सोलह श्रृंगार से धर्म का है मेल, समझ से परे है इसमें विज्ञान का खेल

Update: 2016-09-01 09:33 GMT

सुमन मिश्रा

लखनऊ : हिंदू धर्म शास्त्रों में नारी के लिए बहुत सारे कायदे कानून बने हैं जिसको मानना हर पतिव्रता नारी के लिए जरूरी होता है और उसी पर उसके वजूद की पहचान होती रही है। हम बात कर रहे हैं सोलह श्रृंगार की। जो हर विवाहित महिला का आइना होता है। वैसे हर शादीशुदा महिला के लिए श्रृंगार करना जरूरी माना जाता है।

इसके पीछे धार्मिक वजह ये माना जाता है कि इससे पति की उम्र लंबी और जीवन में प्यार और सुख का साथ हमेशा रहता है। वैसे तो क्या आप जानते हैं कि हर धार्मिक मान्यता के पीछे एक वैज्ञानिक सच भी होता है।आज सोलह श्रृंगार के उसी सच को बयां कर रहे है...

बिंदी या कुमकुम: शादीशुदा महिलाओं के लिए बिंदी लगाना बहुत जरूरी होता है। ये भौहों के बीच में लगाया जाता है। वैसे तो इसे शिव से जोड़ा जाता है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि इसे गुस्से को कम करने की वजह मानते है।

विज्ञान कहता है कि जब इंसान गुस्से में होता है तो तनाव की लकीरें भौहों के बीच नजर आती हैं और इस जगह बिंदी या कुमकुम लगाया जाए तो मिलने के साथ दिमाग ठंडा रहता है।

सिंदूर: स्त्री श्रृंगार का दूसरा चरण सिंदूर होता है। ये किसी भी औरत के लिए इमोशनल फीलिंग होती है। वैसे आज के बदलते फैशन में महिलाएं इसे लगाने से परहेज करती है पर ये धार्मिक के साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी जरूरी है। सिर के ऊपरी हिस्से बालों के दो हिस्से करके बीच में सिंदूर लगाया जाता है।

शरीर के इस हिस्से को महत्वपूर्ण और संवेदनशील माना जाता है। विज्ञान के अनुसार सिंदूर लगाने से दिमाग सक्रिय रहता है। दरअसल, सिंदूर में मरकरी होता है जो अकेली ऐसी धातु है जो तरल रूप में पाई जाती है।

इसका ठंडापन दिमाग को तनावमुक्त करता है और ये रक्त संचार के साथ ही यौन क्षमताओं को भी बढ़ाने का भी काम करता है। इसलिए सिंदूर को शादी के बाद लगाने की परंपरा है।

चूड़ियों की खनक: वैसे तो चूड़ी को कभी पहना जा सकता है पर शादी के बाद नववधु के लिए कांच की चूड़ी पहनना जरूरी होता है। इसके पीछे के राज को विज्ञान बताता है कि कांच में सात्विक और चैतन्य अंश प्रधान होते हैं। इस वजह से चूड़ियों के आपस में टकराने से जो आवाज़ पैदा होती है, वो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है। वैसे भी दुल्हन की चूड़ियों की खनक उसकी मौजूदगी का भी एहसास कराती है।

 

प्रेम का प्रतीक मंगलसूत्र : मंगलसूत्र दो दिलों को जोड़ने का अटूट बंधन है। ये बहुत नाजूक भी होता है पर इसकी पकड़ बहुत मजबूत होती है। विज्ञान में माना जाता है कि मंगलसूत्र पहनने से रक्तचाप नियंत्रित होता है। हमारे देश में महिलाएं बहुत काम करती हैं, इसलिए उनका ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहना जरूरी है। धर्म में मंगलसूत्र को शरीर के अंदर छिपा कर पहनने की सलाह दी गई है। इसके पीछे का विज्ञान ये है कि मंगलसूत्र को शरीर से स्पर्श करना चाहिए, ताकि वो ज्यादा से ज्यादा असर कर सके।

मांग टिका : सिंदूर के ऊपर मांग के बीच में टिका लगता है जो ज्यादातर सोने का होता है। हमारे शरीर की गर्माहट को कंट्रोल करता है। इसके साथ ही ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है। वैसे इसे रोज लगाना तो संभव नहीं होता है पर खास उत्सवों पर इसे पहना जाता है। नॉर्मल डे पर बिंदी और सिंदूर इसकी कमी को पूरा करते हैं।

नथ,लौंग और नोजपीन: आजकल फैशन के चक्कर में महिलाएं नाक में लौंग पहनने से परहेज करती है, लेकिन नाक में लौंग पहनना केवल कल्चर नहीं है। बल्कि इसके पीछे कई तथ्य भी है। वैसे नाक की नथ तो सुंदरता में चार-चांद लगाती है और पति का प्यार भी दिलाती है।

पर इसके पीछे विज्ञान ये है कि नाक में नथ या लौंग जो भी पहने उससे सांस नियंत्रित होती है। हर महीने होने वाले पीरियड्स संबंधी तकलीफे भी दूर करने में मदद होती है। क्योकि बायें नाक की नर्व का संबंध सीधे महिलाओं के ग्रभाशय से होता है। जो प्रसव के दैरान होने वाली समस्याओं से बचाता है। नाक की लौंग को ही नथ,नोजपिन कहते हैं।

कर्णफुल या कहे झुमका : जी हां हम उसी झुमके की बात कर रहे है जो कभी हसीनाओं के बरेली के बाजार में गिरते थे। कानों में झुमके, बालियां पहनने को हम भले फैशन माने, पर इसका शरीर पर बहुत सकारात्मक असर पड़ता है। कान में छेद कराकर उसमें किसी भी धातु के रिंग्स धारण करना पीरियड को कंट्रोल करता है। शरीर को ऊर्जावान बनाने के लिए सोने के ईयर रिंग्स और ज्यादा ऊर्जा को कम करने के लिए चांदी के ईयररिंग्स पहनने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा सोचने समझने की क्षमता को बढ़ाने के साथ मेमोरी पावर के भी सही बनाए रखता है।

अंगूठी: अंगूठी पहनने से जां उंगलियों की खूबसूरती बढ़ती है। वही रिंग की सीधा संबंध हमारे हार्ट से होता है। वैसे तो शादी के बाद हाथों की उंगलियों अंगूठी पहनना होता है शादी की पहली रस्म रिंग सेरेमनी से होती है। रिंग का सीधा संबंध हमारे दिल से होता है र दिलों को जोड़ने का काम करता है वैज्ञानिक रिंग पहनने से दिल की बीमारी नहीं होती है। दिमाग शांत रहने के साथ शरीर में एकाग्रता को भी बनाए रखता है।

बाजूबंद: कड़े के समान आकृति वाला ये आभूषण सोने या चांदी का होता है। ये बांहों में पूरी तरह कसा रहता है, इसी कारण इसे बाजूबंद कहा जाता है। इससे पहनने से रक्त संचार बेहतर होता है। हाथों में दर्द भी नहीं होता है।

कमरबंद: नाभी के नीचे कमर के पास पहने जाने वाले आभूषण को कमरबन्द कहते हैं। इससे ज्यादातर महिलाएं विवाह के बाद ही पहनती है। इससे खूबसूरती बढ़ती है। ये महिला को अधिकार दिलाने का प्रतीक है। कमरबंद ज्यादातर चांदी का ही होता है। इससे महिलाओं को पेट संबंधी बीमारियां नहीं होती है और प्रेग्नेंसी सिस्टम भी सही रहता है।

पायल: पायल की छनछन से शरीर को पॉजीटिव एनर्जी मिलता है और पैरों की खूबसूरती बढ़ जाती है। चांदी की पायल पहनने से पीठ, एड़ी, घुटनों के दर्द और हिस्टीरिया रोगों से राहत मिलती है पायल हमेशा पैरों से रगड़ती रहती है, जो स्त्रियों की हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद ह।. इससे उनके पैरों की हड्डी को मज़बूती मिलती है, साथ ही ये शरीर की बनावट को नियंत्रित भी करती है। ये मोटापे के साथ रोगों को दूर करने का काम भी करता है।

बिछुआ: शादी के बाद देश के किसी भी कोने में चले जाइए ज्यादातर महिलाओं के पैरों में बिछुआ या बिछिया जरूर नजर आता है। इसके पीछे का वैज्ञानिक तर्क है कि पैर की जिन उंगलियों में बिछुआ पहना जाता है, उसका कनेक्शन गर्भाशय और दिल से है। इन्हें पहनने से महिला को गर्भधारण करने में आसानी होती है और मासिक धर्म भी सही रहता है ।

मेहंदी: हर फेस्टिवल पर हाथों में मेहंदी और पैरों में महावर लगाने का रिवाज है। इसका कारण केवल सुंदरता को बढ़ाना नहीं है बल्कि इसका संबंध स्वास्थ्य से भी है। मेंहदी को औषधी के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। ये तनाव को दूर करने में कारगर होता है। यौन इच्छाओं को भी नियंत्रित करता है और शरीर को शीतलता प्रदान करता है।

जूड़ा बंद: बालों को बांधकर जूड़ा बनाकर उस पर जूड़ाबंद लगाने से महिलाओं की सुंदरता और सौम्यता तो बढ़ती है। साथ ही बालों को टूटने से बचाती है इससे सर दर्द,माइग्रेन जैसी बीमारियां नहीं होती है।

काजल: कजरारी आंखे तो साजन का प्यार है शायर की गजह है।वैसे तो काजल आंखों को और गहरा और काला बनाने के लिए लगाया जाता है। लेकिन इसमें मौजूद तत्व आंखो की रोशनी को बढ़ाने का काम करते है और आंखों काजल या सुरमा लगाने से आंख संबंधी बीमारियां नहीं होती है। आपने देखा भी होगा कि पहले के जमाने में बहुत लोगों को चश्मे लगे होते थे।

उबटन : दुल्हन के श्रृंगार से पहले उबटन लगाकर नहाने से उसकी सुंदरता में चार चांद लग जाता है और चेहरे में नूर बढ़ जाता है ये सच है। पर एक सच ये भी है की शरीर में उबटन लगाने से बंद पड़े सारे रोम छिद्र खुद-ब-खुद खुल जाते हैं और शरीर में ऑक्सीजन और रक्त का संचार स्मूथली होने लगता है।

अब तक जान गए होंगे होने वाले सोलह श्रृंगार के पीछे का धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्व को, तो अब आधुनिक फैशन के चक्कर में ना करें ट्रेडिशन को नंजरअंदाज, क्योंकि देख लिया होगा इसमें छिपे हेल्थ का राज। अब तो ये खबर पढ़कर शायद हर महिला यही कहे-सजना है मुझे, सजना के लिए.....

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