े के समान आकृति वाला ये आभूषण सोने या चांदी का होता है। ये बांहों में पूरी तरह कसा रहता है, इसी कारण इसे बाजूबंद कहा जाता है। इससे पहनने से रक्त संचार बेहतर होता है। हाथों में दर्द भी नहीं होता है।
  • गजरा : फूलों का महकता गजरा भी सोलह श्रृंगार में शामिल है।बालों को बांधकर जूड़ा बनाकर उस पर जूड़ाबंद लगाने से महिलाओं की सुंदरता और सौम्यता तो बढ़ती है। साथ ही बालों को टूटने से बचाती है इससे सर दर्द,माइग्रेन जैसी बीमारियां नहीं होती है।

सोलह श्रृंगार शिवपुराण में मिलता है वर्णन

शिवपुराण (ShivPuran )में शिव-पार्वती ( Shiva- Parvati) विवाह प्रसंग में एक ब्राह्मणी ने माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की महिमा का गुणगान किया है। शिव पूजन के वक्त मां पार्वती भी फूलों और आभूषणों से श्रृंगार कर महादेव की पूजा करती थी। कहते हैं कि जब महिलाएं स्वच्छता के साथ सज-संवकर महादेव की पूजा करती हैं तो भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। शादी-शुदा महिलाओं को पति से सम्मान और प्यार के साथ सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है।वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।

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